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छत्तीसगढ़ में पैंगोलिन का शिकार, देश-विदेश में पैंगोलिन की तस्करी से छत्तीसगढ़ के जंगलों पर संकट

छत्तीसगढ़ में पैंगोलिन का शिकार बीते कई वर्षों में तेजी से बढ़ा है. यौनवर्द्धक दवाओं और तांत्रिक क्रिया में पैंगोलिन शल्क का उपयोग होता है. इसके अलावा चीन में भी पैंगोलिन के शल्क और मांस की डिमांड है. इस वजह से भी छत्तीसगढ़ के जंगलों में पैंगोलिन की तस्करी बढ़ी है.

pangolin smuggling
पैंगोलिन की तस्करी
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Published : Mar 2, 2022, 7:18 PM IST

Updated : Mar 2, 2022, 7:46 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बीते कुछ वर्षों के दौरान पैंगोलिन का शिकार काफी तेजी से बढ़ा है. ये पैंगोलिन महज देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भेजे जा रहे हैं. विदेशों में जिंदा या मुर्दा पैंगोलिन की भारी डिमांड है. चीन में पैंगोलिन की सबसे ज्यादा डिमांड है. यहां ऊंची कीमत पर पैंगोलिन खरीदे जाते हैं. इस बीच पैंगोलिन का तेजी से शिकार हो रहा है. छत्तीसगढ़ के जंगलों में पैंगोलिन विलुप्ति की कगार पर पहुंचता जा रहा है.

पैंगोलिन तस्करों पर सख्त कार्रवाई की मांग

इधर, वन विभाग पैंगोलिन की तस्करी और शिकार रोकने को लेकर लगातार कार्रवाई कर रही है. बावजूद इसके अब तक पैंगोलिन की अवैध तस्करी और शिकार पर लगाम नहीं लगाया जा सका है. आज हम आपको बताएंगे कि, आखिर क्यों पैंगोलिन की डिमांड देश-विदेशों में अधिक है? पैंगोलिन किस काम में आता है? छत्तीसगढ़ में पैंगोलिन कहां-कहां पाए जाते हैं? पैंगोलिन के अवैध शिकार को रोकने के लिए वन विभाग ने कब और कहां कार्रवाई की थी.

ऊंची कीमत पर होती है पैंगोलिन की बिक्री

पैंगोलिन एक ऐसा जानवर है, जिसकी दुनिया में सबसे अधिक तस्करी हो रही है. इस तस्करी का मुख्य कारण चीन है. जहां पैंगोलिन की खाल और मांस से यौनवर्धक पारंपरिक दवाइयां बनाई जाती है. इसके अलावा चीन और वियतनाम जैसे देशों के होटलों और रेस्तरां में इसका मांस परोसा जाता है. इतना ही नहीं पैंगोलिन का तांत्रिक प्रक्रिया के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.

Pangolin smuggling in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में पैंगोलिन की तस्करी

लाखों रुपये में बिकता है पैंगोलिन और उसका शल्क

बताया जा रहा है कि, पैंगोलिन की डिमांड अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी अधिक है. यही कारण है कि, इसकी कीमत काफी होती है. एक अनुमान के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस वन्यजीव की कीमत लाखों में है. बात अगर भारत की करें तो यहां 20 से 30 हजार में यह पैंगोलिन खरीदा और बेचा जाता है. इसका शल्क सबसे अधिक महंगा होता है.

demand for pangolin abroad
विदेशों में पैंगोलिन की डिमांड

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में गर्मी बनी आफत: एसी, कूलर और फ्रिज की कीमतें बढ़ने से लोग परेशान


वन्यजीवों की तस्करी में 20 फीसदी अधिक तस्करी पैंगोलिन की होती है

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की मानें तो दुनिया भर के वन्यजीवों की अवैध तस्करी में अकेले 20 फीसदी पैंगोलिन की तस्करी शामिल है. यही कारण है कि पैंगोलिन का शिकार काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण मौजूदा समय में पैंगोलिन का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.

Price of scale and meat of pangolin
यौनवर्द्धक दवाओं और तांत्रिक क्रिया में पैंगोलिन शल्क का उपयोग

आईयूसीएन रेड लिस्ट पैंगोलिन शामिल

आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर, International Union for Conservation of Nature ) में पैंगोलिन को अपनी रेड लिस्ट में संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल किया है. भारत में इसे वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची एक में रखा गया है. पैंगोलिन मारना, तस्करी करना गैरकानूनी है. यह अपराध की श्रेणी में आता है.इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीसीज की स्थापना 1964 में की गई थी. यह सूची दुनिया की जैविक प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति का सबसे बड़ा सूचना स्रोत है. इस सूची में पशु, पक्षी और पौधों की प्रजातियों को भी शामिल किया जाता है. जिसमें दुनिया भर से प्रजातियों की विलुप्त होने की स्थिति की जानकारी होती है. आईयूसीएन रेड लिस्ट विश्व की जैव विविधता की भी जानकारी देता है.

