रायपुर: शराबबंदी को लेकर विपक्ष का कहना है कि, एक ओर कांग्रेस के नेता अपनी दुकानों में शराब के ठेके खुलवा कर शराब बेच रहे हैं. दूसरी ओर शराबबंदी की बात कर रहे हैं, यह कैसे संभव है. वहीं राजनीति के जानकार भी कहते हैं कि प्रदेश में वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए नहीं लग रहा है कि शराबबंदी हो सकती है. क्योंकि सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि नोटबंदी की तर्ज पर रस्ता अचानक बंद नहीं किया जा सकता.
शराबबंदी में राजस्व एक बड़ी बाधा: इसका दूसरा पहलू यह भी है कि इससे बहुत बड़ा राजस्व सरकार को प्राप्त होता है. जो सरकार की कई योजनाओं के क्रियान्वयन और विकास के काम आता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार चुनाव के पहले शराबबंदी कर पाएगी या नहीं.
"कांग्रेस नेताओं की दुकानों में बिक रही शराब": शराबबंदी मामले को लेकर आबकारी मंत्री कवासी लखमा के बयान पर भाजपा हमलावर है. भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर का कहना है कि, "एक ओर सरकार शराबबंदी की बात कर रही है और दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं की दुकान में ही शराब बिक रही है." ठाकुर ने कहा कि "डौंडीलोहारा में स्थित अंग्रेजी शराब दुकान और चखना सेंटर 755 /1खसरा नंबर पर स्थित है. यह राज्य सरकार के मंत्री के नाम पर है. यहां से शराब एवं चखना परोसी जा रही है."
"प्रदेश में शराबबंदी नहीं है संभव": राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा ने कहा कि "वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए नहीं लग रहा है कि प्रदेश में चुनाव के पहले शराबबंदी हो सकती है. इसकी संभावना कम है. दूसरी वजह उन्होंने राजस्व प्राप्ति भी बताई. जो भी प्रदेश के विकास कार्य किए जा रहे हैं, उसमें इस राजस्व का बहुत बड़ा योगदान है. इसके अलावा अन्य कल्याणकारी योजनाओं में भी शराब से मिलने वाले राजस्व का उपयोग किया जाता है, जो काफी बड़ी रकम है."
कांग्रेस को भारी पड़ेगी महिला वोटरों की नाराजगी: वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा ने कहा कि "यदि शराबबंदी नहीं की गई, तो कहीं ना कहीं आगामी विधानसभा चुनाव में महिला वोटरों की नाराजगी का खामियाजा भी कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ सकता है. क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जारी जन घोषणापत्र में कांग्रेस ने शराबबंदी का वादा किया था. उसके बाद महिलाओं ने कांग्रेस को बंपर वोट दिए. जिस वजह से वह सरकार बनाने में कामयाब रही. लेकिन अब तक शराबबंदी ना किए जाने से इन महिलाओं में काफी नाराजगी है. यदि शराबबंदी हो गई, तो चुनाव पर भी इसका प्रभाव दिखेगा."
शराबबंदी न किए जाने की बड़ी वजह: शराबबंदी न किए जाने की एक वजह यह भी हो सकती है कि गुजरात में एक तरफ से तटीय क्षेत्र है. समुद्र क्षेत्र है, तो शराब के अवैध परिवहन रोकने में जो टेंशन है गुजरात सरकार के लिए, वह अपने प्रदेश सीमा क्षेत्र पर ही हैं. छत्तीसगढ़ चारों ओर से घिरा हुआ है. कहां कहां से आप अवैध शराब को रोकेंगे. इसलिए यहां पर शराबबंदी करना संभव नहीं है."
लगभग 6 हजार करोड़ का राजस्व शराब बिक्री से इस साल होगा प्राप्त:
- 2019-20 में 4 हजार 9 सौ 52 करोड़ 79 लाख रुपये
- 2020-21 में 4 हजार 6 सौ 36 करोड़ 90 लाख रुपये
- 2021-22 में 5 हजार 1 सौ 10 करोड़ 15 लाख रुपये
- 2022-23 में 5 हजार 5 सौ 25 करोड़ 99 लाख रुपये
लखमा के इस बयान के बाद शराबबंदी की सुगबुगाहट: आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने शराबबंदी मामले को लेकर एक बयान दिया. जिसमें उन्होंने कहा है कि "शराबबंदी के लिए जो टीम गठित की गई है. वह लगातार अन्य राज्यों का भ्रमण कर रही है. इसके बाद यह टीम एक रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को सौंपेगी और उस रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार प्रदेश में शराबबंदी करनी है या नहीं, उसको लेकर निर्णय लेगी."
"बस्तर में शराबबंदी का निर्णय पंचायत लेगी:" इस दौरान आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने विपक्ष पर भी निशाना साधा. लखमा ने कहा कि "विपक्ष के लोगों ने इस कमेटी के लिए अपने सदस्यों का नाम नहीं दिया." इस दौरान कवासी लखमा ने स्पष्ट कर दिया कि बस्तर में शराबबंदी नहीं होगी. क्योंकि वहां के आदिवासी शराब का इस्तेमाल पूजा पाठ में करते हैं. बस्तर में नियम अलग होगा. वहां शराबबंदी करना है या नहीं, इसका निर्णय पंचायत लेगी."