रायपुर: विधानसभा में मानसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही में प्रश्नकाल के दौरान शराब मुद्दा गरमाया रहा. प्रदेश में शराब बिक्री के राजस्व पर कांग्रेस विधायक संतराम नेताम ने विभागीय मंत्री कवासी लखमा से प्राप्त लाभ पर सवाल पूछे. जिसके जवाब में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि साल 2019 से जून 2020 तक शासन को शराब के विक्रय से 6831 करोड़ 71 लाख 79 हजार 63 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. आबकारी मंत्री ने बताया कि दो करोड़ 17 लाख 85 हजार 66 लीटर देशी शराब की खरीदी की गई. वहीं विदेशी शराब (स्प्रिट) की खरीदी एक करोड़ 59 लाख 10 हजार 529 लीटर की रही. विदेशी शराब (माल्ट) की खरीदी 84 लाख 47 हजार 89 लीटर की गई.
विपक्ष के सवाल से सदन में हंसी ठिठोली और गहमा गहमी देखी गई. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आबकारी मंत्री कवासी लखमा से जानना चाहा कि शराब दुकान के लिए प्लेसमेंट एजेंसी नियुक्त करने का मापदंड क्या तय किया गया है? प्लेसमेंट एजेंसी सरकारी राजस्व की हेरा फेरी कर रहे हैं, इसके बाद भी अबतक किसी प्लेसमेंट एजेंसी के खिलाफ FIR क्यों नहीं कराई गई?
नेता प्रतिपक्ष के सवाल पर आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने जवाब देते हुए कहा कि प्लेसमेंट एजेंसी के 700 कर्मचारियों को शिकायत के बाद बाहर निकाला गया है. गड़बड़ी करने वाले प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
विधानसभा में शराब मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्षी विधायकों के बीच उस समय जोरदार बहस हो गई जब विपक्ष ने आरोप लगाया कि एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए मांग से ज्यादा बीयर की खरीदी गई है और ये खरीदी आबकारी मंत्री की जानकारी के बिना की गई है. इसपर आबकारी मंत्री घिरते नजर आए. खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने मंत्री लखमा का बचाव करना चाहा. लेकिन विपक्ष की नोंक झोक को भगत सह नहीं पाए. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने लखमा का बचाव करते हुए सदन को जवाब दिया.
विधायक अजय चंद्राकर ने ली चुटकी
मंत्री चौबे के जवाब दिए जाने पर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने चुटकी लेते हुए कहा कि पहली बार तो दादी (कवासी लखमा) जवाब देने खड़े हुए और जवाब भी सही दे रहे थे तो आप लोग क्यों खड़े हो गए.