ETV Bharat / state

Vermi Compost: दो रुपए में गोबर बेचकर 10 रुपए किलो में खाद खरीदेंगे किसान, फैसले पर गरमाई सियासत

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर गोबर को लेकर सियासत (Politics over cow dung in Chhattisgarh) गरमाई हुई है. इस बार सरकार के उस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. जिसमें किसानों को गौठानों से वर्मी कंपोस्ट खाद (vermi compost manure) खरीदना अनिवार्य किया गया है. आदेश के मुताबिक दो बोरी वर्मी खाद खरीदने की शर्त पर किसानों को यूरिया और डीएपी दी जाएगी. इसे लेकर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने है. वहीं किसान भी फैसले का विरोध जता रहे हैं.

politics-over-purchase-of-vermi-compost-manure-in-chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में वर्मी कंपोस्ट खाद खरीदी को लेकर सियासत
author img

By

Published : Jul 5, 2021, 10:40 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में गोबर को लेकर एक बार फिर राजनीति (Politics over cow dung in Chhattisgarh) गरमा गई है. प्रदेश में जब से भूपेश सरकार (bhupesh government) ने गोबर खरीदी शुरू की है. उसके बाद से ही इसे लेकर पक्ष विपक्ष आमने-सामने हैं. कभी गोबर खरीदी में धांधली, कभी पैसों के भुगतान में गड़बड़ी, तो कभी खाद बनाने में लापरवाही जैसे आरोप सरकार पर लगते रहे हैं, लेकिन इस बार सरकार के उस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. जिसमें किसानों को गौठानों से वर्मी कंपोस्ट खाद (vermi compost manure) खरीदना अनिवार्य किया गया है.

छत्तीसगढ़ में वर्मी कंपोस्ट खाद खरीदी को लेकर सियासत

दो बोरी वर्मी खाद खरीदना होगा अनिवार्य

सरकार के आदेश के मुताबिक दो बोरी वर्मी खाद खरीदने की शर्त पर किसानों को यूरिया और डीएपी दी जाएगी. इस फैसले के बाद विपक्ष को बैठे-बिठाए एक और मुद्दा मिल गया है. विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार के खिलाफ हमलावर हो गई है. बीजेपी का सीधे तौर पर आरोप है कि राज्य सरकार किसानों से 2 रुपये किलो गोबर खरीद कर उन्हें वापस 10 रुपए किलो वर्मी कंपोस्ट खाद बेच रही है जो कहीं ना कहीं किसानों के साथ धोखा है.

चारा घोटाले से बड़ा होगा गोबर खरीदी घोटाला : उपासने

बीजेपी के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है, तब से किसानों के साथ लगातार अन्याय किया जा रहा है. भूपेश सरकार 2 रुपए किलो में गोबर खरीद कर उसे वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर किसानों को ही 10 रुपए में बेच रही है. यदि सरकार वर्मी कंपोस्ट खाद खरीदी के लिए किसानों को प्रोत्साहित करती तो समझ में आता, लेकिन दवाब में फैसला देना सरासर उचित नहीं है. उपासने ने कहा कि जितना भ्रष्टाचार बिहार में लालू के चारा घोटाला में नहीं हुआ, उससे कहीं ज्यादा भ्रष्टाचार गोबर खरीदी में निकलेगा.

गोबर खरीदी से बने वर्मी कंपोस्ट खाद की भारी मांग, किसानों को सोसाइटियां कर रहीं जागरूक

जैविक खाद को लेकर बीजेपी का दिख रहा फ्रस्ट्रेशन: कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शुक्ला ने कहा कि जैविक खाद को लेकर बीजेपी का फ्रस्टेशन साफ-साफ दिख रहा है. उन्होंने कहा कि 2 रुपये किलो गोबर खरीद का उसको कंपोस्ट कर 10 रुपए में बेचा जा रहा है. यह पूरी प्रक्रिया स्व. सहायता समूह के माध्यम से संचालित हो रही है इसमें सरकार नो प्रॉफिट-नो लॉस के तहत काम कर रही है. सरकार जैविक खेती की ओर छत्तीसगढ़ को ले जा रही है. रासायनिक खाद की अपेक्षा जैविक खाद का उपयोग करेंगे तो ज्यादा लाभदायक होगा. पैदावार की गुणवत्ता बढ़ेगी. इसका विरोध कर बीजेपी का छत्तीसगढ़ विरोधी चरित्र उजागर हो रहा है.

