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कोरोना की तीसरी लहर : बच्चों के लिए क्या खास तैयारी कर रहा है छत्तीसगढ़ का स्वास्थ्य विभाग ?

कोरोना की दूसरी लहर के बाद से स्वास्थ विभाग सावधान हो गया है. तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक (third wave of corona) बताई जा रही है. जिसको लेकर राज्य सरकार और स्वास्थ्य महकमा ने तैयारी शुरू कर दी है.

How prepared is Chhattisgarh for the third wave of Corona?
कोरोना की तीसरी लहर के लिए कितना तैयार छत्तीसगढ़
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Published : Jun 5, 2021, 7:30 PM IST

रायपुर: एक्सपर्ट कह रहे हैं कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर सितंबर-अक्टूबर में शुरू हो सकती है. कहा जा रहा है कि थर्ड वेव बच्चों के लिए खतरनाक (third wave dangerous for children) हो सकती है, जिसे देखते हुए कई राज्यों की सरकारों ने तैयारी भी शुरू कर दी है. छत्तीसगढ़ में भी इसको लेकर रणनीति बन रही है. कुछ चाइल्ड केयर बनाए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर और खासतौर पर बच्चों के लिए क्या तैयारियां की जा रही हैं, एक नजर में देख लेते हैं.

कोरोना की तीसरी लहर के लिए कितना तैयार स्वास्थ्य विभाग

माना जा रहा है कि बुजुर्गों और जवानों का बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन हो जाएगा, ऐसे में अगर कोई अगली लहर बनती है तो इसका सबसे ज्यादा खामियाजा बच्चों और किशोरों को चुकाना पड़ सकता है. हालांकि दुनिया के कई देशों ने बच्चों को वैक्सीन देने की तैयारी शुरू कर ली है. इसके अलावा कुछ डॉक्टरों ने साफ कहा है कि इस थ्योरी का कोई ठोस आधार नहीं है. तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चे पीड़ित होंगे.

बिस्तरों के लिए क्या तैयारी ?

बच्चों के लिहाज से राजधानी रायपुर में ही दो हजार बेड्स के इंतजाम किए जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग कई कोविड केयर सेंटर को बच्चों के हिसाब से डेवलप कर रहा है. रायपुर नगर निगम (Raipur Municipal Corporation) भी इंडोर स्टेडियम में बने कोविड अस्पताल को बच्चों के लिए विकसित कर रहा है. इसके अलावा रायपुर स्थित आयुर्वेद कॉलेज में भी 100 बिस्तरों की चाइल्ड केयर यूनिट बनाई जा रही है. प्रदेश के जिला अस्पतालों में बच्चों के लिए अलग से 20 बेड्स और आईसीयू बनाने की तैयारी की जा रही है.

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चाइल्ड स्पेशलिस्ट की कमी

हालांकि इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने की तैयारी चल रही है. लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी बड़ी चुनौती बन सकती है. प्रदेश में वैसे ही डॉक्टर्स की कमी है, लेकिन जब बात करें शिशु रोग विशेषज्ञों की तो स्थिति और खराब हो जाती है. ग्रामीण इलाकों में खासतौर पर दूर दराज के जिलों में पीडियाट्रिशियन की बहुत ज्यादा कमी है. इसके अलावा डेडिकेटेट NICU की कमी भी है. समय रहते इस ओर ध्यान देना होगा कि अगर तीसरी लहर आती है और उसका प्रभाव ग्रामीण-कस्बाई इलाके में पहुंच जाता है तो डॉक्टर्स की कमी घातक साबित हो सकती है.

कोरोना की तीसरी लहर और बच्चों के लिए छत्तीसगढ़ में क्या तैयारियां हैं, स्वास्थ्य मंत्री से जानिए

दूसरी लहर में कोरोना के शिकार हुए बच्चे

साल 2020 में कोरोना की पहली लहर से बच्चे एक हद तक सुरक्षित थे, तब बहुत कम मामले ही बच्चों में कोविड का देखा गया था. दूसरी लहर में कोरोना ने जहां अधेड़ और युवा वर्ग को अपनी चपेट में लिया था. वहीं बच्चे भी इसकी चपेट में आए. हालांकि ज्यादातर बच्चों में मामूली लक्षण ही सामने आए हैं. लेकिन पहली लहर के मुकाबले कोरोना ने अपनी जद बढ़ाई है.

