रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत ने सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा मंजूर कर लिया है. इसके लिए 27 जुलाई यानी मानसून सत्र के अंतिम दिन का समय तय किया गया है. अविश्वास प्रस्ताव पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर चर्चा के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी (no confidence motion against Chhattisgarh government ) है.
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क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव: अविश्वास प्रस्ताव को लाने का काम विपक्ष करता है, जो मौजूदा सरकार के विरोध में होता है. ऐसे में सत्तापक्ष अपनी सरकार बने रहने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का गिरना यानी नामंजूर करने की कोशिश करता है. स्पीकर अगर अविश्वास प्रस्ताव मंजूर कर लेता है और सत्तापक्ष सदन में बहुमत साबित करने में सफल नहीं रहता है तो सरकार गिर जाती है. ऐसे ही किसी विधेयक के मामले में भी होता है.
सात बार लाया जा चुका है अविश्वास प्रस्ताव: छत्तीसगढ़ विधानसभा में यह कोई पहला अवसर नहीं है, जब विपक्ष के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. छत्तीसगढ़ का निर्माण साल 2000 में हुआ था. उसके बाद से अब तक विपक्ष के द्वारा सात बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. हर बार चर्चा के बाद अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया. इस दौरान प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों की सरकारें रही हैं. जोगी शासनकाल में दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, जबकि रमन सरकार के दौरान 5 बार विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाया.
कब-कब लाए गए अविश्वास प्रस्ताव
पहला अविश्वास प्रस्ताव (सितंबर-अक्टूबर 2002)
दूसरा अविश्वास प्रस्ताव (जुलाई 2003)
तीसरा अविश्वास प्रस्ताव (नवंबर-दिसंबर 2007)
चौथा अविश्वास प्रस्ताव (दिसंबर 2011)
पांचवा अविश्वास प्रस्ताव (जुलाई 2015)
सातवां अविश्वास प्रस्ताव (जुलाई 2018)
भूपेश सरकार में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव: इसके बाद साल 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई और अब विपक्ष के द्वारा लाए गए. अविश्वास प्रस्ताव पर 27 जुलाई को चर्चा होनी है. पंचम विधानसभा में पहली बार विपक्ष के द्वारा लाए गए. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होने जा रही है.हालांकि संख्या बल के अनुसार इस अविश्वास प्रस्ताव का सरकार पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. बावजूद इसके विपक्ष ने इसे लेकर व्यापक तैयारी कर रखी है. वह इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.