पैंगोलिन की घटती संख्या जंगलों के लिए बड़ा खतरा

इस विषय में वन्यजीवों के जानकार नितिन सिंघवी कहते हैं कि, छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र में पैंगोलिन पाया जाता है. लेकिन पैंगोलिन की संख्या पिछले कुछ समय में काफी कम हुई. इससे जंगलों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि जंगलों को सुरक्षित रखने में पैंगोलिन का बहुत बड़ा योगदान होता है. पैंगोलिन चींटी और दीमक को खाते हैं. ये चींटी और दीमक जंगलों में पेड़-पौधों सहित जमीन तक को खोखला कर देते हैं. यदि पैंगोलिन नहीं होंगे तो जंगल और वहां लगे पेड़-पौधों को भी भारी नुकसान होगा.

दो साल में पैंगोलिन के शिकार की घटनाएं बढ़ी

छत्तीसगढ़ वन विभाग समय-दर-समय पैंगोलिन के अवैध शिकार को रोकने के लिए अभियान चलाता रहा है. इस दौरान कई बार विभाग को बड़ी सफलता भी हासिल हुई है. अगर पिछले 2 सालों की बात करें तो लगभग दो दर्जन से अधिक मामले पैंगोलिन के शिकार और शल्क सहित अन्य चीजों की तस्करी के सामने आ चुके हैं.

वन विभाग की कार्रवाई

  • 27 जनवरी 2020: राजधानी से लगे कुम्हारी में पैंगोलिन के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से करीब 4 पैंगोलिन के शव बरामद किए गए थे.
  • 8 जुलाई 2021: महासमुंद जिले के खल्लारी थाना क्षेत्र के बोइर गांव चेक पोस्ट पर एक स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल से चार तस्करों को पैंगोलिन के साथ गिरफ्तार किया गया था.उन्होंने रायपुर के एक व्यक्ति से 13 लाख में सौदा किया था.
  • 16 सितंबर 2021: वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो जबलपुर की टीम ने रायपुर के जयस्तंभ चौक के पास साढ़े तीन किलो पैंगोलिन शल्क के साथ सीआईएसएफ के एसआई को गिरफ्तार किया था. आरोपी जितेंद्र पोचे रायपुर एयरपोर्ट पर पदस्थ था. वह शल्क को रायपुर में खपाने की फिराक में घूम रहा था.
  • 18 दिसंबर 2021: कांकेर जिले में पैंगोलिन की शल्क के साथ कार सवार छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था, इनके पास से करीब 53 किलो शल्क बरामद किया गया था.
  • 11 फरवरी 2022 : जगदलपुर में वन विभाग और पुलिस बल की संयुक्त कार्रवाई के दौरान तस्करों से 19 किलोग्राम पैंगोलिन शल्क बरामद किया गया था. इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया था.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में बीते कुछ वर्षों के दौरान पैंगोलिन का शिकार काफी तेजी से बढ़ा है. ये पैंगोलिन महज देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भेजे जा रहे हैं. विदेशों में जिंदा या मुर्दा पैंगोलिन की भारी डिमांड है. चीन में पैंगोलिन की सबसे ज्यादा डिमांड है. यहां ऊंची कीमत पर पैंगोलिन खरीदे जाते हैं. इस बीच पैंगोलिन का तेजी से शिकार हो रहा है. छत्तीसगढ़ के जंगलों में पैंगोलिन विलुप्ति की कगार पर पहुंचता जा रहा है.

पैंगोलिन तस्करों पर सख्त कार्रवाई की मांग

इधर, वन विभाग पैंगोलिन की तस्करी और शिकार रोकने को लेकर लगातार कार्रवाई कर रही है. बावजूद इसके अब तक पैंगोलिन की अवैध तस्करी और शिकार पर लगाम नहीं लगाया जा सका है. आज हम आपको बताएंगे कि, आखिर क्यों पैंगोलिन की डिमांड देश-विदेशों में अधिक है? पैंगोलिन किस काम में आता है? छत्तीसगढ़ में पैंगोलिन कहां-कहां पाए जाते हैं? पैंगोलिन के अवैध शिकार को रोकने के लिए वन विभाग ने कब और कहां कार्रवाई की थी.

ऊंची कीमत पर होती है पैंगोलिन की बिक्री

पैंगोलिन एक ऐसा जानवर है, जिसकी दुनिया में सबसे अधिक तस्करी हो रही है. इस तस्करी का मुख्य कारण चीन है. जहां पैंगोलिन की खाल और मांस से यौनवर्धक पारंपरिक दवाइयां बनाई जाती है. इसके अलावा चीन और वियतनाम जैसे देशों के होटलों और रेस्तरां में इसका मांस परोसा जाता है. इतना ही नहीं पैंगोलिन का तांत्रिक प्रक्रिया के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.

