रायपुर/बालोद/दिल्ली/हैदराबाद: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान किया गया है. इस पुरस्कार के तहत विजेताओं के नाम की घोषणा की गई है. कुल 106 पद्म पुरस्कारों का एलान किया गया है. इस लिस्ट में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्मभूषण और 91 लोगों के नाम का एलान पद्मश्री के लिए किया गया है. छत्तीसगढ़ से बात की जाए तो काष्ठ कला के कलाकार अजय कुमार मंडावी, नाट्य कलाकार डोमार सिंह कुंवर के अलावा पंडवानी गायिका उषा बारले को पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है. इर पुरस्कार का एलान होने बाद सीएम भूपेश बघेल ने तीनों विभूतियों को शुभकामनाएं दी हैं.
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अपनी काष्ठ कला से पथभ्रष्ट लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने वाले कलाकार श्री अजय कुमार मंडावी जी, छत्तीसगढ़ी नाट्य नाच कलाकार श्री डोमार सिंह कुंवर जी, पंडवानी गायिका श्रीमती उषा बारले जी को कला के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किए जाने पर बधाई।
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छत्तीसगढ़ को आप सब पर गर्व है।
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— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) January 25, 2023
छत्तीसगढ़ को आप सब पर गर्व है।अपनी काष्ठ कला से पथभ्रष्ट लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने वाले कलाकार श्री अजय कुमार मंडावी जी, छत्तीसगढ़ी नाट्य नाच कलाकार श्री डोमार सिंह कुंवर जी, पंडवानी गायिका श्रीमती उषा बारले जी को कला के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किए जाने पर बधाई।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) January 25, 2023
छत्तीसगढ़ को आप सब पर गर्व है।
कौन हैं उषा बारले: उषा बारले एक पंडवानी गायिका हैं. उन्होंने पंडवानी के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक कार्यक्रम पेश किए हैं. इन्होंने पंडवानी का प्रशिक्षण प्रख्यात पंडवानी गायिका एवं पद्मविभूषण तीजन बाई से प्राप्त किया है. उषा बारले ने लंदन एवं न्यूयार्क जैसे शहरों में पंडवानी की प्रस्तुति दी है.
डोमार सिंह कुंवर को पद्म श्री सम्मान: छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद के निवासियों के लिए गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या खुशियां लेकर आई है. दरअसल बालोद जिले के ग्राम लाटा बोड के निवासी नृत्य कला के साधक एवं मशहूर कलाकार डोमार सिंह कुंवर को पद्म श्री से सम्मानित करने का ऐलान किया है. इस खबर के बाद से बालोद में हर्ष व्याप्त है. उन्होंने छत्तीसगढ़ की विलुप्त होती नाचा की कला को देश से लेकर विदेशों तक ख्याति दिलाई.
कौन हैं डोमार सिंह कुंवर: डोमार सिंह 12 साल की उम्र से मंच पर उतरे हुए हैं. उन्होंने लुप्त होते छत्तीसगढ़ी हास्य गम्मत नाचा कला विधा को 47 साल से परी और डाकू सुल्तान की भूमिका निभाकर जिंदा रखे हुए हैं. बालोद ब्लॉक के ग्राम लाटाबोड़ निवासी 74 साल के डोमार सिंह कुंवर ने नाचा गम्मत को न सिर्फ जिया, बल्कि अपने स्कूल से लेकर दिल्ली के मंच पर मंचन किया है.
आज भी नाचा गम्मत और संस्कृति की अनोखी विरासत को छोटे बच्चों को सिखाकर इसे सहेजने का प्रयास कर रहे हैं. डोमार छत्तीसगढ़ के अलावा देशभर में 5 हजार से ज्यादा मंचों पर प्रस्तुति दे चुके हैं. इसके अलावा प्रेरणादायक लोक गीत, पर्यावरण, नशामुक्ति, कुष्ठ उन्मूलन के गीत लिख चुके हैं.
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एक्टर, गम्मतिहा, के साथ फिल्म डायरेक्टर भी: डोमार सिंह के बारे में जब ईटीवी ने स्थानीय लोगों से बात की तो पता चला वे नाचा गम्मत की प्रस्तुति के साथ ही 150 से ज्यादा प्रेरणाप्रद गीत भी लिख चुके हैं. इसके अलावा "मन के बात मन म रहिगे" जैसी तीन छत्तीसगढ़ी फिल्म का निर्माण और उसमें काम कर चुके हैं. इनके लिखे गाने की प्रस्तुति आकाशवाणी एवं नाचा का प्रसारण बीबीसी लंदन से भी ब्रॉडकास्ट हुआ था.
मंचन की कार्यशाला करते हैं आयोजित: डोमार सिंह छत्तीसगढ़ की राजधानी, राज्योत्सव, राजिम कुंभ सहित दिल्ली सहित देश के लगभग हर राज्यो में नाचा की प्रस्तुति दी है. अब नाचा लुप्त न हो जाए, इसलिए 10 साल से जगह-जगह कार्यशाला आयोजित कर रहे है. उन्होंने 100 से अधिक छोटे बच्चों को नाचा और लोकगीत सिखा रहे हैं. साथ ही उनके बारीकी और महत्व भी बता रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब नाचा की प्रस्तुति करते हैं, तब कार्यक्रम के अंत में सभी को शराबखोरी नहीं करने और अपराध नहीं करने का संकल्प दिलवाते हैं.
विधायक ने दी बधाई: बालोद के गुण्डरदेही विधायक एवं संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद जो कि कला में विशेष रुचि रखते हैं. उन्होंने कहा कि "यह सम्मान केवल डोमार सिंह कुंवर जी का सम्मान नहीं है. बल्कि यह हमारी छत्तीसगढ़ की धरा का सम्मान है. यहां की रीति नीति संस्कृति का सम्मान है. नाट्य कला को लेकर वह जितने जीवट हैं. डोमार जी आज उनके इस सम्मान ने सबको बता दिया ये प्रदेश के सभी कलाकारों का सम्मान है. उनके इस सम्मान से सभी कला प्रेमी जो कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति विधा को जीवित रखने का कार्य कर रहे हैं उन्हें बढ़ावा मिलेगा." विधायक कुंवर सिंह निषाद ने भी इनके पद्मश्री के लिए अनुशंसा की थी