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राज्यसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से कौन मारेगा बाजी ?

राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में कवायद तेज हो गई (Voting for Rajya Sabha seat ) है. स्थानीय नेताओं सहित अन्य राज्यों के नेताओं की सीट पर नजर है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिसे आलाकमान योग्य समझेगी उसे ही सदस्य बनाया जाएगा.

rajya sabha elections
राज्यसभा चुनाव का समीकरण
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Published : May 18, 2022, 10:24 PM IST

रायपुर: देशभर के 15 राज्यों में 57 राज्यसभा सीट पर चुनाव की घोषणा कर दी गई (Voting for Rajya Sabha seat) है. घोषणा के अनुसार 10 जून राज्यसभा सीट के लिए वोटिंग होगी. इसी दिन शाम तक राज्यसभा भेजने के लिए सदस्यों को चुन लिया जाएगा.

इसमें छत्तीसगढ़ के भी 2 सीट शामिल है. इसमें एक कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा और भाजपा के रामविचार नेताम का कार्यकाल इसी साल 29 जून को पूरा हो रहा है. इसलिए राज्य के कोटे से दो नए राज्यसभा सदस्य भेजे जाएंगे. विधायकों की संख्या बल के आधार पर इस बार यह दोनों सीटें कांग्रेस के पाले में है. यही वजह कि इस सीट के लिए छत्तीसगढ़ नेताओं सहित दिल्ली और अन्य राज्यों के नेताओं की भी नजर है. हालांकि बाहरी नेताओं को राज्य सभा भेजे जाने को लेकर पार्टी के अंदर ही विवाद की स्थिति बनी हुई है. लेकिन कोई भी नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है.

राज्यसभा चुनाव का सियासी समीकरण

केटीएस तुलसी राज्य के बाहर के सदस्य: वर्तमान में कांग्रेस के राज्यसभा सीट से केटीएस तुलसी सदस्य हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और देश के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहे हैं. लेकिन वो छत्तीसगढ़ के नहीं हैं, बावजूद इसके कांग्रेस ने उन्हें छत्तीसगढ़ कोटे की राज्यसभा सीट से सदस्य बनाया है. इसके पहले मोहसिना किदवई को कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था, वह भी छत्तीसगढ़ कि नहीं थी.

राज्यसभा की 2 सीटें होने वाली है खाली: छत्तीसगढ़ में 29 जून 2022 को राज्यसभा की 2 सीटें खाली होने वाली है. इन 2 सीटों में से एक-एक पर बीजेपी और कांग्रेस का कब्जा है. भाजपा से रामविचार नेताम राज्यसभा सांसद है तो वहीं कांग्रेस से छाया वर्मा को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था.

अब तक 5 में से 3 सीटों पर भाजपा का कब्जा: छत्तीसगढ़ बनने के बाद 15 साल तक बहुमत के आधार पर प्रदेश की 5 राज्यसभा सीटों में से 3 सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा है. 2 सीटें कांग्रेस के खाते में आई है. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बंपर जीत के बाद यहां का सियासी समीकरण बदल गया है. वोटों के गणित के आधार पर इस बार दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही है.

विधानसभा चुनाव में बंपर जीत का मिला था फायदा: विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत का फायदा कांग्रेस को पिछले राज्यसभा चुनाव के दौरान भी मिला है. जब केटीएस तुलसी और फूलों देवी नेताम को निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुना गया. इस बार भी कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है.

राज्यसभा की 2 सीटों पर चुनाव महज रहेगी औपचारिकता: छत्तीसगढ़ में राज्यसभा सदस्य के लिए 31 विधायकों का समर्थन चाहिए. फिलहाल कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं. लिहाजा दोनों सीटों पर कांग्रेस का निर्विरोध जीतना तय है. क्योंकि बीजेपी के 14 जोगी कांग्रेस के 3 और बसपा के 2 विधायक मिलाकर भी 31 की संख्या तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यानी छत्तीसगढ़ में राज्यसभा का चुनाव पिछली बार की तरह इस बार भी महज औपचारिकता ही रहेगा.