दबाव पूर्वक खाद बेचना है अनुचित: संयुक्त किसान मोर्चा

छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जागेश्वर प्रसाद का कहना है कि रासायनिक खाद के जो दुष्परिणाम हैं, उससे किसानों की जमीन बंजर होती जा रही है. उसको दूर करने के लिए जो राज्य सरकार ने रासायनिक खाद को खत्म कर कंपोस्ट खाद को प्रोत्साहन देने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई है, लेकिन सरकार को चाहिए कि वह कीमत के डिफरेंस को कम करे और अनिवार्यता को खत्म करे, जो खरीदना चाहे उसी को ही कंपोस्ट खाद दी जाए. हालांकि इसके प्रचार-प्रसार के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए.

गौठानों की बल्ले-बल्ले, वर्मी कंपोस्ट के लिए मिला नेशनल ऑर्डर, एडवांस में मिले 48 हजार रुपये

'नो प्रॉफिट-नो लॉस में किसानों को मिले कंपोस्ट खाद'

वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केसरवानी का कहना है कि किसानों को वर्मी कंपोस्ट खाद दबाव पूर्वक नहीं बेच जाना चाहिए. सरकार को चाहिए कि वह पहले किसानों को प्रोत्साहित करे. पहले किसानों को यह समझाए कि जैविक खाद का क्या महत्व है और रासायनिक खाद से हमें क्या नुकसान है. यदि सरकार इस ओर ध्यान देती है तो संभव है कि आने वाले समय में प्रदेश के किसान रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का ज्यादा इस्तेमाल करने लगेंगे.

गोधन न्याय योजना की 20 जुलाई 2020 को हुई थी शुरुआत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) की पहल पर हरेली पर्व पर 20 जुलाई 2020 से गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana in chhattisgarh) की शुरुआत की गई थी. योजना के तहत पशुपालकों और ग्रामीणों से 2 रुपये प्रति किलो की दर पर गोबर खरीदी की जा रही है. खरीदे गए गोबर से गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों की मदद से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा है.

गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं दंतेवाड़ा की महिलाएं

जैविक खाद को बढ़ावा देना सरकार का है उद्देश्य

छत्तीसगढ़ सरकार जैविक खेती को प्रोत्साहित (encouraged organic farming in chhattisgarh) कर रही है. गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए किलो में गोबर की खरीदी की जा रही है. जिसे स्वसहायता समूह की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट खाद बना रही हैं. वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट के विक्रय की व्यवस्था सोसाइटियों के माध्यम से की गई है. किसानों को वर्मी कंपोस्ट 10 रुपए किलो और सुपर कंपोस्ट 6 रुपए किलो की दर से उपलब्ध कराई जा रही है.

वर्मी कंपोस्ट से बढ़ती है जमीन की उर्वरा शक्ति

सरकार क्या कहना है कि वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. फसल उत्पादन बेहतर होता है. खेती की लागत में कमी आती है. इसके उपयोग से मिट्टी की जलधारण क्षमता में सुधार होने के साथ ही मृदा का क्षरण रुकता है. जैविक खाद से उत्पादित खाद्यान्न, फल, सब्जी की पौष्टिकता और गुणवत्ता बेहतर होती है. जैविक उत्पादों को बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसानों को लाभ होता है. यह खाद भूमि में पोषक तत्वों की हानि को रोकती है. वर्मी और सुपर कंपोस्ट के उपयोग से फसलों में कीट व्याधि का प्रकोप कम होता है.

SPECIAL: दुर्ग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वर्मी कंपोस्ट खाद की टेस्टिंग में प्रथम

अब तक 48.32 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी

1 जुलाई 2021 को मिली जानकारी के अनुसार गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश के गौठानो से अब तक 48.32 लाख क्विंटल गोबर क्रय किया जा चुका है. इसके एवज में गोबर विक्रेता पशुपालकों को 96 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का ऑनलाइन भुगतान किया जा चुका है. इसमें 1 लाख 70 हजार पशुपालक लाभांवित हुए हैं. इसमें भूमिहीन की संख्या 75 हजार से अधिक है.

