रायपुर: पूरे देश में जब कोरोना संकट काल में स्कूल बंद हैं, छत्तीसगढ़ में स्कूली बच्चों की पढ़ाई लगातार जारी रखने के लिए नवाचार के साथ पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम चलाया जा रहा है. प्रदेश में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी है, वहां ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं. राज्य के ऐसे सुदूर और वानंचल क्षेत्र जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है, वहां ऑफलाइन कक्षाएं चलाई जा रही हैं. दोनों ही माध्यम से छत्तीसगढ़ में संचालित इस कार्यक्रम को नीति आयोग सहित देश के कई हिस्सों में सराहना मिल रही है.
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ऑफलाइन कक्षाएं संचालित
पढ़ाई तुंहर द्वार कार्यक्रम के तहत राज्य के ऐसे हिस्से, जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है, उन स्थानों पर ऑफलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं. इन ऑफलाइन कक्षाओं में 23 हजार 643 शिक्षक मिलकर 35 हजार 982 केंद्रों में कुल 7 लाख 48 हजार 266 विद्यार्थियों को पढ़ाई करवा रहे हैं. गांव के पारा, मोहल्ला में ग्रामीणों के सहयोग से ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है. इसके अलावा गांव में लाउडस्पीकर स्कूल के माध्यम से भी स्कूली बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. 2 हजार 393 शिक्षकों ने लाउडस्पीकर का संचालन कर 68 हजार 916 विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं.
ब्लूटूथ के माध्यम से मदद
बुलटू के बोल (ब्लूटूथ) के माध्यम से 1 हजार 608 शिक्षकों ने ऐसे बच्चों की मदद की जिनके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है, उन्हें ब्लूटूथ के माध्यम से फाइल ट्रांसफर कर बच्चों की पढ़ाई में सहयोग किया है.