ETV Bharat / state

Pola Tihar 2023: पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के शुभ संयोग में ऐसे मनाए पोला पर्व

Pola Tihar 2023: पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के शुभ संयोग में पोला पर्व मनाया जाएगा. इस दिन बैलों की खास पूजा होती है. सुबह से ही बैलों को नहला धुलाकर उनको सजाया जाता है. इसके बाद बैलों की खास विधि से पूजा की जाती है. कई जगहों पर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है.

Pola festival
पोला पर्व
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 13, 2023, 7:22 PM IST

Updated : Sep 14, 2023, 7:06 AM IST

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: भादो माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पोला पर्व मनाया जाता है. इस दिन बैलों की पूजा की जाती है. कई वृषभ राशि के जातक इस दिन व्रत रखते हैं. बैलों की पूजा के बाद वो दान पुण्य भी करते हैं. इस दिन बैलों की सेवा करना बेहद शुभ माना जाता है. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, खंडवा सहित मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व का खास महत्व है.

ऐसे की जाती है पूजा: पोला के दिन सुबह-सुबह शुभ मुहूर्त में बैलों की पूजा की जाती है. इन बैलों को किसान अपने परिवार का अभिन्न अंग मानकर इनको सम्मान देते हैं. उनकी पूजा करते हैं. सुबह से ही बैलों को नहला-धुलाकर सजाया जाता है. बैलों के सींग पर सुंदर रंगों की पॉलिश की जाती है. साथ ही बैलों के पैरों को भी रंगा जाता है. बैलों को विशेष सम्मान दिया जाता है. बैलों को नये कपड़े नये वस्त्र पहना कर सजाया जाता है. कई जगहों पर इस दिन बैल दौड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है.

इस दिन सुबह शुभ मुहूर्त में बैलों की पूजा की जाती है.सुबह बैलों को नहला-धुलाकर सजाया जाता है. बैलों के सींग पर सुंदर रंगों की पॉलिश की जाती है. साथ ही बैलों के पैरों को भी रंगा जाता है. बैलों को विशेष सम्मान दिया जाता है. कई जगहों पर इस दिन बैल दौड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है. -विनीत शर्मा, पंडित

ग्रामीणों और किसानों का खास पर्व है पोला, जानें महत्व
छत्तीसगढ़ में पोला तिहार की धूम, रायपुर में बैल दौड़ स्पर्धा का हुआ आयोजन
छत्तीसगढ़ी रंग में दिखे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पोला त्यौहार पर की बैलों की पूजा

कई जगहों पर प्रतियोगिता का किया जाता है आयोजन: ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व का खासा उत्साह देखने को मिलता है. इस दिन खुरमी, ठेठरी, भजिया, चटनी, खाजा जैसी मिठाइयां बनाई जाती है. छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजनों के साथ इस पर्व को मनाा जाता है. इस दिन पशुओं को सम्मान दिया जाता है. जगह-जगह गेड़ी चढ़ने का भी कार्यक्रम होता है. गेड़ी की दौड़ भी लगते हैं. छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी इस गेड़ी के प्रतियोगिता में भाग लेते हैं. छोटे-छोटे बच्चे रस्सी पड़कर मिट्टी के बने बैलों को लेकर दौड़ते हैं. यह दृश्य अत्यंत विहंगम दिखाई पड़ता है. इस दिन ग्रामीण महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं. विभिन्न प्रकार के व्यंजन पकाती हैं. चारों ओर दिवाली जैसा ही उत्साह देखने को मिलता है.

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: भादो माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पोला पर्व मनाया जाता है. इस दिन बैलों की पूजा की जाती है. कई वृषभ राशि के जातक इस दिन व्रत रखते हैं. बैलों की पूजा के बाद वो दान पुण्य भी करते हैं. इस दिन बैलों की सेवा करना बेहद शुभ माना जाता है. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, खंडवा सहित मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व का खास महत्व है.

ऐसे की जाती है पूजा: पोला के दिन सुबह-सुबह शुभ मुहूर्त में बैलों की पूजा की जाती है. इन बैलों को किसान अपने परिवार का अभिन्न अंग मानकर इनको सम्मान देते हैं. उनकी पूजा करते हैं. सुबह से ही बैलों को नहला-धुलाकर सजाया जाता है. बैलों के सींग पर सुंदर रंगों की पॉलिश की जाती है. साथ ही बैलों के पैरों को भी रंगा जाता है. बैलों को विशेष सम्मान दिया जाता है. बैलों को नये कपड़े नये वस्त्र पहना कर सजाया जाता है. कई जगहों पर इस दिन बैल दौड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है.

इस दिन सुबह शुभ मुहूर्त में बैलों की पूजा की जाती है.सुबह बैलों को नहला-धुलाकर सजाया जाता है. बैलों के सींग पर सुंदर रंगों की पॉलिश की जाती है. साथ ही बैलों के पैरों को भी रंगा जाता है. बैलों को विशेष सम्मान दिया जाता है. कई जगहों पर इस दिन बैल दौड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है. -विनीत शर्मा, पंडित

ग्रामीणों और किसानों का खास पर्व है पोला, जानें महत्व
छत्तीसगढ़ में पोला तिहार की धूम, रायपुर में बैल दौड़ स्पर्धा का हुआ आयोजन
छत्तीसगढ़ी रंग में दिखे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पोला त्यौहार पर की बैलों की पूजा

कई जगहों पर प्रतियोगिता का किया जाता है आयोजन: ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व का खासा उत्साह देखने को मिलता है. इस दिन खुरमी, ठेठरी, भजिया, चटनी, खाजा जैसी मिठाइयां बनाई जाती है. छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजनों के साथ इस पर्व को मनाा जाता है. इस दिन पशुओं को सम्मान दिया जाता है. जगह-जगह गेड़ी चढ़ने का भी कार्यक्रम होता है. गेड़ी की दौड़ भी लगते हैं. छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी इस गेड़ी के प्रतियोगिता में भाग लेते हैं. छोटे-छोटे बच्चे रस्सी पड़कर मिट्टी के बने बैलों को लेकर दौड़ते हैं. यह दृश्य अत्यंत विहंगम दिखाई पड़ता है. इस दिन ग्रामीण महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं. विभिन्न प्रकार के व्यंजन पकाती हैं. चारों ओर दिवाली जैसा ही उत्साह देखने को मिलता है.

Last Updated : Sep 14, 2023, 7:06 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.