रायपुर: समर्थन मूल्य को लेकर असमंजस और राजनीति के बीच छत्तीसगढ़ में आज से धान खरीदी शुरू हो रही है. शासन और प्रशासन ने धान खरीदी को लेकर तैयारियां पूरी होने का दावा किया है. इस साल सरकार ने 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है. सरकार ने किसानों से 25 रुपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का वादा किया था लेकिन केंद्र सरकार ने शर्त रख दी कि उसकी ओर से तय किए गए मूल्य से अधिक में धान की खरीदी की गई, तो बोनस की राशि नहीं दी जाएगी.
धान खरीदी को लेकर सड़क से लेकर सदन तक हंगामा हुआ है, लेकिन सबसे ज्यादा अगर कोई परेशान हुआ है तो वो है किसान. छत्तीसगढ़ सरकार धान की 2500 रुपए से कम कीमत करने को लेकर तैयार नहीं है. साथ ही प्रदेश सरकार सेंट्रल पूल से चावल लेने का दबाव भी केंद्र सरकार पर बना रही है. इसको लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच कई दिनों से खींचतान चल रही है.
सड़क से लेकर सदन तक गूंजा मुद्दा
विधानसभा में सरकार को विपक्ष के सवालों और विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन सरकार ने साफ किया है कि वो वादे के मुताबिक किसानों को धान का 25 सौ रुपए समर्थन मूल्य देगी. हालांकि केंद्र सरकार के इनकार के बाद प्रदेश सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. सबसे बड़ी चुनौती सरकार के सामने अपने वादे को पूरा करने की है, इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. इस कमेटी में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, खाद्य मंत्री अमरजीत सिंह, सहकारिता मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम और उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल शामिल किए गए हैं.
मंत्रियों ने कहा- 'निभाएंगे वादा'
सवाल ये उठता है कि ये कमेटी करेगी क्या तो सदन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, कृषि मंत्री अमरजीत भगत ने एक सुर में कहा है कि केन्द्र से तय एमएसपी पर ही धान की खरीदी होगी. 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर खरीदी किए जाने के वादे के अनुरूप सरकार ने एक मंत्रीमंडलीय कमेटी के गठन को मंजूरी दी है, जो यह तय करेगी कि अंतर की राशि कैसे किसानों को दी जाए. मतलब सरकार फिलहाल किसानों से 1815 रुपये और 1835 रुपये प्रति क्विंटल की दर से ही धान खरीदेगी. बाकी की राशि किसानों को कैसे और किस रूप में मिलेगी समिति को इसपर ही फैसला लेना है.
किसान हुए परेशान
कुल मिलाकर इस फेर में किसानों को बहुत नुकसान हुआ है. इस विषय पर जमकर राजनीति भी हुई है. भाजपा ने इसे किसानों के साथ धोखा बताया है तो सरकार ने कहा कि अन्नदाता का साथ बीजेपी ने नहीं दिया. सरकार ने भाजपा ने सवाल किया कि क्यों सांसदों ने पीएम नरेंद्र मोदी को इस मसले पर चिट्ठी लिखकर किसानों का साथ नहीं दिया.