गौठानों में बड़ी मात्रा में वर्मी कंपोस्ट खाद का निर्माण

गौठानों में अब तक 5.50 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट और 2 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा चुका है. गौठान समितियों को 11.68 करोड़ और महिला समूह को 7.82 करोड़ों रुपए की राशि लाभांश के रूप में मिल चुकी है. महिला स्वयं सहायता समूहों का गौठानो में संचालित विभिन्न आय मूलक की गतिविधियों से अब तक 29 करोड़ रुपए की आय हो चुकी है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में गोबर को लेकर एक बार फिर राजनीति (Politics over cow dung in Chhattisgarh) गरमा गई है. प्रदेश में जब से भूपेश सरकार (bhupesh government) ने गोबर खरीदी शुरू की है. उसके बाद से ही इसे लेकर पक्ष विपक्ष आमने-सामने हैं. कभी गोबर खरीदी में धांधली, कभी पैसों के भुगतान में गड़बड़ी, तो कभी खाद बनाने में लापरवाही जैसे आरोप सरकार पर लगते रहे हैं, लेकिन इस बार सरकार के उस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. जिसमें किसानों को गौठानों से वर्मी कंपोस्ट खाद (vermi compost manure) खरीदना अनिवार्य किया गया है.

छत्तीसगढ़ में वर्मी कंपोस्ट खाद खरीदी को लेकर सियासत

दो बोरी वर्मी खाद खरीदना होगा अनिवार्य

सरकार के आदेश के मुताबिक दो बोरी वर्मी खाद खरीदने की शर्त पर किसानों को यूरिया और डीएपी दी जाएगी. इस फैसले के बाद विपक्ष को बैठे-बिठाए एक और मुद्दा मिल गया है. विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार के खिलाफ हमलावर हो गई है. बीजेपी का सीधे तौर पर आरोप है कि राज्य सरकार किसानों से 2 रुपये किलो गोबर खरीद कर उन्हें वापस 10 रुपए किलो वर्मी कंपोस्ट खाद बेच रही है जो कहीं ना कहीं किसानों के साथ धोखा है.

चारा घोटाले से बड़ा होगा गोबर खरीदी घोटाला : उपासने

बीजेपी के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है, तब से किसानों के साथ लगातार अन्याय किया जा रहा है. भूपेश सरकार 2 रुपए किलो में गोबर खरीद कर उसे वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर किसानों को ही 10 रुपए में बेच रही है. यदि सरकार वर्मी कंपोस्ट खाद खरीदी के लिए किसानों को प्रोत्साहित करती तो समझ में आता, लेकिन दवाब में फैसला देना सरासर उचित नहीं है. उपासने ने कहा कि जितना भ्रष्टाचार बिहार में लालू के चारा घोटाला में नहीं हुआ, उससे कहीं ज्यादा भ्रष्टाचार गोबर खरीदी में निकलेगा.

गोबर खरीदी से बने वर्मी कंपोस्ट खाद की भारी मांग, किसानों को सोसाइटियां कर रहीं जागरूक

जैविक खाद को लेकर बीजेपी का दिख रहा फ्रस्ट्रेशन: कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शुक्ला ने कहा कि जैविक खाद को लेकर बीजेपी का फ्रस्टेशन साफ-साफ दिख रहा है. उन्होंने कहा कि 2 रुपये किलो गोबर खरीद का उसको कंपोस्ट कर 10 रुपए में बेचा जा रहा है. यह पूरी प्रक्रिया स्व. सहायता समूह के माध्यम से संचालित हो रही है इसमें सरकार नो प्रॉफिट-नो लॉस के तहत काम कर रही है. सरकार जैविक खेती की ओर छत्तीसगढ़ को ले जा रही है. रासायनिक खाद की अपेक्षा जैविक खाद का उपयोग करेंगे तो ज्यादा लाभदायक होगा. पैदावार की गुणवत्ता बढ़ेगी. इसका विरोध कर बीजेपी का छत्तीसगढ़ विरोधी चरित्र उजागर हो रहा है.

