रायपुर: पुलिस परिवार संगठन के प्रमुख उज्जवल दीवान ने नियुक्तियों और भर्ती न होने से पीड़ितों को इकठ्ठा कर बूढ़ापारा में प्रदर्शन शुरू किया था. इसके अलावा छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ की संयुक्त बैठक रायपुर में आयोजित की गई थी. जिसमें नियमितीकरण को लेकर प्रदर्शन किया गया था. police parivar sangathan protest illegal
छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ का प्रदर्शन: रविवार को छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ की संयुक्त बैठक राजधानी में आयोजित की गई थी. इस अधिवेशन में कर्मचारी नेताओं ने बघेल सरकार पर हमला बोला. 4 साल बीत जाने के बाद भी नियमितीकरण के लिए शासन प्रशासन की ओर से ठोस निर्णय नहीं होने के कारण कर्मचारियों ने आंदोलन की बात कही. लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया. contractual employees protest in Raipur
संविधान देता है विचार रखने का अधिकार: वैसे तो देश का संविधान हर नागरिक को विचार की अभिव्यक्ति के अधिकार के तहत शांतिपूर्ण धरना और प्रदर्शन का हक देता है. हालांकि संविधान ही यह भी तय करता है कि इस पर वाजिब कारणों से रोक भी लगाई जा सकती है. वहीं धरना प्रदर्शन करना संवैधानिक अधिकार है. कानूनी जानकार बताते हैं कि "कानून के दायरे में शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन का अधिकार लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार है. लेकिन इससे दूसरे का अधिकार प्रभावित नहीं होना चाहिए. धरना प्रदर्शन की आड़ में हिंसा की इजाजत नहीं है."
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प्रदर्शन से पहले प्रशासन से अनुमति लेना जरुरी: धरना प्रदर्शन में किसी भी तरह की हिंसा न हो और प्रदर्शन के लिए पहले से अनुमति लेना जरूरी है. मौलिक अधिकारों का हवाला देकर अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के साथ ये भी जरूरी है कि सभी तरह के कानून का पालन किया जाए. कानून और व्यवस्था राज्य का मसला है. इसलिए इसको लेकर अलग अलग राज्यों में अलग अलग व्यवस्था है. लेकिन इसके लिए कुछ नियम कॉमन हैं जो तकरीबन हर जगह अपनाई जाती है.
इसके अलावा धरना प्रदर्शन से पहले पुलिस की अनुमति जरूरी है. इसके लिए पुलिस की परमिशन और उनसे नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना जरूरी है. अगर पुलिस को लगता है कि इससे इलाके की शांति को खतरा है और इससे तनाव या हिंसा के हालात पैदा हो सकते हैं तो पुलिस परमिट देने से मना कर सकती है.