रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद स्कूलों को खोलने की अनुमति नहीं है. सरकार और परिजनों का कहना है कि बच्चों को अभी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोरोना को लेकर सजकता नहीं है. बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर पाएंगे. ऐसे में भयावह बीमारी के बीच बच्चों को स्कूल भेजना किसी खतरे से कम नहीं है. ऐसे में प्राइवेट स्कूल बच्चों को घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं, जिससे पढ़ाई तो हो रही है, लेकिन बच्चों के परिजनों के लिए लॉकडाउन के बीच फीस की वसूली सिरदर्द बन चुका है.
अभिभावकों का आरोप है कि ऑनलाइन क्लास के बहाने स्कूल मोटी फीस वसूलने के लिए परिजनों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा. ऐसे में वह स्कूल की फीस भरें या फिर लॉकडाउन के बीच परिवार का पालन पोषण करें. अभिभावकों के पास स्कूल की फीस को लेकर परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा है. जानकारी के मुताबिक अभिभावक लॉकडाउन के बीच फीस की वसूली को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका दायर कर चुके हैं, लेकिन वहां से भी कुछ खास मदद नहीं मिली, जिससे प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं.
कोर्ट से भी अभिभावकों को नहीं मिली राहत
यह मामला जब कोर्ट में गया तो कोर्ट ने आदेश दिया कि स्कूल चाहे, तो ट्यूशन की रकम परिजनों से ले सकता है, लेकिन अब यह परिजनों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है. परिजनों का कहना है कि कोर्ट की ओर से कोई मापदंड तैयार नहीं किया गया है. ट्यूशन फीस के रूप में कितने पैसे परिजनों से लेना है. मौके का फायदा उठाते हुए प्राइवेट स्कूल प्रबंधन अब मनमानी तरीके से परिजनों से रकम वसूलने के लिए रेट तैयार किया है.
10 से 40 हजार रूपये तक की फीस वसूली
अभिभावकों ने बताया कि 3 महीने के लिए 40, 000 तक की फीस की मांग कर रहे हैं. प्राइवेट स्कूल इन दिनों परिजनों को 40 हजार रूपये तक का एस्टीमेट दे रहे हैं. परिजनों के मुताबिक यह केवल 3 महीने तक की फीस है. परिजनों ने बताया प्राइवेट स्कूल 3 महीने के 10,000 से लेकर 40, 000 या उससे अधिक तक फीस की मांग कर रहे हैं.
परेशान हो रहे परिजन
कोर्ट के आदेश के बाद परिजनों को उम्मीद थी कि कहीं न कहीं उन्हें थोड़ी राहत मिलेगी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है. ट्यूशन फीस भी एक बार फिर परिजनों के गले की हड्डी बन गई है, क्योंकि मानक तय नहीं किया गया है. ऐसे में ट्यूशन फीस के नाम पर ही निजी स्कूल अपनी लगभग पूरी फीस परिजनों से वसूलने की तैयारी बना लिए हैं. परिजनों की मांग है कि एक मानक तैयार किया जाए और वही फीस लगभग सभी स्कूलों को दी जाए. ऐसे में स्कूल अपनी मनमानी फीस परिजनों से वसूल नहीं सकेंगे