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छत्तीसगढ़ : मीसाबंदी पेंशन बंद होने से सियासी गलियारे में उठ रहे विरोध के स्वर

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के 300 से भी ज्यादा मीसाबंदियों को प्रतिमाह दी जाने वाली सम्मान निधि को बंद कर दिया है, जिसे लेकर सियासी गलियारों में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं.

Opposition in political corridors intensified due to closure of MISA prisoner pension
सियासी गलियारों में विरोध तेज
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Published : Jan 24, 2020, 11:39 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मीसाबंदियों को दी जाने वाली पेंशन को पूरी तरह से बंद करने का फरमान जारी हो चुका है. इस आदेश के जारी होने के बाद मीसाबंदियों में जमकर नाराजगी देखी जा रही है.

मीसाबंदी पर सियासी गलियारों में विरोध तेज

दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने मीसाबंदियों को दी जाने वाली लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना को बंद कर दिया है, जिससे राज्य के करीब 300 से ज्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं.

कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला

मीसाबंदी पेंशन बंद करने को लेकर सियासी गलियारों में विरोध तेज हो गया है. लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने भाजपा सरकार की ओर से शुरू की गई इस सम्मान निधि को बंद करने पर कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि 'राज्य सरकार लोकतंत्र की हत्या करने जैसा कृत्य कर रही है. आपातकाल जैसे काम करके आपातकाल की याद दिला रही है.'

'मीसाबंदियों के कारण ही लोकतंत्र बचा'

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता वीरेंद्र पांडेय ने भी इसे लेकर राज्य सरकार पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि 'आपातकाल में लोकतंत्र बचाने के लिए देशभर में लोगों ने लड़ाई लड़ी. देश में आज लोकतंत्र बचा है, तो इन्हीं मीसाबंदियों के कारण ही बचा है.'

'बीजेपी ने साल 2008 में शुरू की थी पेंशन'

दरअसल, पूर्व की बीजेपी सरकार ने साल 2008 में मीसाबंदियों को पेंशन देने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना शुरू की थी. इसके तहत राज्य के करीब 325 मीसा बंदियों को ₹15000 से लेकर ₹20000 तक की मासिक पेंशन दी जा रही थी. हालांकि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जनवरी 2019 से छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पेंशन पर रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं भी लंबित हैं. छत्तीसगढ़ में मीसाबंदियों के पेंशन रोके जाने के खिलाफ इस वक्त बिलासपुर हाईकोर्ट में 40 याचिका लगी हुई हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मीसाबंदियों को दी जाने वाली पेंशन को पूरी तरह से बंद करने का फरमान जारी हो चुका है. इस आदेश के जारी होने के बाद मीसाबंदियों में जमकर नाराजगी देखी जा रही है.

मीसाबंदी पर सियासी गलियारों में विरोध तेज

दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने मीसाबंदियों को दी जाने वाली लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना को बंद कर दिया है, जिससे राज्य के करीब 300 से ज्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं.

कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला

मीसाबंदी पेंशन बंद करने को लेकर सियासी गलियारों में विरोध तेज हो गया है. लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने भाजपा सरकार की ओर से शुरू की गई इस सम्मान निधि को बंद करने पर कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि 'राज्य सरकार लोकतंत्र की हत्या करने जैसा कृत्य कर रही है. आपातकाल जैसे काम करके आपातकाल की याद दिला रही है.'

'मीसाबंदियों के कारण ही लोकतंत्र बचा'

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता वीरेंद्र पांडेय ने भी इसे लेकर राज्य सरकार पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि 'आपातकाल में लोकतंत्र बचाने के लिए देशभर में लोगों ने लड़ाई लड़ी. देश में आज लोकतंत्र बचा है, तो इन्हीं मीसाबंदियों के कारण ही बचा है.'

'बीजेपी ने साल 2008 में शुरू की थी पेंशन'

दरअसल, पूर्व की बीजेपी सरकार ने साल 2008 में मीसाबंदियों को पेंशन देने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना शुरू की थी. इसके तहत राज्य के करीब 325 मीसा बंदियों को ₹15000 से लेकर ₹20000 तक की मासिक पेंशन दी जा रही थी. हालांकि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जनवरी 2019 से छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पेंशन पर रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं भी लंबित हैं. छत्तीसगढ़ में मीसाबंदियों के पेंशन रोके जाने के खिलाफ इस वक्त बिलासपुर हाईकोर्ट में 40 याचिका लगी हुई हैं.

Intro:छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मीसा बंदियों को दी जाने वाली पेंशन को पूरी तरह से बंद करने का फरमान जारी हो चुका है। इस आदेश के जारी होने के बाद लंबे समय से लोकतंत्र के लिए काम करने वाले मीसा बंदियों में जमकर नाराजगी देखी जा रही है। दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने मीसा बंदियों को दिए जाने वाली लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना को बंद कर दिया है। इस योजना से राज्य के करीब 300 से ज्यादा लोगों को पेंशन मिलना बंद हो जाएगा।




Body:छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की ओर से अब प्रदेश के 300 से भी ज्यादा मीसाबंदियों को प्रतिमाह दिए जाने वाली सम्मान निधि को बंद कर दिया गया है। इसे लेकर आओ सियासी गलियारों में विरोध तेज हो गया है, लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने भाजपा सरकार की ओर से शुरू की गई इस सम्मान निधि को बंद करने पर कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार लोकतंत्र की हत्या करने जैसा कृत्य कर रही है। आपातकाल जैसे काम करके आपातकाल की याद दिला रही है छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार जिस तरह से इंदिरा जी ने न्यायालय के आदेश को कचरे में फेंक दिया था। उसी तरह छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार न्यायालय के आदेश को भी नहीं मान रही है कानून विशेषज्ञों से राय लेकर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई जारी रखी जाएगी।

बाइट सच्चिदानंद उपासने, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, लोकतंत्र सेनानी संघ

वही सामाजिक कार्यकर्ता वीरेंद्र पांडे ने भी इसे लेकर राज्य सरकार पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि आपातकाल में
लोकतंत्र बचाने के लिए देशभर में लोगो ने लड़ाईया लड़ी है। देश मे आज लोकतंत्र बचा है तो इन्ही मीसाबंदियों के कारण ही बचा है।

बाइट वीरेंद्र पांडे, सामाजिक कार्यकर्ता




Conclusion:दरअसल पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 2008 में मीसा बंदियों को पेंशन देने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना शुरू की थी इसके तहत राज्य के करीब 325 मीसा बंदियों को ₹15000 से लेकर ₹20000 तक की मासिक पेंशन दी जा रही थी हालांकि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जनवरी 2019 से छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पेंशन पर रोक लगा दी थी इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं भी लंबित है मध्यप्रदेश में भी सत्ता परिवर्तन के साथ मीसा बंदियों को दी जाने वाली पेंसिल कांगरे सरकार ने बंद कर दी थी वहां मीसा बंदियों ने हाईकोर्ट में सरकार के इस फैसले को चुनौती दी है छत्तीसगढ़ में भी मीसा बंदियों को पेंशन रोके जाने के खिलाफ इस वक्त बिलासपुर हाईकोर्ट में 40 याचिकाएं लगी हुई है या याचिकाएं मीसाबंदी और उनकी विधवा पत्नियों ने लगाया है नीमा अनुसार मीसाबंदी की विधवाओं को भी आधा पेंशन पाने का अधिकार है।
मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
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