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आरक्षण को लेकर शुरु हुई पोस्टर पॉलिटिक्स, बैनर पोस्टर लगाकर राजभवन पर निशाना

आरक्षण बिल 2022 के मुद्दे को लेकर एक बार फिर प्रदेश में हंगामा शुरू हो गया है. Poster politics started regarding reservation bill अब तक जिस मुद्दे को लेकर पक्ष विपक्ष आमने सामने थे. सरकार और राजभवन के बीच जिस मुद्दे को लेकर ठनी थी, अब इसी मुद्दे को लेकर जनता का गुस्सा भी फूट पड़ा है. यह गुस्सा अब राजधानी की सड़कों पर भी नजर आ रहा है. Raj Bhavan targeted by putting up posters राजधानी की कई सड़कों पर जगह जगह बैनर पोस्‍टर लगाये गए है, जो चर्चा का विषय बने हुए हैं.

Poster politics started regarding reservation bill
रायपुर की सड़कों में पोस्टर पॉलिटिक्स
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Published : Jan 1, 2023, 8:47 PM IST

रायपुर की कई सड़कों में लगाया गया पोस्टर

रायपुर: राजधानी के चौक चौराहों पर लगे इन बैनर पोस्टर में भाजपा कार्यालय की ओर इशारा किया गया है. Poster politics started regarding reservation bill पोस्टर में लिखा गया है कि राजभवन का संचालन अस्थाई रूप से कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में स्थानांतरित हो गया है. politics started regarding reservation bill इसके साथ ही पोस्टर बैनर में कुशाभाऊ ठाकरे परिसर (भाजपा कार्यालय) की ओर इशारा करते हुए लिखा है कि राजभवन इधर है. reservation bill 2022 कृपया सीधे वहीं संपर्क करें.

बैनर किसने लगाया, पता नहीं चला सका: हालांकि इन चौक चौराहों पर यह बैनर पोस्टर किसके द्वारा लगाया गया, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है. फिलहाल आरक्षण से वंचित लोगों द्वारा लगाया गया बैनर पोस्टर है या फिर राजनीतिक दल द्वारा. यह बता पाना मुश्किल है, लेकिन कई चौक चौराहों पर लगे यह बैनर पोस्टर जरूर लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं.

यह भी पढ़ें: आरक्षण संशोधन बिल पर राजभवन भेजे गए सभी 10 सवालों के जवाब: भूपेश बघेल


विधेयक में दिया गया है कुल 76 प्रतिशत आरक्षण: छत्तीसगढ़ में अब अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. मुख्यमंत्री ने लोकसेवा आरक्षण और शैक्षणिक संस्था प्रवेश में आरक्षण विधेयक सदन में पेश किया था. सदन में चर्चा के पश्चात सर्वसम्मति से विधेयक पारित हुआ था. राज्य में अब कुल 76 प्रतिशत आरक्षण हो गया है. अब ये बिल राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए लटका पड़ा है.

आरक्षण बिल पर सरकार और राजभवन के बीच तकरार: 2 दिसंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण बिल 2022 पास हुआ. बिल में राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए लिए सरकार के चार मंत्री उसी रात राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को आरक्षण विधेयक बिल सौंपा. लेकिन 23 दिन होने के बाद भी राज्यपाल ने बिल पर साइन नहीं किया. जिसके बाद आरक्षण विधेयक पर राजनीति शुरू हो गई. राज्यपाल ने सभी पक्ष जानने के बाद ही बिल पर हस्ताक्षर करने की बात कही. साथ ही शासन से 10 बिंदुओं पर जवाब मांगा. इस पर सरकार ने भी राज्यपाल पर भाजपा के दबाव में काम करने का आरोप लगाया. Reservation Bill 2022 in Chhattisgarh

रायपुर की कई सड़कों में लगाया गया पोस्टर

रायपुर: राजधानी के चौक चौराहों पर लगे इन बैनर पोस्टर में भाजपा कार्यालय की ओर इशारा किया गया है. Poster politics started regarding reservation bill पोस्टर में लिखा गया है कि राजभवन का संचालन अस्थाई रूप से कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में स्थानांतरित हो गया है. politics started regarding reservation bill इसके साथ ही पोस्टर बैनर में कुशाभाऊ ठाकरे परिसर (भाजपा कार्यालय) की ओर इशारा करते हुए लिखा है कि राजभवन इधर है. reservation bill 2022 कृपया सीधे वहीं संपर्क करें.

बैनर किसने लगाया, पता नहीं चला सका: हालांकि इन चौक चौराहों पर यह बैनर पोस्टर किसके द्वारा लगाया गया, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है. फिलहाल आरक्षण से वंचित लोगों द्वारा लगाया गया बैनर पोस्टर है या फिर राजनीतिक दल द्वारा. यह बता पाना मुश्किल है, लेकिन कई चौक चौराहों पर लगे यह बैनर पोस्टर जरूर लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं.

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विधेयक में दिया गया है कुल 76 प्रतिशत आरक्षण: छत्तीसगढ़ में अब अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. मुख्यमंत्री ने लोकसेवा आरक्षण और शैक्षणिक संस्था प्रवेश में आरक्षण विधेयक सदन में पेश किया था. सदन में चर्चा के पश्चात सर्वसम्मति से विधेयक पारित हुआ था. राज्य में अब कुल 76 प्रतिशत आरक्षण हो गया है. अब ये बिल राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए लटका पड़ा है.

आरक्षण बिल पर सरकार और राजभवन के बीच तकरार: 2 दिसंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण बिल 2022 पास हुआ. बिल में राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए लिए सरकार के चार मंत्री उसी रात राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को आरक्षण विधेयक बिल सौंपा. लेकिन 23 दिन होने के बाद भी राज्यपाल ने बिल पर साइन नहीं किया. जिसके बाद आरक्षण विधेयक पर राजनीति शुरू हो गई. राज्यपाल ने सभी पक्ष जानने के बाद ही बिल पर हस्ताक्षर करने की बात कही. साथ ही शासन से 10 बिंदुओं पर जवाब मांगा. इस पर सरकार ने भी राज्यपाल पर भाजपा के दबाव में काम करने का आरोप लगाया. Reservation Bill 2022 in Chhattisgarh

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