ऐसे में इन दो राज्यसभा सीटों पर किस तरह होगा चुनाव? आखिर पार्टी कौन सा बीच का रास्ता निकाल सकती है? इन सारे सवालों का जवाब जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की.

राज्यसभा सदस्य भी होना चाहिए स्थानीय: राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है,"हम चाहते हैं कि राज्यसभा सदस्य स्थानीय होना चाहिए. हमारे मुख्यमंत्री बहुत छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़िया की बात करते हैं. तो दोनों राज्यसभा सदस्य छत्तीसगढ़िया छत्तीसगढ़ी होना चाहिए."

उम्मीदवार हमारी पार्टी करेगी तय: बृजमोहन अग्रवाल के इस बयान पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "उम्मीदवार हमारी पार्टी तय करेगी, वह कौन है? वे मोदी और केंद्र सरकार को सलाह दें कि महंगाई कम करे. अपने पार्टी को सलाह दें कि छत्तीसगढ़ का जीएसटी, सेंट्रल एक्साइज का पैसा, जो भारत सरकार रोके हुए है हमे दे. 4140 करोड़ों पर कोयले की पेनाल्टी का पैसा रुका हुआ है, उसको दें. यदि वे छत्तीसगढ़ के हितैसी हैं तो इन चीजों को दें. राज्यसभा में कौन जाएगा, कौन नहीं जाएगा यह पार्टी तय करती है. इनके नौ लोकसभा सदस्य है, कभी उन्होंने छत्तीसगढ़ के हित में क्या बात की? छत्तीसगढ़ का ट्रेन बंद हो गया कभी कुछ बोला है? महंगाई पर कुछ उन्होंने बोला है?"

छत्तीसगढ़ की आवाज दिल्ली में उठाने वाला होना चाहिए उम्मीदवार: इस विषय में वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है, "कोई भी पार्टी राज्यसभा उम्मीदवार के लिए राजनीतिक जातिगत सहित तमाम समीकरणों को देखते हुए निर्णय लेती है. ऐसे में छत्तीसगढ़ को लेकर भी हाईकमान कुछ इसी तरह का निर्णय लेगी. इस दौरान रामअवतार तिवारी ने कहा कि राज्यसभा उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए, जो जातिगत सहित अन्य समीकरण से हटकर समाज के हित और लोगों के लिए काम करे. चाहे वो व्यक्ति राज्य का हो या राज्य के बाहर का. छत्तीसगढ़ की आवाज को दिल्ली तक पहुंचाने वाला होना चाहिए."

समीकरण के तहत बनाए जाते हैं उम्मीदवार: रामअवतार तिवारी ने कहा, "पिछले चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के पास बहुमत है. यही वजह है कि राज्यसभा की दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में जाएगी. ऐसे में कांग्रेस किसे उम्मीदवार बनाती है. यह पार्टी आलाकमान तय करेगी. यह पार्टी का आंतरिक मामला है. जनता के भावनाओं और विपक्ष की मांग की बात की जाए तो वे लोग अपने-अपने तरीके से भावनाओं को व्यक्त करते हैं. इस तरह का प्रत्याशी होना चाहिए. ऐसे व्यक्ति को राज्यसभा नहीं भेजना चाहिए, जिसका सरोकार छत्तीसगढ़ से ना हो. ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो छत्तीसगढ़ की आवाज दिल्ली में उठा सके. पार्टी की अपनी आंतरिक राजनीतिक फायदे, नफा नुकसान और समीकरण होते हैं. उसके तहत उम्मीदवार बनाए जाते हैं."

यह भी पढ़ें: मेरी अंतिम इच्छा... एक बार मैं राज्यसभा का सदस्य बनूं: चरणदास महंत

चरणदास महंत ने की थी राज्यसभा जाने की इच्छा जाहिर: विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने राज्य सभा की खाली हो रही सीटों के लिए दावेदारी ठोकी है. विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत का कहना है कि "राज्यसभा में जाने का फैसला हाईकमान करता है. वो जिसको चाहेंगे भेज सकते हैं. मैंने तो अपनी अंतिम इच्छा बताई थी. कम से कम मरने से पहले एक बार राज्यसभा में जाऊं. आज जाऊं या कल जाऊं या कब जाऊं यह अलग बात है. सब जगह काम कर लिया है तो एक शौक होता है कि राज्यसभा में भी जाएं. बाकी कोई और बात नहीं है.

