रायपुर: अभनपुर के सेठ फूलचंद अग्रवाल स्मृति महाविद्यालय में एड्स जागरूकता (एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम) के लिए पहल की गई है. एड्स जागरूकता को लेकर भाषण, निबंध, पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. रेड रिबन क्लब और राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत इस बीमारी के प्रति युवाओं को सतर्क करने की कोशिश की गई है.
महाविद्यालय के प्रशासक डॉ पीबी हरिहरणो ने प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि इस रोग की अबतक दवाई नहीं बन पाई है. वहीं सुरक्षा और सलाह ही इसके बचाव हैं. उन्होंने छात्र-छात्राओं को जागरूक करने के लिहाज से बताया कि यह संक्रामक रोग नहीं है. केवल संक्रमित सुई और रक्त संपर्क में आने से ही दूसरों को फैल सकता है. छूने और साथ बैठने से इसका प्रभाव दूसरों पर नहीं पड़ता है. उन्होंने कहा कि जब भी हमारे परिवार वालों को रक्त की आवश्यकता हो तो इन बातों को जरूर ध्यान में रखें.
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एड्स जानलेवा बीमारी
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ शोभा गावरी ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी अच्छी तरह से जानती है कि यह एक जानलेवा बीमारी है. हमारे युवा गांव-गांव जाकर इस रोग के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं. उन्होंने अपने संबोधन में स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि मात्र 39 वर्ष की अवस्था में विवेकानंद ने अनेक उल्लेखनीय कार्य किए थे. आज के युवाओं को उनसे सीखना चाहिए. भारत का हर युवा इस गंभीर रोग को मिटाने के लिए संकल्पित है और गांव से लेकर शहर तक इसका व्यापक प्रचार-प्रसार कर रहा है.
HIV संक्रमित जी सकते हैं सामान्य जीवन
जानकार कहते हैं कि HIV वायरस से संक्रमित होने के बाद भी व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है. वह किसी भी व्यक्ति की तरह दीर्घायु हो सकता है. सबसे जरूरी बात यह है कि वह किसी तरह का नशा न ले और संयमित रहकर एक संतुलित दिनचर्या का पालन करें..