दबाव पूर्वक खाद बेचना है अनुचित: संयुक्त किसान मोर्चा

छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जागेश्वर प्रसाद का कहना है कि रासायनिक खाद के जो दुष्परिणाम हैं, उससे किसानों की जमीन बंजर होती जा रही है. उसको दूर करने के लिए जो राज्य सरकार ने रासायनिक खाद को खत्म कर कंपोस्ट खाद को प्रोत्साहन देने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई है, लेकिन सरकार को चाहिए कि वह कीमत के डिफरेंस को कम करे और अनिवार्यता को खत्म करे, जो खरीदना चाहे उसी को ही कंपोस्ट खाद दी जाए. हालांकि इसके प्रचार-प्रसार के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए.

गौठानों की बल्ले-बल्ले, वर्मी कंपोस्ट के लिए मिला नेशनल ऑर्डर, एडवांस में मिले 48 हजार रुपये

'नो प्रॉफिट-नो लॉस में किसानों को मिले कंपोस्ट खाद'

वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केसरवानी का कहना है कि किसानों को वर्मी कंपोस्ट खाद दबाव पूर्वक नहीं बेच जाना चाहिए. सरकार को चाहिए कि वह पहले किसानों को प्रोत्साहित करे. पहले किसानों को यह समझाए कि जैविक खाद का क्या महत्व है और रासायनिक खाद से हमें क्या नुकसान है. यदि सरकार इस ओर ध्यान देती है तो संभव है कि आने वाले समय में प्रदेश के किसान रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का ज्यादा इस्तेमाल करने लगेंगे.

गोधन न्याय योजना की 20 जुलाई 2020 को हुई थी शुरुआत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) की पहल पर हरेली पर्व पर 20 जुलाई 2020 से गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana in chhattisgarh) की शुरुआत की गई थी. योजना के तहत पशुपालकों और ग्रामीणों से 2 रुपये प्रति किलो की दर पर गोबर खरीदी की जा रही है. खरीदे गए गोबर से गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों की मदद से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा है.

गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं दंतेवाड़ा की महिलाएं

जैविक खाद को बढ़ावा देना सरकार का है उद्देश्य

छत्तीसगढ़ सरकार जैविक खेती को प्रोत्साहित (encouraged organic farming in chhattisgarh) कर रही है. गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए किलो में गोबर की खरीदी की जा रही है. जिसे स्वसहायता समूह की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट खाद बना रही हैं. वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट के विक्रय की व्यवस्था सोसाइटियों के माध्यम से की गई है. किसानों को वर्मी कंपोस्ट 10 रुपए किलो और सुपर कंपोस्ट 6 रुपए किलो की दर से उपलब्ध कराई जा रही है.

वर्मी कंपोस्ट से बढ़ती है जमीन की उर्वरा शक्ति

सरकार क्या कहना है कि वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट के प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. फसल उत्पादन बेहतर होता है. खेती की लागत में कमी आती है. इसके उपयोग से मिट्टी की जलधारण क्षमता में सुधार होने के साथ ही मृदा का क्षरण रुकता है. जैविक खाद से उत्पादित खाद्यान्न, फल, सब्जी की पौष्टिकता और गुणवत्ता बेहतर होती है. जैविक उत्पादों को बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसानों को लाभ होता है. यह खाद भूमि में पोषक तत्वों की हानि को रोकती है. वर्मी और सुपर कंपोस्ट के उपयोग से फसलों में कीट व्याधि का प्रकोप कम होता है.

SPECIAL: दुर्ग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला वर्मी कंपोस्ट खाद की टेस्टिंग में प्रथम

अब तक 48.32 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी

1 जुलाई 2021 को मिली जानकारी के अनुसार गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश के गौठानो से अब तक 48.32 लाख क्विंटल गोबर क्रय किया जा चुका है. इसके एवज में गोबर विक्रेता पशुपालकों को 96 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का ऑनलाइन भुगतान किया जा चुका है. इसमें 1 लाख 70 हजार पशुपालक लाभांवित हुए हैं. इसमें भूमिहीन की संख्या 75 हजार से अधिक है.

गौठानों में बड़ी मात्रा में वर्मी कंपोस्ट खाद का निर्माण

गौठानों में अब तक 5.50 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट और 2 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा चुका है. गौठान समितियों को 11.68 करोड़ और महिला समूह को 7.82 करोड़ों रुपए की राशि लाभांश के रूप में मिल चुकी है. महिला स्वयं सहायता समूहों का गौठानो में संचालित विभिन्न आय मूलक की गतिविधियों से अब तक 29 करोड़ रुपए की आय हो चुकी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.