पीआर खूंटे भी ठोक चुके हैं दावेदारी: वहीं, पूर्व सांसद एवं प्रदेश उपाध्यक्ष पी आर खूंटे ने भी राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के लिए अपना दावा ठोका है. उन्होंने पार्टी हाईकमान सहित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया को पत्र लिखकर खुद को राज्यसभा भेजे जाने की इच्छा जाहिर की है.



सिंहदेव पहले ही कर चुके हैं इनकार: पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने पहले ही राज्यसभा जाने से इनकार कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यसभा भेजे जाने के अटकलों पर कहा था कि मैं छत्तीसगढ़ में काम करूंगा, नहीं तो घर बैठूंगा.

इन नामों की है चर्चा: छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की दो सीटें खाली हो रही हैं. राजनीतिक जानकारों के अनुसार इन सीटों को लेकर भीतरखाने लोकल नेताओ में चरणदास महंत, टी एस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, राजेश तिवारी, धनेन्द्र साहू का नाम और केंद्रीय नेताओं में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम के नामों की चर्चा है. इस बीच कुछ ऐसे भी नेता हैं जिन्होंने अपनी ओर से उम्मीदवारी ठोकी है, जिसमें पी आर खूंटे भी शामिल है.

10 जून को होगा मतदान: बहरहाल छत्तीसगढ़ के राज्यसभा की 2 सीटें जून में खाली होने वाली है. उसके चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान भी हो गया है. इन सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है. उसी दिन शाम तक इसके परिणाम भी घोषित कर दिए जाएंगे. तारीखों के ऐलान के बाद इन सीटों पर किसे उम्मीदवार बनाया जाएगा? इसकी सुगबुगाहट तेज हो गई है. जहां एक ओर इन सीटों पर स्थानीय नेताओं को उतारे जाने की मांग और बात कही जा रही है. वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों के बड़े नेताओं की भी इस सीट पर नजर है.

रायपुर: देशभर के 15 राज्यों में 57 राज्यसभा सीट पर चुनाव की घोषणा कर दी गई (Voting for Rajya Sabha seat) है. घोषणा के अनुसार 10 जून राज्यसभा सीट के लिए वोटिंग होगी. इसी दिन शाम तक राज्यसभा भेजने के लिए सदस्यों को चुन लिया जाएगा.

इसमें छत्तीसगढ़ के भी 2 सीट शामिल है. इसमें एक कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा और भाजपा के रामविचार नेताम का कार्यकाल इसी साल 29 जून को पूरा हो रहा है. इसलिए राज्य के कोटे से दो नए राज्यसभा सदस्य भेजे जाएंगे. विधायकों की संख्या बल के आधार पर इस बार यह दोनों सीटें कांग्रेस के पाले में है. यही वजह कि इस सीट के लिए छत्तीसगढ़ नेताओं सहित दिल्ली और अन्य राज्यों के नेताओं की भी नजर है. हालांकि बाहरी नेताओं को राज्य सभा भेजे जाने को लेकर पार्टी के अंदर ही विवाद की स्थिति बनी हुई है. लेकिन कोई भी नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है.

राज्यसभा चुनाव का सियासी समीकरण

केटीएस तुलसी राज्य के बाहर के सदस्य: वर्तमान में कांग्रेस के राज्यसभा सीट से केटीएस तुलसी सदस्य हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और देश के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहे हैं. लेकिन वो छत्तीसगढ़ के नहीं हैं, बावजूद इसके कांग्रेस ने उन्हें छत्तीसगढ़ कोटे की राज्यसभा सीट से सदस्य बनाया है. इसके पहले मोहसिना किदवई को कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था, वह भी छत्तीसगढ़ कि नहीं थी.

