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राजस्व बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ की शराब नीति को अन्य राज्यों ने किया पसंद

छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति की सराहना पूरे प्रदेश में नहीं बल्कि देश में हो रही है. अब इस नीति का स्टडी करने के लिए दूसरे राज्यों की टीमों ने रिसर्च टीम को भेजा है.

liquor policy of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ की शराब नीति
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Published : Feb 22, 2022, 9:28 PM IST

Updated : Feb 22, 2022, 10:00 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वादों को निभाना शुरू कर दिया. लेकिन प्रदेश सरकार ने शराबबंदी का वादा अब तक नहीं निभाया है. सरकार ने शराबबंदी के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया. जो दूसरे राज्यों में जाकर अध्ययन करेगी कि वहां शराबबंदी की नीति को कैसे लागू किया गया. दूसरी तरफ इसके दूसरे पहलू में देखे तो आबकारी नीति को सरकार ने तैयार किया है. इस आबकारी नीति की तारीफ हो रही है. यह नीति देश के विभिन्न राज्यों में काफी सराहा जा रहा है. यही नहीं बल्कि कुछ राज्यों ने तो छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति को अपनाने के लिए अपनी रिसर्च टीम भी भेजी है.

छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति में इन राज्यों ने दिखाई दिलचस्पी
राज्य की आबकारी नीति को देखते हुए अन्य राज्यों ने भी आबकारी की नीति को समझने और उसे अपनाने के लिए अपनी टीम भेजकर निरीक्षण किया. झारखंड एक ऐसा राज्य है जो जल्द ही छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति को अपने राज्य में लागू करने वाला है. छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेजेस कॉरपोरेशन लिमिटेड के (CHHATTISGARH STATE BEVERAGES CORPORATION) एमडी अरुण पति त्रिपाठी ने बताया कि, झारखंड के लिए 3 बार प्रेजेंटेशन और मीटिंग हुई है और अब झारखंड जल्दी आबकारी नीति को लागू करेगा. मध्यप्रदेश ने भी प्रदेश की आबकारी नीति को समझने के लिए सरकार से संपर्क कर समय मांगा है. इसके अलावा हरियाणा और तमिलनाडु सरकार ने भी छत्तीसगढ़ की आबकारी नीतियों से प्रभावित होकर इसे समझने और रिसर्च करने का समय मांगा है.

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छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति में क्या है ?
छत्तीसगढ़ में पहले शराब की बिक्री ठेके पद्धति से की जाती थी, लेकिन 2017 में भाजपा सरकार के सरकार द्वारा ही शराब दुकान के संचालन करने की शरुआत की गई. मौजूदा कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ की नई शराब नीति तैयार की. इसमें उन्होंने आईटी विभाग की मदद ली. शराब बिक्री के लिए आईटी तंत्र को मजबूत किया है. लॉकडाउन के दौरान भी छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन शराब की होम डिलीवरी की गई थी. जिसके कारण सरकार के राजस्व में इजाफा हुआ.

आबकारी नीति के तहत दूसरे राज्यों से शराब की तस्करी को रोकने के लिए सरकार ने अंग्रेजी शराब में 25 से 30% एक्साइज ड्यूटी कम करने का फैसला लिया था. शराब की कीमत भी कम हुई उसके साथ ही प्रति व्यक्ति शराब रखने की लिमिट को भी बढ़ाकर 5 लीटर किया गया. इससे सरकार को काफी फायदा हुआ.



छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कंपनी झारखंड में देगी सेवाएं
आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की नई शराब नीति झारखंड सरकार को काफी पसंद आई है. पड़ोसी राज्य भी अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए इसे लागू करने की तैयारी में हैं जल्द ही छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड झारखंड राज्य में अपनी सेवाएं देगी. इस पर जल्द फैसला लिया जाएगा.

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छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री से राजस्व में हुआ इजाफा
फाइनेंसियल इयर 2020-21 में आबकारी विभाग से सरकार को 4635.80 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई थी लेकिन अभी तक अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक शराब से सरकार को 4260 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. जानकारों का कहना है कि मार्च खत्म होने तक यह आंकड़ा 5000 करोड़ के पार पहुंच जाएगा.


