रायपुर: बाल संरक्षण इकाई चाइल्ड लाइन द्वारा अवैध रूप से संचालित एक बाल आश्रम में छापा मारकर 19 बच्चों को रिहा कराया गया है. इनमें से 10 बालक हैं जबकि 9 बालिकाएं हैं. ये सभी 7 से 10 वर्ष के हैं. ये बच्चे मध्यप्रदेश के मंडला और बालाघाट जिले के हैं. पुलिस और महिला बाल विकास विभाग की टीम ने एक पम्पलेट में छपी सूचना के आधार पर इन बच्चों को रिहा कराया है. महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम की तरफ से बताया जा रहा है कि राजधानी रायपुर और आस पास के इलाके में एक पम्पलेट सर्कुलेट हो रहा था. जिसमें बेसहारा बच्चों को नया रायपुर में संचालित आश्रम में छोड़ने की बात और आश्रम को दान देने की अपील की गई थी. इस तरह के पम्पलेट से महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम हरकत में आई. जिसके बाद तफ्तीश तेज की गई और अवैध बाल गृह का खुलासा हुआ. तब चाइल्ड लाइन की टीम ने यहां दबिश देकर 19 बच्चों को छुड़ाया.
रायपुर के अवैध बाल गृह से 19 नाबालिग कराए गए रिहा, सभी बच्चे एमपी के रहने वाले
मानव तस्करी की आशंका
9 जुलाई को हुई इस कार्रवाई में बरामद बच्चों को फिलहाल सरकारी बाल गृह भेज दिया गया है, लेकिन इस मामले में कहीं न कहीं मानव तस्करी का मामला होने की आशंका जताई जा रही है. क्योंकि सवाल ये है कि आखिर ये बच्चे इस आश्रम तक कैसे पहुंचे ? बिना किसी के अनुमति के इतने बच्चे यहां तक पहुंच गए ? जैसा कि, बताया जा रहा है कि ये बच्चे मंडला और बालाघाट जिले के हैं जो एमपी का आदिवासी बाहुल्य जिला है. छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से मानव तस्करी के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. ऐसे में आशंका इस दिशा में भी बढ़ रही है. अब पूरी जांच के बाद ही इस केस में पूरा खुलासा हो पाएगा.
दान में मांग रहे थे गद्दा से लेकर कलर टीवी तक
लाइफ शो फाउंडेशन की तरफ से जो पम्पलेट लोगों में सर्कुलेट हो रहा था. उसमें स्वच्छा से दान में कपड़े, जूते, चप्पल, साइकिल, बाइक कार, जमीन, गद्दा, टीवी, वॉशिंग मशीन, पलंग जैसे घरेलू सामान शामिल हैं. इसमें लिखा गया है कि ऐसे सामान जो घरों में इस्तेमाल नहीं हो रहे हैं, वो सब इस संस्था को दान किया जा सकता है. इसका पता नवा रायपुर के सेक्टर-29 में सीनीयर एमआईजी 427 बताया गया है. यह हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी है. इस कथित फाउंडेशन ने अपना ब्रांच ऑफिस भिलाई के रिसालीभाटा में मोहन किराना स्टोर के पास मकान नंबर 133 बताया है. चाइल्ड लाइन की टीम पहले 7 जुलाई को भिलाई स्थित पते पर पहुंची. यहां मिली जानकारी को आधार बनाकर 9 जुलाई को नवा रायपुर स्थिति कथित आश्रम में छापामार कार्रवाई की गई. जब टीम मौके पर पहुंची तो बच्चे वहां मौजूद थे. इनमें से ज्यादातर बच्चे जमीन पर सोए हुए पाए गए.
मध्यप्रदेश से कैसे पहुंचे बच्चे?
इन बच्चों को कैसे मंडला और बालाघाट से रायपुर तक लाया गया किसने इन्हें यहां तक पहुंचाया इस संबंध में जांच जारी है. हमने जब चाइल्ड लाइन के अधिकारियों से बात करनी चाही और पूछा कि, क्या इन बच्चों के माता-पिता की कोरोना में मौत हो गई है तो चाइल्ड लाइन द्वारा फिलहाल इस बारे में किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया गया. लेकिन इस पूरे में मामले में जांच के बाद ही बड़ा खुलासा हो सकेगा.