राज्यसभा की 2 सीटें होने वाली है खाली: छत्तीसगढ़ में 29 जून 2022 को राज्यसभा की 2 सीटें खाली होने वाली है. इन 2 सीटों में से एक-एक पर बीजेपी और कांग्रेस का कब्जा है. भाजपा से रामविचार नेताम राज्यसभा सांसद है तो वहीं कांग्रेस से छाया वर्मा को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था.

अब तक 5 में से 3 सीटों पर भाजपा का कब्जा: छत्तीसगढ़ बनने के बाद 15 साल तक बहुमत के आधार पर प्रदेश की 5 राज्यसभा सीटों में से 3 सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा है. 2 सीटें कांग्रेस के खाते में आई है. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बंपर जीत के बाद यहां का सियासी समीकरण बदल गया है. वोटों के गणित के आधार पर इस बार दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही है.

विधानसभा चुनाव में बंपर जीत का मिला था फायदा: विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत का फायदा कांग्रेस को पिछले राज्यसभा चुनाव के दौरान भी मिला है. जब केटीएस तुलसी और फूलों देवी नेताम को निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुना गया. इस बार भी कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है.

राज्यसभा की 2 सीटों पर चुनाव महज रहेगी औपचारिकता: छत्तीसगढ़ में राज्यसभा सदस्य के लिए 31 विधायकों का समर्थन चाहिए. फिलहाल कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं. लिहाजा दोनों सीटों पर कांग्रेस का निर्विरोध जीतना तय है. क्योंकि बीजेपी के 14 जोगी कांग्रेस के 3 और बसपा के 2 विधायक मिलाकर भी 31 की संख्या तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यानी छत्तीसगढ़ में राज्यसभा का चुनाव पिछली बार की तरह इस बार भी महज औपचारिकता ही रहेगा.

ऐसे में इन दो राज्यसभा सीटों पर किस तरह होगा चुनाव? आखिर पार्टी कौन सा बीच का रास्ता निकाल सकती है? इन सारे सवालों का जवाब जानने की कोशिश ईटीवी भारत ने की.

राज्यसभा सदस्य भी होना चाहिए स्थानीय: राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है,"हम चाहते हैं कि राज्यसभा सदस्य स्थानीय होना चाहिए. हमारे मुख्यमंत्री बहुत छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़िया की बात करते हैं. तो दोनों राज्यसभा सदस्य छत्तीसगढ़िया छत्तीसगढ़ी होना चाहिए."

उम्मीदवार हमारी पार्टी करेगी तय: बृजमोहन अग्रवाल के इस बयान पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "उम्मीदवार हमारी पार्टी तय करेगी, वह कौन है? वे मोदी और केंद्र सरकार को सलाह दें कि महंगाई कम करे. अपने पार्टी को सलाह दें कि छत्तीसगढ़ का जीएसटी, सेंट्रल एक्साइज का पैसा, जो भारत सरकार रोके हुए है हमे दे. 4140 करोड़ों पर कोयले की पेनाल्टी का पैसा रुका हुआ है, उसको दें. यदि वे छत्तीसगढ़ के हितैसी हैं तो इन चीजों को दें. राज्यसभा में कौन जाएगा, कौन नहीं जाएगा यह पार्टी तय करती है. इनके नौ लोकसभा सदस्य है, कभी उन्होंने छत्तीसगढ़ के हित में क्या बात की? छत्तीसगढ़ का ट्रेन बंद हो गया कभी कुछ बोला है? महंगाई पर कुछ उन्होंने बोला है?"

छत्तीसगढ़ की आवाज दिल्ली में उठाने वाला होना चाहिए उम्मीदवार: इस विषय में वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है, "कोई भी पार्टी राज्यसभा उम्मीदवार के लिए राजनीतिक जातिगत सहित तमाम समीकरणों को देखते हुए निर्णय लेती है. ऐसे में छत्तीसगढ़ को लेकर भी हाईकमान कुछ इसी तरह का निर्णय लेगी. इस दौरान रामअवतार तिवारी ने कहा कि राज्यसभा उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए, जो जातिगत सहित अन्य समीकरण से हटकर समाज के हित और लोगों के लिए काम करे. चाहे वो व्यक्ति राज्य का हो या राज्य के बाहर का. छत्तीसगढ़ की आवाज को दिल्ली तक पहुंचाने वाला होना चाहिए."

