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बावनखेड़ी हत्याकांड: शबनम को फांसी की सजा से परिवार खुश

अमरोहा की शबनम को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. इसपर शबनम और उसके प्रेमी ने राष्ट्रपति से सजा माफी की गुहार लगाई थी. इस दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है. राष्ट्रपति के इस फैसले से शबनम के चाचा-चाची खुश हैं. साथ ही उन्होंने मांग की है कि बीच चौराहे पर उसे फांसी दी जाए.

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शबनम को फांसी की सजा
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Published : Feb 17, 2021, 8:08 PM IST

अमरोहाः बाबनखेड़ी गांव में 14 अप्रैल 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था. इस मामले में शबनम और उसके प्रेमी सलीम को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. फैसले के बाद आरोपियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सजा माफी की गुहार लगाई थी. इस दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है. इसके बाद शबनम के चाचा और चाची सहित पूरे गांव में खुशी का माहौल है. अब शबनम के चाचा और चाची उन दोनों को बीच चौराहे पर फांसी की मांग कर रहे हैं.

शबनम को फांसी की सजा से परिवार खुश

राष्ट्रपति ने दया याचिका की खारिज

मामला 14 अप्रैल 2008 का है, जब शौकत अली की बेटी शबनम ने प्रेमी सलीम की खातिर परिवार के 7 सदस्यों को कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी. घटना का खुलासा होने के बाद से ही शबनम और उसका प्रेमी सलीम जेल की सलाखों के पीछे है. इनके मुकदमे की सुनवाई के बाद अमरोहा की जिला अदालत ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसको उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक ने बरकरार रखा है. अब देश के राष्ट्रपति ने भी शबनम और सलीम की दया याचिका खारिज कर दी है.

इसे भी पढ़ें- एमजे अकबर आपराधिक मानहानि मामले में प्रिया रमानी अदालत से बरी

गांव और परिवार के लोग खुश

इस फैसले से गांव के लोगों में खुशी का माहौल है. शबनम की चाची का कहना है कि उसे बीच चौराहे पर फांसी होनी चाहिए. शबनम के चाचा कहते हैं कि जैसी करनी वैसी भरनी. जब वो सात को खा गई तो उसे भी जिन्दा नहीं रहना चाहिए. शबनम के चाचा का कहना है कि उसे सऊदी अरब की तरह बीच चौराहे पर गर्दन उतार देनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें- बावनखेड़ी हत्याकांड : शबनम की दया याचिका खारिज, कभी भी हो सकती है फांसी

अमरोहाः बाबनखेड़ी गांव में 14 अप्रैल 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था. इस मामले में शबनम और उसके प्रेमी सलीम को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. फैसले के बाद आरोपियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सजा माफी की गुहार लगाई थी. इस दया याचिका को राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया है. इसके बाद शबनम के चाचा और चाची सहित पूरे गांव में खुशी का माहौल है. अब शबनम के चाचा और चाची उन दोनों को बीच चौराहे पर फांसी की मांग कर रहे हैं.

शबनम को फांसी की सजा से परिवार खुश

राष्ट्रपति ने दया याचिका की खारिज

मामला 14 अप्रैल 2008 का है, जब शौकत अली की बेटी शबनम ने प्रेमी सलीम की खातिर परिवार के 7 सदस्यों को कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी. घटना का खुलासा होने के बाद से ही शबनम और उसका प्रेमी सलीम जेल की सलाखों के पीछे है. इनके मुकदमे की सुनवाई के बाद अमरोहा की जिला अदालत ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसको उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक ने बरकरार रखा है. अब देश के राष्ट्रपति ने भी शबनम और सलीम की दया याचिका खारिज कर दी है.

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गांव और परिवार के लोग खुश

इस फैसले से गांव के लोगों में खुशी का माहौल है. शबनम की चाची का कहना है कि उसे बीच चौराहे पर फांसी होनी चाहिए. शबनम के चाचा कहते हैं कि जैसी करनी वैसी भरनी. जब वो सात को खा गई तो उसे भी जिन्दा नहीं रहना चाहिए. शबनम के चाचा का कहना है कि उसे सऊदी अरब की तरह बीच चौराहे पर गर्दन उतार देनी चाहिए.

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