रायपुर: असुविधा, असंतुष्टि, किसानों के गुस्से और विरोध प्रदर्शन के बीच छत्तीसगढ़ में धान खरीदी खत्म हो गई है. इस साल सरकार ने 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा था. जानकारी के मुताबिक इस बार छत्तीसगढ़ में 83 लाख मीट्रिक टन खरीदा गया है, वहीं तकरीबन 18 लाख 45 हजार किसानों ने धान बेचा है. जो रिकॉर्ड है.
एक दिसंबर से धान खरीदी शुरू की गई थी, जिसकी मियाद 15 फरवरी तय की गई थी. किसानों का धान पूरा नहीं बिक पाने और तमाम परेशानियों के बीच सरकार ने खरीदी की तारीख बढ़ाकर 20 फरवरी कर दी थी. लेकिन खरीदी के अंतिम दिन भी नाराजगी और प्रदर्शन के बीच धान का उत्सव खत्म हो गया.
सरकार अब धान खरीदी की तारीख नहीं बढ़ाएगी
ये हाल राज्य के लगभग हर जिले का रहा. बारदाने की कमी और असुविधाओं से जूझते किसानों में धान खरीदी की तारीख बढ़ाने और सरकार के खिलाफ गुस्सा साफ नजर आया. इस प्रदर्शन में बीजेपी ने भी किसानों का साथ दिया तो कृषि मंत्री ने कहा कि विरोध भाजपा प्रायोजित है. इस बीच पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा कि सरकार को धान खरीदी की तारीख बढ़ानी चाहिए. इस पर मंत्री शिव डहेरिया ने जवाब दिया कि सरकार अब धान खरीदी की तारीख नहीं बढ़ाएगी. इसी बीच सरकार ने 12 जिलों में 8 लाख से ज्यादा बारदाने भी भिजवाए.
94 फीसदी से ज्यादा धान खरीदा गया
इधर केशकाल में किसानों पर बरसी लाठियों का मुद्दा भी गरमाया रहा. रमन सिंह ने कहा कि सरकार धान खरीदने के बजाए किसानों को दौड़ा-दौड़ा कर पिटवा रही है, इस पर कृषि मंत्री ने बल प्रयोग से इनकार कर दिया. कृषि मंत्री ने दावा भी किया कि आखिरी दिन धान खरीदी की लिमिट के करीब सरकार धान खरीद लेगी. दावा ये भी है कि सरकार ने 94 फीसदी से ज्यादा धान खरीद लिया है. हालांकि किसानों का कहना कुछ और ही था.
20 लाख किसानों ने कराया था रजिस्ट्रेशन
बता दें कि, इस साल लगभग 20 लाख किसानों ने धान बेचने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. जबकि पिछले साल यह संख्या लगभग 17 लाख की थी. ऐसे में इस साल करीब 3 लाख से ज्यादा किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया था.
प्रशासन ने किसानों का साथ नहीं दिया
धान खरीदी के आखिरी दिन धान खरीदी केंद्रों में गहमागहमी तो दिखी लेकिन सड़कों पर अन्नदाता भी उसी संख्या में नजर आए. इस साल धान खरीदी किसानों के लिए किसी परेशानी से कम नहीं रही. कभी तारीख आगे बढ़ी, कभी बेमौसम बारिश ने रुलाया, कभी बदइंतजामी पर अन्नदाता रोए तो कभी बारदाने ने खाली हाथ खड़े रहने को मजबूर कर दिया. प्रशासन भी किसानों के साथ खड़ा नजर नहीं आया. टोकन की भी कई शिकायतें दर्ज हुईं.