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छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर सियासत, सीएम बघेल का राज्यपाल पर निशाना, बीजेपी के दवाब में नहीं कर रहीं साइन

Politics on reservation in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. आरक्षण के मुद्दे को लेकर लगातार आरोप प्रत्यारोप जारी है. bhupesh baghel target Governor Anusuiya Uikey इस बीच राज्यपाल के आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं किया जाना भी एक चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि "राज्यपाल आदिवासी भोली महिला है और निश्चल है. लेकिन भाजपा के जो लोग हैं. वह दबाव बनाकर रखे हैं. उस कारण से उनको किंतु परंतु करना पड़ रहा है." Governor Anusuiya Uikey on reservation bill

Politics on reservation in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर सियासत जारी
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Published : Dec 14, 2022, 4:01 PM IST

छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर सियासत जारी

रायपुर: Politics on reservation in Chhattisgarh आरक्षण बिल पर राज्यपाल के द्वारा अब तक हस्ताक्षर ने किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि "बीजेपी आरक्षण की विरोधी है. आरक्षण पर अजय चंद्राकर का बयान विधानसभा का निकाल कर के देख लीजिए. उन्होंने कहा मैं पार्टी में बंधा हुआ हूं. लेकिन व्यक्तिगत विचार में मैं आरक्षण का विरोधी हूं. यही हाल भाजपा के हर नेताओं का है. वे आरक्षण के विरोधी हैं. चाहें वे 32 प्रतिशत आदिवासियों को देने की बात हो, 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग की हो 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति के हो और 4 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के हो. जो राज्यपाल यह कहे मैं तुरंत हस्ताक्षर करूंगी. अब किंतु परंतु कर रही हैं. इसका मतलब यह है कि वह चाहती थीं साइन करना." reservation bill of chhattisgarh


सीएम ने भाजपा पर लगाए आरोप: bhupesh baghel target Governor Anusuiya Uikey सीएम बघेल ने कहा कि "आरक्षण का बिल सिर्फ एक वर्ग के लिए नहीं होता है. जो प्रावधान है. वह सभी वर्गों के लिए है. आरक्षण तो एक ही साथ आएगा. विधानसभा में धरमलाल कौशिक ओर रमन सिंह का भाषण निकाल कर देख लीजिए. उसमें आपको भाजपा के कई मुंह दिखेंगे. भाजपा के एक नेता कहते हैं कि 70 दिन क्या किए. दूसरे कहते हैं इतना जल्दी आरक्षण लाने की क्या जरूरत थी. भाजपा दोनों बात कहेंगे दो मुंह हैं उनके. जब विधानसभा से एक्ट पारित हुआ है. तो राजभवन में रोका नहीं जाना चाहिए. तत्काल इस पर साइन किया जाना चाहिए." reservation bill of chhattisgarh


बिल पर राज्यपाल ने क्या कहा था: आपको बात दें कि आरक्षण मामले को लेकर शनिवार के राज्यपाल का एक बड़ा बयान सामने आया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि "हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत पर असंवैधानिक घोषित कर दिया है. यहां तो बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया है. अगर केवल आदिवासी जनजाति समाज का होता 20 से 32 तो मुझे तत्काल हस्ताक्षर करने में कोई दिक्कत नहीं थी. आरक्षण बिल की पूरी जांच के बाद हस्ताक्षर करूंगी." राज्यपाल अनुसूईया उइके ने यह बयान धमतरी के रेस्ट हाउस में पत्रकारों से चर्चा के दौरान दिया था. राज्यपाल ने कहा था कि "2012 का 58 प्रतिशत वाला बिल कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया था. अभी नए बिल में सरकार की क्या तैयारी है ये देखना जरूरी है. नए बिल की जांच में समय लग रहा है. जैसे ही मैं नए बिल पर सरकार की तैयारी से संतुष्ट हो जाऊंगी, हस्ताक्षर कर दूंगी."

यह भी पढ़ें: वंदे भारत ट्रेन को लेकर सीएम भूपेश का बयान, नहीं मिला ओपनिंग सेरेमनी का निमंत्रण

यह है अभी तक का घटनाक्रम: गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण बिल 2 दिसंबर को पारित हो गया था. उसी रात राज्य सरकार के मंत्री इस बिल को लेकर राजभवन पहुंचे थे. जहां उन्होंने राज्यपाल को बिल सौंपते हुए जल्द से जल्द हस्ताक्षर करने का आग्रह किया था. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह बिल लागू हो जाना था. लेकिन आज दिनांक तक राज्यपाल के द्वारा इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं किया गया है. जबकि राज्यपाल ने कहा था कि जैसे ही यह बिल उनके पास आएगा. वे बिना देरी तत्काल उस उस पर हस्ताक्षर कर देंगी. लेकिन उन्होंने बिल में अभी तक हस्ताक्षर नहीं किया है. जिसके बाद राज्यपाल ने खुद इस बात की जानकारी दी कि शनिवार और रविवार छुट्टी होने की वजह से वह इस बिल पर विधि सलाह नहीं ले पाई हैं. इसलिए सोमवार को विधि सलाह लेकर इस पर हस्ताक्षर कर देंगी. लेकिन आज दिनांक तक इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं.

छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर सियासत जारी

रायपुर: Politics on reservation in Chhattisgarh आरक्षण बिल पर राज्यपाल के द्वारा अब तक हस्ताक्षर ने किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि "बीजेपी आरक्षण की विरोधी है. आरक्षण पर अजय चंद्राकर का बयान विधानसभा का निकाल कर के देख लीजिए. उन्होंने कहा मैं पार्टी में बंधा हुआ हूं. लेकिन व्यक्तिगत विचार में मैं आरक्षण का विरोधी हूं. यही हाल भाजपा के हर नेताओं का है. वे आरक्षण के विरोधी हैं. चाहें वे 32 प्रतिशत आदिवासियों को देने की बात हो, 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग की हो 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति के हो और 4 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के हो. जो राज्यपाल यह कहे मैं तुरंत हस्ताक्षर करूंगी. अब किंतु परंतु कर रही हैं. इसका मतलब यह है कि वह चाहती थीं साइन करना." reservation bill of chhattisgarh


सीएम ने भाजपा पर लगाए आरोप: bhupesh baghel target Governor Anusuiya Uikey सीएम बघेल ने कहा कि "आरक्षण का बिल सिर्फ एक वर्ग के लिए नहीं होता है. जो प्रावधान है. वह सभी वर्गों के लिए है. आरक्षण तो एक ही साथ आएगा. विधानसभा में धरमलाल कौशिक ओर रमन सिंह का भाषण निकाल कर देख लीजिए. उसमें आपको भाजपा के कई मुंह दिखेंगे. भाजपा के एक नेता कहते हैं कि 70 दिन क्या किए. दूसरे कहते हैं इतना जल्दी आरक्षण लाने की क्या जरूरत थी. भाजपा दोनों बात कहेंगे दो मुंह हैं उनके. जब विधानसभा से एक्ट पारित हुआ है. तो राजभवन में रोका नहीं जाना चाहिए. तत्काल इस पर साइन किया जाना चाहिए." reservation bill of chhattisgarh


बिल पर राज्यपाल ने क्या कहा था: आपको बात दें कि आरक्षण मामले को लेकर शनिवार के राज्यपाल का एक बड़ा बयान सामने आया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि "हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत पर असंवैधानिक घोषित कर दिया है. यहां तो बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया है. अगर केवल आदिवासी जनजाति समाज का होता 20 से 32 तो मुझे तत्काल हस्ताक्षर करने में कोई दिक्कत नहीं थी. आरक्षण बिल की पूरी जांच के बाद हस्ताक्षर करूंगी." राज्यपाल अनुसूईया उइके ने यह बयान धमतरी के रेस्ट हाउस में पत्रकारों से चर्चा के दौरान दिया था. राज्यपाल ने कहा था कि "2012 का 58 प्रतिशत वाला बिल कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया था. अभी नए बिल में सरकार की क्या तैयारी है ये देखना जरूरी है. नए बिल की जांच में समय लग रहा है. जैसे ही मैं नए बिल पर सरकार की तैयारी से संतुष्ट हो जाऊंगी, हस्ताक्षर कर दूंगी."

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यह है अभी तक का घटनाक्रम: गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण बिल 2 दिसंबर को पारित हो गया था. उसी रात राज्य सरकार के मंत्री इस बिल को लेकर राजभवन पहुंचे थे. जहां उन्होंने राज्यपाल को बिल सौंपते हुए जल्द से जल्द हस्ताक्षर करने का आग्रह किया था. राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह बिल लागू हो जाना था. लेकिन आज दिनांक तक राज्यपाल के द्वारा इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं किया गया है. जबकि राज्यपाल ने कहा था कि जैसे ही यह बिल उनके पास आएगा. वे बिना देरी तत्काल उस उस पर हस्ताक्षर कर देंगी. लेकिन उन्होंने बिल में अभी तक हस्ताक्षर नहीं किया है. जिसके बाद राज्यपाल ने खुद इस बात की जानकारी दी कि शनिवार और रविवार छुट्टी होने की वजह से वह इस बिल पर विधि सलाह नहीं ले पाई हैं. इसलिए सोमवार को विधि सलाह लेकर इस पर हस्ताक्षर कर देंगी. लेकिन आज दिनांक तक इस बिल पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं.

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