शराब बिक्री से सरकार को हुई अच्छी कमाई

साल 2015-16 में 3338.40 करोड़ रुपये
साल 2016-17 में 3443.51करोड़ रुपये
साल 2017-18 में 4050 करोड़ रुपये
साल 2018-19 में 4489.02 करोड़ रुपये
साल 2019-20 में 4952.36करोड़ रुपये
साल 2020-21 में 4635.80 करोड़ रुपये

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वादों को निभाना शुरू कर दिया. लेकिन प्रदेश सरकार ने शराबबंदी का वादा अब तक नहीं निभाया है. सरकार ने शराबबंदी के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया. जो दूसरे राज्यों में जाकर अध्ययन करेगी कि वहां शराबबंदी की नीति को कैसे लागू किया गया. दूसरी तरफ इसके दूसरे पहलू में देखे तो आबकारी नीति को सरकार ने तैयार किया है. इस आबकारी नीति की तारीफ हो रही है. यह नीति देश के विभिन्न राज्यों में काफी सराहा जा रहा है. यही नहीं बल्कि कुछ राज्यों ने तो छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति को अपनाने के लिए अपनी रिसर्च टीम भी भेजी है.

छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति में इन राज्यों ने दिखाई दिलचस्पी
राज्य की आबकारी नीति को देखते हुए अन्य राज्यों ने भी आबकारी की नीति को समझने और उसे अपनाने के लिए अपनी टीम भेजकर निरीक्षण किया. झारखंड एक ऐसा राज्य है जो जल्द ही छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति को अपने राज्य में लागू करने वाला है. छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेजेस कॉरपोरेशन लिमिटेड के (CHHATTISGARH STATE BEVERAGES CORPORATION) एमडी अरुण पति त्रिपाठी ने बताया कि, झारखंड के लिए 3 बार प्रेजेंटेशन और मीटिंग हुई है और अब झारखंड जल्दी आबकारी नीति को लागू करेगा. मध्यप्रदेश ने भी प्रदेश की आबकारी नीति को समझने के लिए सरकार से संपर्क कर समय मांगा है. इसके अलावा हरियाणा और तमिलनाडु सरकार ने भी छत्तीसगढ़ की आबकारी नीतियों से प्रभावित होकर इसे समझने और रिसर्च करने का समय मांगा है.

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छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति में क्या है ?
छत्तीसगढ़ में पहले शराब की बिक्री ठेके पद्धति से की जाती थी, लेकिन 2017 में भाजपा सरकार के सरकार द्वारा ही शराब दुकान के संचालन करने की शरुआत की गई. मौजूदा कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ की नई शराब नीति तैयार की. इसमें उन्होंने आईटी विभाग की मदद ली. शराब बिक्री के लिए आईटी तंत्र को मजबूत किया है. लॉकडाउन के दौरान भी छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन शराब की होम डिलीवरी की गई थी. जिसके कारण सरकार के राजस्व में इजाफा हुआ.

आबकारी नीति के तहत दूसरे राज्यों से शराब की तस्करी को रोकने के लिए सरकार ने अंग्रेजी शराब में 25 से 30% एक्साइज ड्यूटी कम करने का फैसला लिया था. शराब की कीमत भी कम हुई उसके साथ ही प्रति व्यक्ति शराब रखने की लिमिट को भी बढ़ाकर 5 लीटर किया गया. इससे सरकार को काफी फायदा हुआ.



छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कंपनी झारखंड में देगी सेवाएं
आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की नई शराब नीति झारखंड सरकार को काफी पसंद आई है. पड़ोसी राज्य भी अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए इसे लागू करने की तैयारी में हैं जल्द ही छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड झारखंड राज्य में अपनी सेवाएं देगी. इस पर जल्द फैसला लिया जाएगा.

समूचे छत्तीसगढ़ में नहीं हो सकती है शराबबंदी- पीसीसी चीफ मोहन मरकाम



छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री से राजस्व में हुआ इजाफा
फाइनेंसियल इयर 2020-21 में आबकारी विभाग से सरकार को 4635.80 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई थी लेकिन अभी तक अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक शराब से सरकार को 4260 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. जानकारों का कहना है कि मार्च खत्म होने तक यह आंकड़ा 5000 करोड़ के पार पहुंच जाएगा.


शराब बिक्री से सरकार को हुई अच्छी कमाई

साल 2015-16 में 3338.40 करोड़ रुपये
साल 2016-17 में 3443.51करोड़ रुपये
साल 2017-18 में 4050 करोड़ रुपये
साल 2018-19 में 4489.02 करोड़ रुपये
साल 2019-20 में 4952.36करोड़ रुपये
साल 2020-21 में 4635.80 करोड़ रुपये

Last Updated : Feb 22, 2022, 10:00 PM IST
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