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अश्लेषा नक्षत्र सुकर्म योग और कर्क राशि के चंद्रमा में कल मनाया जाएगा प्रदोष व्रत - अश्लेषा नक्षत्र सुकर्म योग में मनाया जाएगा

छत्तीसगढ़ में अश्लेषा नक्षत्र सुकर्म योग (Ashlesha Nakshatra Sukarmayoga Balav) में प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव से जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो पूरी होती है.

Ashlesha Nakshatra Sukarmayoga Balav
अश्लेषा नक्षत्र सुकर्म योग
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Published : Mar 14, 2022, 9:54 PM IST

रायपुर: अश्लेषा नक्षत्र सुकर्मयोग बालव (Ashlesha Nakshatra Sukarmayoga Balav) और तैतिल करण आनंद योग और कर्क राशि की चंद्रमा में भौम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. ये व्रत मंगलवार को होने की वजह से इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. यह शुभ दिन गोविंद द्वादशी मीन संक्रांति खरमास रवि योग सर्वार्थ सिद्धि योग के अनेक महत्वपूर्ण लोगों में यह पर्व मनाया जाएगा. शिव के उपासकों, भक्तों और साधकों के लिए प्रदोष का व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस शुभ दिन शिव चालीसा महामृत्युंजय मंत्र (Shiv Chalisa Mahamrityunjaya Mantra) शिव संकल्प मंत्र लिंगाष्टकम रुद्राष्टकम शिव नमस्कार मंत्र और शिव जी के 108 नामों का जाप करने से शिव की कृपा भक्तों पर विशेष रूप से मिलती है.

ये भी पढ़ें-साप्ताहिक राशिफल (13 से 19 मार्च) : रंगों के हिसाब से जानें कैसा बीतेगा यह सप्ताह

आज के शुभ दिन एकाहार एकाशना निराहार फलाहार आदि के द्वारा उपवास को किया जाता है भगवान शिव की पूजा अर्चना विधानपूर्वक करनी चाहिए. आज के दिन शिव बाबा को जलाभिषेक, रुद्राभिषेक गंगा अभिषेक और नर्मदा के जल से अभिषेक करना परम कल्याणकारी माना गया है. भगवान शिव अक्षत चंदन परिमल श्वेत चंदन कपूर धतूरा आक के फूल और सफेद पुष्पों की माला (Aak flowers and white garland) से बहुत सुंदर शोभायमान होते हैं.यह दिन भोलेनाथ जी की उपासना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. विशेष तौर पर कुँवारी कन्याएं इस व्रत को करती हैं. तो निश्चित तौर पर उनके जीवन में शिव जैसे ही दुर्लभ गुणों से युक्त पति की प्राप्ति होने की संभावना बढ़ जाती है. माता पार्वती ने भी बरसों बरस तक इस व्रत का पालन किया था फल स्वरुप भगवान शिव उन्हें वर के रूप में प्राप्त होते हैं. सूर्य ग्रह का आगमन मीन राशि में होने जा रहा है. यह घटना मीन संक्रांति कहलाती है.

सूर्य लगभग 1 माह तक सभी राशियों में विद्यमान रहता है कि 30 अंश की चाल को प्रतिदिन एक-एक अंश चलकर सूर्य पूर्ण करता है लगभग 14 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक सूर्य मीन राशि में गतिशील रहेगा यह गुरु ग्रह की राशि मानी जाती है इस राशि में आने पर सभी तरह के वैवाहिक कार्यक्रम बंद हो जाते हैं विवाह की चर्चा की जा सकती है. इस महीने में सूर्य की उपासना श्री हरि विष्णु की उपासना श्रेष्ठ रास्ता है आज के शुभ दिन धाम प्रदोष के साथ सूर्य की उपासना करनी चाहिए आज के दिन सूर्य नमस्कार करते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए इसके साथ ही श्री गायत्री मंत्र आदित्य हृदय स्त्रोत सूर्य चालीसा सूर्य के वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए यह दिन जीवित माता-पिता की सेवा करने के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है आज के शुभ दिन जीवित माता-पिता को प्रसन्न रखने का प्रयास करना चाहिए पितरों के लिए पूजा करनी चाहिए.

रायपुर: अश्लेषा नक्षत्र सुकर्मयोग बालव (Ashlesha Nakshatra Sukarmayoga Balav) और तैतिल करण आनंद योग और कर्क राशि की चंद्रमा में भौम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. ये व्रत मंगलवार को होने की वजह से इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. यह शुभ दिन गोविंद द्वादशी मीन संक्रांति खरमास रवि योग सर्वार्थ सिद्धि योग के अनेक महत्वपूर्ण लोगों में यह पर्व मनाया जाएगा. शिव के उपासकों, भक्तों और साधकों के लिए प्रदोष का व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस शुभ दिन शिव चालीसा महामृत्युंजय मंत्र (Shiv Chalisa Mahamrityunjaya Mantra) शिव संकल्प मंत्र लिंगाष्टकम रुद्राष्टकम शिव नमस्कार मंत्र और शिव जी के 108 नामों का जाप करने से शिव की कृपा भक्तों पर विशेष रूप से मिलती है.

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आज के शुभ दिन एकाहार एकाशना निराहार फलाहार आदि के द्वारा उपवास को किया जाता है भगवान शिव की पूजा अर्चना विधानपूर्वक करनी चाहिए. आज के दिन शिव बाबा को जलाभिषेक, रुद्राभिषेक गंगा अभिषेक और नर्मदा के जल से अभिषेक करना परम कल्याणकारी माना गया है. भगवान शिव अक्षत चंदन परिमल श्वेत चंदन कपूर धतूरा आक के फूल और सफेद पुष्पों की माला (Aak flowers and white garland) से बहुत सुंदर शोभायमान होते हैं.यह दिन भोलेनाथ जी की उपासना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. विशेष तौर पर कुँवारी कन्याएं इस व्रत को करती हैं. तो निश्चित तौर पर उनके जीवन में शिव जैसे ही दुर्लभ गुणों से युक्त पति की प्राप्ति होने की संभावना बढ़ जाती है. माता पार्वती ने भी बरसों बरस तक इस व्रत का पालन किया था फल स्वरुप भगवान शिव उन्हें वर के रूप में प्राप्त होते हैं. सूर्य ग्रह का आगमन मीन राशि में होने जा रहा है. यह घटना मीन संक्रांति कहलाती है.

सूर्य लगभग 1 माह तक सभी राशियों में विद्यमान रहता है कि 30 अंश की चाल को प्रतिदिन एक-एक अंश चलकर सूर्य पूर्ण करता है लगभग 14 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक सूर्य मीन राशि में गतिशील रहेगा यह गुरु ग्रह की राशि मानी जाती है इस राशि में आने पर सभी तरह के वैवाहिक कार्यक्रम बंद हो जाते हैं विवाह की चर्चा की जा सकती है. इस महीने में सूर्य की उपासना श्री हरि विष्णु की उपासना श्रेष्ठ रास्ता है आज के शुभ दिन धाम प्रदोष के साथ सूर्य की उपासना करनी चाहिए आज के दिन सूर्य नमस्कार करते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए इसके साथ ही श्री गायत्री मंत्र आदित्य हृदय स्त्रोत सूर्य चालीसा सूर्य के वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए यह दिन जीवित माता-पिता की सेवा करने के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है आज के शुभ दिन जीवित माता-पिता को प्रसन्न रखने का प्रयास करना चाहिए पितरों के लिए पूजा करनी चाहिए.

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