रायपुर: एक्सपर्ट कह रहे हैं कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर सितंबर-अक्टूबर में शुरू हो सकती है. कहा जा रहा है कि थर्ड वेव बच्चों के लिए खतरनाक (third wave dangerous for children) हो सकती है, जिसे देखते हुए कई राज्यों की सरकारों ने तैयारी भी शुरू कर दी है. छत्तीसगढ़ में भी इसको लेकर रणनीति बन रही है. कुछ चाइल्ड केयर बनाए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर और खासतौर पर बच्चों के लिए क्या तैयारियां की जा रही हैं, एक नजर में देख लेते हैं.

कोरोना की तीसरी लहर के लिए कितना तैयार स्वास्थ्य विभाग

माना जा रहा है कि बुजुर्गों और जवानों का बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन हो जाएगा, ऐसे में अगर कोई अगली लहर बनती है तो इसका सबसे ज्यादा खामियाजा बच्चों और किशोरों को चुकाना पड़ सकता है. हालांकि दुनिया के कई देशों ने बच्चों को वैक्सीन देने की तैयारी शुरू कर ली है. इसके अलावा कुछ डॉक्टरों ने साफ कहा है कि इस थ्योरी का कोई ठोस आधार नहीं है. तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चे पीड़ित होंगे.

बिस्तरों के लिए क्या तैयारी ?

बच्चों के लिहाज से राजधानी रायपुर में ही दो हजार बेड्स के इंतजाम किए जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग कई कोविड केयर सेंटर को बच्चों के हिसाब से डेवलप कर रहा है. रायपुर नगर निगम (Raipur Municipal Corporation) भी इंडोर स्टेडियम में बने कोविड अस्पताल को बच्चों के लिए विकसित कर रहा है. इसके अलावा रायपुर स्थित आयुर्वेद कॉलेज में भी 100 बिस्तरों की चाइल्ड केयर यूनिट बनाई जा रही है. प्रदेश के जिला अस्पतालों में बच्चों के लिए अलग से 20 बेड्स और आईसीयू बनाने की तैयारी की जा रही है.

तीसरी लहर से बचने के लिए रणनीति के साथ ब्लैक फंगस के मरीजों की करें मॉनिटरिंग: ताम्रध्वज साहू

चाइल्ड स्पेशलिस्ट की कमी

हालांकि इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने की तैयारी चल रही है. लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी बड़ी चुनौती बन सकती है. प्रदेश में वैसे ही डॉक्टर्स की कमी है, लेकिन जब बात करें शिशु रोग विशेषज्ञों की तो स्थिति और खराब हो जाती है. ग्रामीण इलाकों में खासतौर पर दूर दराज के जिलों में पीडियाट्रिशियन की बहुत ज्यादा कमी है. इसके अलावा डेडिकेटेट NICU की कमी भी है. समय रहते इस ओर ध्यान देना होगा कि अगर तीसरी लहर आती है और उसका प्रभाव ग्रामीण-कस्बाई इलाके में पहुंच जाता है तो डॉक्टर्स की कमी घातक साबित हो सकती है.

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दूसरी लहर में कोरोना के शिकार हुए बच्चे

साल 2020 में कोरोना की पहली लहर से बच्चे एक हद तक सुरक्षित थे, तब बहुत कम मामले ही बच्चों में कोविड का देखा गया था. दूसरी लहर में कोरोना ने जहां अधेड़ और युवा वर्ग को अपनी चपेट में लिया था. वहीं बच्चे भी इसकी चपेट में आए. हालांकि ज्यादातर बच्चों में मामूली लक्षण ही सामने आए हैं. लेकिन पहली लहर के मुकाबले कोरोना ने अपनी जद बढ़ाई है.

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