रायपुर : कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में बहुत सारे क्षेत्र प्रभावित हुए हैं और इस दौरान एजुकेशन सेक्टर भी प्रभावित रहा. इसे दूर करने के राज्य सरकार ने ऑनलाइन क्लासेस का विकल्प दिया. शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक ऑनलाइन क्लासेस शुरू की गई हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्र में कई परिवार के पास स्मार्टफोन नहीं होने जैसी समस्या सामने आईं. पढ़ाई से कोई बच्चा वंचित न रह जाए इसके लिए रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से यूज्ड मोबाइल डोनेट करने का अभियान चलाया जा रहा है, ताकि निर्धन परिवार के बच्चों को मोबाइल दिया जा सके और इस कोरोना काल में वो पढ़ाई से दूर न रह जाएं.
इस मुहिम से शहर का एनजीओ स्मार्ट सिटी भी जुड़ गया है. स्मार्ट सिटी रायपुर के पीआरओ आशीष मिश्रा ने बताया कि, 'अभी स्कूल कॉलेज बंद हैं, स्कूल के बच्चे ऑनलाइन क्लास के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं. हमारा मानना है की कई बच्चे निर्धन परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उन बच्चों को आज के समय में ऑनलाइन क्लासेस करने के लिए मोबाइल की जरूरत है. रायपुर स्मार्ट सिटी की ओर से अभियान चलाया जा रहा है कि आम लोग अपने पुराने स्मार्टफोन डोनेट करें'.
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शुरुआती दिनों में हुए 15 मोबाइल डोनेट
पीआरओ ने बताया कि, 'इस मुहिम को शुरू हुए 2 दिन ही हुआ है और जब इसकी जानकारी लोगों तक पहुंचे ही रायपुर के अलावा आसपास के जिलों से भी मोबाइल डोनेशन के लिए लोग फोन कर रहे हैं. शुरुआती दिनों में 15 लोगों को मोबाइल फोन डोनेट किए हैं, कई कंपनी और एनजीओ हमसे जुड़ कर काम कर रहे हैं, हमें उम्मीद है कि हम जरूरतमंद बच्चों तक मोबाइल पहुंचा पाएंगे'.
महिला ने किया मोबाइल डोनेट
स्मार्ट सिटी के दफ्तर में मोबाइल डोनेट करने आई महिला ने बताया यह पहल बहुत अच्छी है, इससे जरूरतमंद बच्चों को मोबाइल मिलेगा. जिससे वह अपनी पढ़ाई कर पाएंगे. महिला ने लोगों से अपील की है कि वे इस मुहिम में अपनी सहभागिता निभाएं.
डोनेट मोबाइलों को किया जाता है चेक
डोनेट किए गए फोन को चेक किया जा रहा है और किसी प्रकार से तकनीकी दिक्कत होती है तो टेक्नीशियन के पास उसे सुधारने भेजा जाता है. ताकि जब मोबाइल बच्चों को दिया जाए तो वह बिना किसी रूकावट के उसका इस्तेमाल कर सकें.
पहले भी कर चुके बेहतर काम
लॉकडाउन के दौरान इन्होंने जरूरतमंद लोगों तक भोजन और राशन पहुंचाने के लिए स्मार्ट सिटी से जुड़कर लोगों तक भोजन और राशन पहुंचाने का काम किया था. वहीं इस पूरे काम में प्रशासन का किसी प्रकार से सहयोग नहीं था. केवल इसमें आम नागरिक और एनजीओ के लोग शामिल थे. स्मार्ट सिटी द्वारा लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों को भोजन और राशन की व्यवस्था की गई थी.