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रायपुर: वक्ता मंच की ओर से हुआ काव्य गोष्ठी का आयोजन

प्रदेश की सामाजिक और साहित्यिक संस्था वक्ता मंच की ओर से शनिवार को बहुभाषी काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ. हिंदी, उर्दू, संस्कृत, छत्तीसगढ़ी और सिंधी भाषा के 50 से अधिक नवोदित और स्थापित कवियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी.

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Published : Feb 14, 2021, 12:25 AM IST

Poetry seminar organized
काव्य गोष्ठी का आयोजन

रायपुर: प्रदेश की सामाजिक और साहित्यिक संस्था वक्ता मंच की ओर से शनिवार को बहुभाषी काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ. प्रदेश स्तरीय गोष्ठी का आयोजन संतोष हाल मैग्नेटो माल रायपुर में किया गया था. इसमे हिंदी, उर्दू, संस्कृत, छत्तीसगढ़ी और सिंधी भाषा के 50 से अधिक नवोदित और स्थापित कवियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी. वक्ता मंच के अध्यक्ष राजेश पराते ने बताया कि कविता, गीत, ग़ज़ल, शायरी,दोहे और श्लोक सहित विभिन्न विधाओं में काव्य पाठ हुआ. गोष्ठी का मुख्य आकर्षण ट्रांसजेंडर समुदाय के कवि रवि अमरानी रहे, जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से इस समुदाय के प्रति समाज के घृणित नजरिए को पेश किया.

किसानों की आत्महत्याओं और उनकी पीड़ा को व्यक्त करती रोशन कुमार की यह पंक्तियां सराहनीय रही:-

सुनो जहर तो ले आये हो खा पाओगे क्या,
हमे इस हाल में छोड़कर जा पाओगे क्या?

वरिष्ठ कवि सुनील पांडे की इन पंक्तियों को भी बहुत वाहवाही मिली:-

जरा सी बात को बवंडर में बदल देते है
जज्बात को तूफानी मंजर में बदल देते है,
चुनाव की चलनी में वोट को चालकर
सहानुभति को सुनामी में बदल देते है.

आलिम नकवी की इन पंक्तियों ने बहुत वाहवाही बटोरी.

किसी की चापलूसी नाजबरदारी नही आई,
हमे मक्कार लोगो की तरफदारी नही आई,
गुजारी तुमने आलिम उम्र सारी शेरगोई में,
फकत शायर रहे तुम्हे अदाकारी नही आई.

इरतेका हैदरी की प्रस्तुति काबिले तारीफ रही.

उठ के जाएंगे कहाँ हम तेरे मैखाने से,
लिपटे रहने दे हमे साकिया पैमाने से,
होशवालों ने तो ऐ इरतेका बर्बाद किया,
दोस्ती अब के करूँगा किसी दीवाने से.

कांत मानिकपुरी की इन पंक्तियों को श्रोताओं ने बहुत पसंद किया.

जाओगे उनसे मिलने तो याद रखना,
जख्म अपने छुपा के रखो तो अच्छा हो.
पता है इक दिन कत्ल करोगे मेरा,
कत्ल बता के करो तो अच्छा हो.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजकुमार मसंद "राज" थे. आचार्य अमरनाथ त्यागी विशेष अतिथि के रुप में शामिल हुए थे. काव्य गोष्ठी का प्रभावी संचालन राजेश पराते और संयोजन शुभम साहू ने किया था. इस दौरान कोरोना काल में सम्पन्न विविध स्पर्धाओं के पुरुस्कार भी वितरित किए गए.

रायपुर: प्रदेश की सामाजिक और साहित्यिक संस्था वक्ता मंच की ओर से शनिवार को बहुभाषी काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ. प्रदेश स्तरीय गोष्ठी का आयोजन संतोष हाल मैग्नेटो माल रायपुर में किया गया था. इसमे हिंदी, उर्दू, संस्कृत, छत्तीसगढ़ी और सिंधी भाषा के 50 से अधिक नवोदित और स्थापित कवियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी. वक्ता मंच के अध्यक्ष राजेश पराते ने बताया कि कविता, गीत, ग़ज़ल, शायरी,दोहे और श्लोक सहित विभिन्न विधाओं में काव्य पाठ हुआ. गोष्ठी का मुख्य आकर्षण ट्रांसजेंडर समुदाय के कवि रवि अमरानी रहे, जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से इस समुदाय के प्रति समाज के घृणित नजरिए को पेश किया.

किसानों की आत्महत्याओं और उनकी पीड़ा को व्यक्त करती रोशन कुमार की यह पंक्तियां सराहनीय रही:-

सुनो जहर तो ले आये हो खा पाओगे क्या,
हमे इस हाल में छोड़कर जा पाओगे क्या?

वरिष्ठ कवि सुनील पांडे की इन पंक्तियों को भी बहुत वाहवाही मिली:-

जरा सी बात को बवंडर में बदल देते है
जज्बात को तूफानी मंजर में बदल देते है,
चुनाव की चलनी में वोट को चालकर
सहानुभति को सुनामी में बदल देते है.

आलिम नकवी की इन पंक्तियों ने बहुत वाहवाही बटोरी.

किसी की चापलूसी नाजबरदारी नही आई,
हमे मक्कार लोगो की तरफदारी नही आई,
गुजारी तुमने आलिम उम्र सारी शेरगोई में,
फकत शायर रहे तुम्हे अदाकारी नही आई.

इरतेका हैदरी की प्रस्तुति काबिले तारीफ रही.

उठ के जाएंगे कहाँ हम तेरे मैखाने से,
लिपटे रहने दे हमे साकिया पैमाने से,
होशवालों ने तो ऐ इरतेका बर्बाद किया,
दोस्ती अब के करूँगा किसी दीवाने से.

कांत मानिकपुरी की इन पंक्तियों को श्रोताओं ने बहुत पसंद किया.

जाओगे उनसे मिलने तो याद रखना,
जख्म अपने छुपा के रखो तो अच्छा हो.
पता है इक दिन कत्ल करोगे मेरा,
कत्ल बता के करो तो अच्छा हो.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजकुमार मसंद "राज" थे. आचार्य अमरनाथ त्यागी विशेष अतिथि के रुप में शामिल हुए थे. काव्य गोष्ठी का प्रभावी संचालन राजेश पराते और संयोजन शुभम साहू ने किया था. इस दौरान कोरोना काल में सम्पन्न विविध स्पर्धाओं के पुरुस्कार भी वितरित किए गए.

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