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छत्तीसगढ़ में साहू समाज को साधने के लिए PM ने लगाया जोर, पढ़िए इनकी पॉलीटिकल पावर

पीएम ने कहा कि राहुल गांधी कहते हैं कि, 'सभी मोदी चोर हैं, पीएम मोदी कहते हैं कि यहां के साहू अगर गुजरात में होते तो मोदी लिखते क्या इस तरह लोगों को चोर कहना शोभा देता है.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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Published : Apr 16, 2019, 10:48 PM IST

रायपुर: प्रधानमंत्री मोदी अपने आक्रमक शैली में प्रचार के लिए जाने जाते हैं. दूसरे चरण का प्रचार थमने से पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ में दो सभाएं कोरबा और भाटापारा में ली. इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला. पीएम ने कहा कि राहुल गांधी कहते हैं कि, 'सभी मोदी चोर हैं, पीएम मोदी कहते हैं कि यहां के साहू अगर गुजरात में होते तो मोदी लिखते क्या इस तरह लोगों को चोर कहना शोभा देता है.'

छत्तीसगढ़ में साहू समाज को साधने के लिए PM ने लगाया जोर

प्रधानमंत्री मोदी ने इस तरह बेहद चतुराई से साहू समाज को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है. जातिगत तरीके से एक समाज को अपने से जोड़ने की उनकी ये पहली कोशिश है. कैसे और क्यों ये समझते हैं.

छत्तीसगढ़ में 27 फीसदी से ज्यादा साहू
छत्तीसगढ़ में साहू समाज की आबादी 50 लाख से ज्यादा है यानी पूरे जनसंख्या का 27 फीसदी हिस्सा साहुओं का है. इस तरह ये समाज प्रदेश की सियासत में बड़ा दखल रखता है. खासतौर पर मैदानी इलाकों में साहुओं का जबरदस्त बोलबाला है. इस समाज की खासियत यह भी देखी गई है कि मतदान पूर्व आपस में चर्चा कर किसी एक दल का समर्थन करते हैं. इसलिए इस समाज को साधने की कोशिश चुनाव पूर्व सभी बड़े नेता करते आए हैं. अब खुद प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा दांव खेला है.

इन सीटों पर साहू समाज का दबदबा
छत्तीसगढ़ के धमतरी, महासमुंद, बालोद, दुर्ग, बेमेतरा, रायपुर, बलौदाबाजार, मुंगेली, बिलासपुर, राजनांदगांव, कवर्धा जिले में इनकी बहुलता है. अगर इन्हें लोकसभा सीट के लिहाज से देखा जाए तो
1. महासमुंद 2. रायपुर 3. दुर्ग 4. बिलासपुर 5. राजनांदगांव
सीट ऐसी हैं जहां साहू मतदाता किसी उम्मीदवार के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं. इसके अलावा जांजगीर, कोरबा और रायगढ़ में भी साहू समाज की ठीकठाक तादाद है.

पीएम के भाई भी सामाजिक तौर पर सक्रिय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी भी लगातार समाज की बैठकें ले रहे हैं. हालांकि उनका कहना है कि वे राजनीति में नहीं हैं सिर्फ समाज का ही काम कर रहे हैं. लेकिन जिस तरह उनकी बैठकों में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता उमड़ रहे हैं इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उनके इन कार्यक्रमों से भाजपा को लाभ मिल सकता है.

सियासत के केन्द्र में किसान इसलिए साहू समाज है अहम
इन दिनों दोनों पार्टियां किसानों को लेकर कई वादे कर रही हैं. विधानसभा चुनाव में ऋण माफी वाले वादे का जादू भी चला था. खास बात ये भी है कि साहू समाज मुख्य तौर पर खेती किसानी का काम करने वाला समाज है. इसलिए भी साहू वोटर्स को लेकर भाजपा काफी गंभीर नजर आ रही है.
छत्तीसगढ़ ही नहीं मध्यप्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात तक में साहू समाज के काफी मतदाता हैं. ऐसे में चुनाव के दौरान इन्हें खुश करने और अपनाने की कोशिश राजनेताओं द्वारा होना लाजिमी है.

रायपुर: प्रधानमंत्री मोदी अपने आक्रमक शैली में प्रचार के लिए जाने जाते हैं. दूसरे चरण का प्रचार थमने से पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ में दो सभाएं कोरबा और भाटापारा में ली. इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला. पीएम ने कहा कि राहुल गांधी कहते हैं कि, 'सभी मोदी चोर हैं, पीएम मोदी कहते हैं कि यहां के साहू अगर गुजरात में होते तो मोदी लिखते क्या इस तरह लोगों को चोर कहना शोभा देता है.'

छत्तीसगढ़ में साहू समाज को साधने के लिए PM ने लगाया जोर

प्रधानमंत्री मोदी ने इस तरह बेहद चतुराई से साहू समाज को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है. जातिगत तरीके से एक समाज को अपने से जोड़ने की उनकी ये पहली कोशिश है. कैसे और क्यों ये समझते हैं.

छत्तीसगढ़ में 27 फीसदी से ज्यादा साहू
छत्तीसगढ़ में साहू समाज की आबादी 50 लाख से ज्यादा है यानी पूरे जनसंख्या का 27 फीसदी हिस्सा साहुओं का है. इस तरह ये समाज प्रदेश की सियासत में बड़ा दखल रखता है. खासतौर पर मैदानी इलाकों में साहुओं का जबरदस्त बोलबाला है. इस समाज की खासियत यह भी देखी गई है कि मतदान पूर्व आपस में चर्चा कर किसी एक दल का समर्थन करते हैं. इसलिए इस समाज को साधने की कोशिश चुनाव पूर्व सभी बड़े नेता करते आए हैं. अब खुद प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा दांव खेला है.