समीकरण के तहत बनाए जाते हैं उम्मीदवार: रामअवतार तिवारी ने कहा, "पिछले चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के पास बहुमत है. यही वजह है कि राज्यसभा की दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में जाएगी. ऐसे में कांग्रेस किसे उम्मीदवार बनाती है. यह पार्टी आलाकमान तय करेगी. यह पार्टी का आंतरिक मामला है. जनता के भावनाओं और विपक्ष की मांग की बात की जाए तो वे लोग अपने-अपने तरीके से भावनाओं को व्यक्त करते हैं. इस तरह का प्रत्याशी होना चाहिए. ऐसे व्यक्ति को राज्यसभा नहीं भेजना चाहिए, जिसका सरोकार छत्तीसगढ़ से ना हो. ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो छत्तीसगढ़ की आवाज दिल्ली में उठा सके. पार्टी की अपनी आंतरिक राजनीतिक फायदे, नफा नुकसान और समीकरण होते हैं. उसके तहत उम्मीदवार बनाए जाते हैं."

यह भी पढ़ें: मेरी अंतिम इच्छा... एक बार मैं राज्यसभा का सदस्य बनूं: चरणदास महंत

चरणदास महंत ने की थी राज्यसभा जाने की इच्छा जाहिर: विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने राज्य सभा की खाली हो रही सीटों के लिए दावेदारी ठोकी है. विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत का कहना है कि "राज्यसभा में जाने का फैसला हाईकमान करता है. वो जिसको चाहेंगे भेज सकते हैं. मैंने तो अपनी अंतिम इच्छा बताई थी. कम से कम मरने से पहले एक बार राज्यसभा में जाऊं. आज जाऊं या कल जाऊं या कब जाऊं यह अलग बात है. सब जगह काम कर लिया है तो एक शौक होता है कि राज्यसभा में भी जाएं. बाकी कोई और बात नहीं है.

पीआर खूंटे भी ठोक चुके हैं दावेदारी: वहीं, पूर्व सांसद एवं प्रदेश उपाध्यक्ष पी आर खूंटे ने भी राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के लिए अपना दावा ठोका है. उन्होंने पार्टी हाईकमान सहित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया को पत्र लिखकर खुद को राज्यसभा भेजे जाने की इच्छा जाहिर की है.



सिंहदेव पहले ही कर चुके हैं इनकार: पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने पहले ही राज्यसभा जाने से इनकार कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यसभा भेजे जाने के अटकलों पर कहा था कि मैं छत्तीसगढ़ में काम करूंगा, नहीं तो घर बैठूंगा.

इन नामों की है चर्चा: छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की दो सीटें खाली हो रही हैं. राजनीतिक जानकारों के अनुसार इन सीटों को लेकर भीतरखाने लोकल नेताओ में चरणदास महंत, टी एस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, राजेश तिवारी, धनेन्द्र साहू का नाम और केंद्रीय नेताओं में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी, कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम के नामों की चर्चा है. इस बीच कुछ ऐसे भी नेता हैं जिन्होंने अपनी ओर से उम्मीदवारी ठोकी है, जिसमें पी आर खूंटे भी शामिल है.

10 जून को होगा मतदान: बहरहाल छत्तीसगढ़ के राज्यसभा की 2 सीटें जून में खाली होने वाली है. उसके चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान भी हो गया है. इन सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है. उसी दिन शाम तक इसके परिणाम भी घोषित कर दिए जाएंगे. तारीखों के ऐलान के बाद इन सीटों पर किसे उम्मीदवार बनाया जाएगा? इसकी सुगबुगाहट तेज हो गई है. जहां एक ओर इन सीटों पर स्थानीय नेताओं को उतारे जाने की मांग और बात कही जा रही है. वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों के बड़े नेताओं की भी इस सीट पर नजर है.

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