रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मीसाबंदियों को दी जाने वाली पेंशन को पूरी तरह से बंद करने का फरमान जारी हो चुका है. इस आदेश के जारी होने के बाद मीसाबंदियों में जमकर नाराजगी देखी जा रही है.
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने मीसाबंदियों को दी जाने वाली लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना को बंद कर दिया है, जिससे राज्य के करीब 300 से ज्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं.
कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला
मीसाबंदी पेंशन बंद करने को लेकर सियासी गलियारों में विरोध तेज हो गया है. लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने भाजपा सरकार की ओर से शुरू की गई इस सम्मान निधि को बंद करने पर कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि 'राज्य सरकार लोकतंत्र की हत्या करने जैसा कृत्य कर रही है. आपातकाल जैसे काम करके आपातकाल की याद दिला रही है.'
'मीसाबंदियों के कारण ही लोकतंत्र बचा'
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता वीरेंद्र पांडेय ने भी इसे लेकर राज्य सरकार पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि 'आपातकाल में लोकतंत्र बचाने के लिए देशभर में लोगों ने लड़ाई लड़ी. देश में आज लोकतंत्र बचा है, तो इन्हीं मीसाबंदियों के कारण ही बचा है.'
'बीजेपी ने साल 2008 में शुरू की थी पेंशन'
दरअसल, पूर्व की बीजेपी सरकार ने साल 2008 में मीसाबंदियों को पेंशन देने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना शुरू की थी. इसके तहत राज्य के करीब 325 मीसा बंदियों को ₹15000 से लेकर ₹20000 तक की मासिक पेंशन दी जा रही थी. हालांकि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जनवरी 2019 से छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पेंशन पर रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं भी लंबित हैं. छत्तीसगढ़ में मीसाबंदियों के पेंशन रोके जाने के खिलाफ इस वक्त बिलासपुर हाईकोर्ट में 40 याचिका लगी हुई हैं.