इन सीटों पर साहू समाज का दबदबा
छत्तीसगढ़ के धमतरी, महासमुंद, बालोद, दुर्ग, बेमेतरा, रायपुर, बलौदाबाजार, मुंगेली, बिलासपुर, राजनांदगांव, कवर्धा जिले में इनकी बहुलता है. अगर इन्हें लोकसभा सीट के लिहाज से देखा जाए तो
1. महासमुंद 2. रायपुर 3. दुर्ग 4. बिलासपुर 5. राजनांदगांव
सीट ऐसी हैं जहां साहू मतदाता किसी उम्मीदवार के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं. इसके अलावा जांजगीर, कोरबा और रायगढ़ में भी साहू समाज की ठीकठाक तादाद है.

पीएम के भाई भी सामाजिक तौर पर सक्रिय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी भी लगातार समाज की बैठकें ले रहे हैं. हालांकि उनका कहना है कि वे राजनीति में नहीं हैं सिर्फ समाज का ही काम कर रहे हैं. लेकिन जिस तरह उनकी बैठकों में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता उमड़ रहे हैं इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उनके इन कार्यक्रमों से भाजपा को लाभ मिल सकता है.

सियासत के केन्द्र में किसान इसलिए साहू समाज है अहम
इन दिनों दोनों पार्टियां किसानों को लेकर कई वादे कर रही हैं. विधानसभा चुनाव में ऋण माफी वाले वादे का जादू भी चला था. खास बात ये भी है कि साहू समाज मुख्य तौर पर खेती किसानी का काम करने वाला समाज है. इसलिए भी साहू वोटर्स को लेकर भाजपा काफी गंभीर नजर आ रही है.
छत्तीसगढ़ ही नहीं मध्यप्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात तक में साहू समाज के काफी मतदाता हैं. ऐसे में चुनाव के दौरान इन्हें खुश करने और अपनाने की कोशिश राजनेताओं द्वारा होना लाजिमी है.

Intro:Heading- इस चुनाव में छत्तीसगढ़ के साहूओं को साधने खुद प्रधानमंत्री लगा रहे हैं जोर, पढ़िये प्रदेश में इस समाज क्या है ताक़त

रायपुर. प्रधानमंत्री मोदी अपने आक्रमक शैली में प्रचार के लिए जाने जाते हैं. आज भी उन्होंने छत्तीसगढ़ में दो सभाएं कोरबा और भाटापारा में ली. इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला. कहा कि राहुल गांधी कहते हैं कि सभी मोदी चोर हैं , पीएम मोदी कहते हैं कि यहां के साहू अगर गुजरात में होते तो मोदी लिखते क्या इस तरह लोगों को चोर कहना शोभा देता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने इश तरह बेहद चतुराई से साहू समाज को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है. जाति गत तरीके से एक समाज को अपने से जोड़ने की उनकी ये पहली कोशिश है.

छत्तीसगढ़ में 27 फीसदी से ज्यादा साहू -
छत्तीसगढ़ में साहू समाज की आबादी 50 लाख से ज्यादा है यानी पूरे जनसंख्या का 27 फीसदी हिस्सा साहूओं का है. इस तरह ये समाज प्रदेश की सियासत बड़ दखल रखता है. खासतौर पर मैदानी इलाकों में साहूओं का जबर्द्स्त बोलबाला है. इस समाज की खासियत यह भी देखी गई है कि मतदान पूर्व आपस में चर्चा कर किसी एक दल का समर्थन करते हैं . इसलिए इस समाज को साधने की कोशिश चुनाव पूर्व सभी बड़े नेता करते आए हैं. अब खुद प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा दांव खेला है ।

इन सीटों पर साहू समाज का दबदबा -
छत्तीसगढ़ के धमतरी, महासमुंद, बालोद, दुर्ग, बेमेतरा, रायपुर, बलौदाबाजार, मुंगेली, बिलासपुर, राजनांदगांव, कवर्धा जिले में इनकी बाहुलता है। अगर इन्हे लोकसभा सीट के लिहाज से देखा जाए तो - 1. महासमुंद 2. रायपुर 3. दुर्ग 4. बिलासपुर 5. राजनांदगांव
सीट ऐसी हैं जहां साहू मतदाता किसी उम्मीदवार के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं. इसके अलावा जांजगीर, कोरबा और रायगढ़ में भी साहू समाज की ठीकठाक तादाद है।

छोटे मोदी भी सामाजिक तौर पर सक्रिय -
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी भी लगातार समाज की बैठकें ले रहे हैं. हालांकि उनका कहना है कि वे राजनीति में नहीं हैं सिर्फ समाज का ही काम कर रहे हैं . लेकिन जिस तरह उनकी बैठकों में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता उमड़ रहे हैं इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि उनके इन कार्यक्रमों से भाजपा को लाभ मिल सकता है.

सियासत के केन्द्र में किसान इसलिए साहू समाज है अहम -
गौरतलब है कि इन दिनों दोनों पार्टियां किसानों को लेकर कई वादे कर रही हैं. विधानसभा चुनाव में ऋण माफी वाले वादे का जादू भी चला था. खास बात ये भी है कि साहू समाज मुख्य तौर पर खेती किसानी का काम करने वाला समाज है. इसलिए भी साहू वोटर्स को लेकर भाजपा काफी गंभीर नजर आ रही है.

छत्तीसगढ़ ही नहीं मध्यप्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात तक में साहू समाज के काफी मतदाता हैं. ऐसे में चुनाव के दौरान इन्हें खुश करने और अपनाने की कोशिश राजनेताओं द्वारा होना लाजिमी है ।

इसमें पीएम मोदी के भाषण का साहू वाला हिस्सा इस्तेमाल कर सकते हैं । Body:मोदी और साहू Conclusion:
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