Pangolin smuggling in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में पैंगोलिन की तस्करी

लाखों रुपये में बिकता है पैंगोलिन और उसका शल्क

बताया जा रहा है कि, पैंगोलिन की डिमांड अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी अधिक है. यही कारण है कि, इसकी कीमत काफी होती है. एक अनुमान के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस वन्यजीव की कीमत लाखों में है. बात अगर भारत की करें तो यहां 20 से 30 हजार में यह पैंगोलिन खरीदा और बेचा जाता है. इसका शल्क सबसे अधिक महंगा होता है.

demand for pangolin abroad
विदेशों में पैंगोलिन की डिमांड

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में गर्मी बनी आफत: एसी, कूलर और फ्रिज की कीमतें बढ़ने से लोग परेशान


वन्यजीवों की तस्करी में 20 फीसदी अधिक तस्करी पैंगोलिन की होती है

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की मानें तो दुनिया भर के वन्यजीवों की अवैध तस्करी में अकेले 20 फीसदी पैंगोलिन की तस्करी शामिल है. यही कारण है कि पैंगोलिन का शिकार काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण मौजूदा समय में पैंगोलिन का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.

Price of scale and meat of pangolin
यौनवर्द्धक दवाओं और तांत्रिक क्रिया में पैंगोलिन शल्क का उपयोग

आईयूसीएन रेड लिस्ट पैंगोलिन शामिल

आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर, International Union for Conservation of Nature ) में पैंगोलिन को अपनी रेड लिस्ट में संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल किया है. भारत में इसे वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची एक में रखा गया है. पैंगोलिन मारना, तस्करी करना गैरकानूनी है. यह अपराध की श्रेणी में आता है.इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीसीज की स्थापना 1964 में की गई थी. यह सूची दुनिया की जैविक प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति का सबसे बड़ा सूचना स्रोत है. इस सूची में पशु, पक्षी और पौधों की प्रजातियों को भी शामिल किया जाता है. जिसमें दुनिया भर से प्रजातियों की विलुप्त होने की स्थिति की जानकारी होती है. आईयूसीएन रेड लिस्ट विश्व की जैव विविधता की भी जानकारी देता है.

पैंगोलिन की घटती संख्या जंगलों के लिए बड़ा खतरा

इस विषय में वन्यजीवों के जानकार नितिन सिंघवी कहते हैं कि, छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र में पैंगोलिन पाया जाता है. लेकिन पैंगोलिन की संख्या पिछले कुछ समय में काफी कम हुई. इससे जंगलों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि जंगलों को सुरक्षित रखने में पैंगोलिन का बहुत बड़ा योगदान होता है. पैंगोलिन चींटी और दीमक को खाते हैं. ये चींटी और दीमक जंगलों में पेड़-पौधों सहित जमीन तक को खोखला कर देते हैं. यदि पैंगोलिन नहीं होंगे तो जंगल और वहां लगे पेड़-पौधों को भी भारी नुकसान होगा.

दो साल में पैंगोलिन के शिकार की घटनाएं बढ़ी

छत्तीसगढ़ वन विभाग समय-दर-समय पैंगोलिन के अवैध शिकार को रोकने के लिए अभियान चलाता रहा है. इस दौरान कई बार विभाग को बड़ी सफलता भी हासिल हुई है. अगर पिछले 2 सालों की बात करें तो लगभग दो दर्जन से अधिक मामले पैंगोलिन के शिकार और शल्क सहित अन्य चीजों की तस्करी के सामने आ चुके हैं.

वन विभाग की कार्रवाई

  • 27 जनवरी 2020: राजधानी से लगे कुम्हारी में पैंगोलिन के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से करीब 4 पैंगोलिन के शव बरामद किए गए थे.
  • 8 जुलाई 2021: महासमुंद जिले के खल्लारी थाना क्षेत्र के बोइर गांव चेक पोस्ट पर एक स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल से चार तस्करों को पैंगोलिन के साथ गिरफ्तार किया गया था.उन्होंने रायपुर के एक व्यक्ति से 13 लाख में सौदा किया था.
  • 16 सितंबर 2021: वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो जबलपुर की टीम ने रायपुर के जयस्तंभ चौक के पास साढ़े तीन किलो पैंगोलिन शल्क के साथ सीआईएसएफ के एसआई को गिरफ्तार किया था. आरोपी जितेंद्र पोचे रायपुर एयरपोर्ट पर पदस्थ था. वह शल्क को रायपुर में खपाने की फिराक में घूम रहा था.
  • 18 दिसंबर 2021: कांकेर जिले में पैंगोलिन की शल्क के साथ कार सवार छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था, इनके पास से करीब 53 किलो शल्क बरामद किया गया था.
  • 11 फरवरी 2022 : जगदलपुर में वन विभाग और पुलिस बल की संयुक्त कार्रवाई के दौरान तस्करों से 19 किलोग्राम पैंगोलिन शल्क बरामद किया गया था. इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया गया था.
Last Updated : Mar 2, 2022, 7:46 PM IST
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