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पंडवानी गायिका शांतिबाई चेलक ने भोपाल में दी 'गायन' की प्रस्तुति

आदिवासी लोककला और बोली विकास अकादमी द्वारा वरिष्ठ पंडवानी गायिका सुश्री शांतिबाई चेलक ने मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय भोपाल में 'गायन' की प्रस्तुति दी.

Pandwani Singer Shanti bai
पंडवानी गायिका शांतिबाई चेलक
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Published : Dec 19, 2020, 8:18 PM IST

भोपाल: मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की ओर से मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में पंडवानी का आयोजन किया गया. आदिवासी लोककला और बोली विकास अकादमी द्वारा वरिष्ठ पंडवानी गायिका सुश्री शांतिबाई चेलक ने 'गायन' की प्रस्तुति दी.

Pandwani Singer Shanti bai
पंडवानी गायन की प्रस्तुति

पंडवानी एक छत्तीसगढ़ी लोकगायन शैली है. जिसका अर्थ है पाण्डव वाणी अर्थात पाण्डव कथा है. इसमें महाकाव्य महाभारत के पाण्डवों की कथा सुनाई जाती है, जिसमें सभी मुख्य किरदारों के शौर्य, पराक्रम और अन्य कथानकों को विशिष्ठ गायन शैली में गाया जाता है. भावपूर्ण अभिनय और आंगिक चेष्टाओं से भरी इस गायन परम्परा ने अपनी पहचान बनाई है. ये कथाएं छत्तीसगढ़ की परधान तथा देवार जातियों की गायन परंपरा का मान है.

पढ़ें- महिला दिवस विशेष : छत्तीसगढ़ की पहचान, पंडवानी की 'रानी' तीजन बाई

गदापर्व की पंडवानी प्रस्तुति

सुश्री शांतिबाई चेलक ने गदापर्व की पंडवानी की प्रस्तुति दी, जिसमे महाकाव्य 'महाभारत' में भीम और दुर्योधन के बीच हुए गदा युद्ध के दृश्य को लोकगायन के माध्यम से प्रस्तुत किया. जिसमें अट्ठारह दिन का युद्ध समाप्त होने के बाद दुर्योधन और उसकी पत्नी भानुमति संवाद, माता गांधारी का दुर्योधन को आशीर्वाद से लेकर दुर्योधन वध तक दृश्य अपने चित-परिचित अंदाज में पंडवानी गायन के माध्यम से प्रस्तुत किया. बता दें कि शांतिबाई चेलक पिछले चालीस साल से पंडवानी लोकगायन प्रस्तुत करती आ रहीं हैं.

भोपाल: मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की ओर से मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में पंडवानी का आयोजन किया गया. आदिवासी लोककला और बोली विकास अकादमी द्वारा वरिष्ठ पंडवानी गायिका सुश्री शांतिबाई चेलक ने 'गायन' की प्रस्तुति दी.

Pandwani Singer Shanti bai
पंडवानी गायन की प्रस्तुति

पंडवानी एक छत्तीसगढ़ी लोकगायन शैली है. जिसका अर्थ है पाण्डव वाणी अर्थात पाण्डव कथा है. इसमें महाकाव्य महाभारत के पाण्डवों की कथा सुनाई जाती है, जिसमें सभी मुख्य किरदारों के शौर्य, पराक्रम और अन्य कथानकों को विशिष्ठ गायन शैली में गाया जाता है. भावपूर्ण अभिनय और आंगिक चेष्टाओं से भरी इस गायन परम्परा ने अपनी पहचान बनाई है. ये कथाएं छत्तीसगढ़ की परधान तथा देवार जातियों की गायन परंपरा का मान है.

पढ़ें- महिला दिवस विशेष : छत्तीसगढ़ की पहचान, पंडवानी की 'रानी' तीजन बाई

गदापर्व की पंडवानी प्रस्तुति

सुश्री शांतिबाई चेलक ने गदापर्व की पंडवानी की प्रस्तुति दी, जिसमे महाकाव्य 'महाभारत' में भीम और दुर्योधन के बीच हुए गदा युद्ध के दृश्य को लोकगायन के माध्यम से प्रस्तुत किया. जिसमें अट्ठारह दिन का युद्ध समाप्त होने के बाद दुर्योधन और उसकी पत्नी भानुमति संवाद, माता गांधारी का दुर्योधन को आशीर्वाद से लेकर दुर्योधन वध तक दृश्य अपने चित-परिचित अंदाज में पंडवानी गायन के माध्यम से प्रस्तुत किया. बता दें कि शांतिबाई चेलक पिछले चालीस साल से पंडवानी लोकगायन प्रस्तुत करती आ रहीं हैं.

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