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Religious Rituals for PM Modi: पीएम मोदी के लिए धार्मिक अनुष्ठान पर पुरोहित और राजनीतिक दलों की राय - PM Modi Security Lapse Case

Religious rituals for PM modi: हाल ही में पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक के बाद पूरे देश सहित छत्तीसगढ़ में भाजपा ने महामृत्युंजय यज्ञ कराया था. जिसे लेकर पुरोहित सहित नेताओं ने अपनी राय ETV भारत को दी है. आइए जानते हैं उनका क्या कहना हैं...

Opinion of priest and leader of political party on religious rituals
धार्मिक अनुष्ठान पर पुरोहित और राजनीतिक दल के नेता की राय
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Published : Jan 8, 2022, 9:19 PM IST

रायपुर: देश सहित प्रदेश में राजनीतिक प्रदर्शन के लिए अब धार्मिक अनुष्ठानों का भी उपयोग किया जाने लगा है. पहले प्रदर्शन के दौरान सद्बुद्धि यज्ञ, महाआरती सहित अन्य अनुष्ठान किए जाते रहे हैं. लेकिन अब महामृत्युंजय जैसा महत्वपूर्ण अनुष्ठान भी राजनीतिक अनुष्ठान बनते जा रहा है. इस अनुष्ठान का भी राजनीतिक दलों के द्वारा राजनीतिकरण किया जा रहा है.

पीएम के लिए धार्मिक अनुष्ठान

पीएम के लिए धार्मिक अनुष्ठान

हाल ही में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक और उसके बाद भाजपा द्वारा देश सहित प्रदेश में महामृत्युंजय यज्ञ कराया गया. मोदी की दीर्घायु की कामना की गई, लेकिन यह पूरा आयोजन राजनीतिक था. यही कारण है कि अब इस तरह के अनुष्ठानों के राजनीतिकरण को लेकर सवाल उठने लगे हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इस तरह के राजनीतिक अनुष्ठानों का क्या औचित्य है? इनका कितना महत्व है? इसका कितना प्रभाव पड़ता है? इसे लेकर पुरोहित और राजनीतिक दल के नेता क्या कहते हैं.

यह भी पढ़ेंः दुर्ग में महापौर और सभापति पदभार ग्रहण समारोह में सीएम भूपेश बघेल

गलत समय में की गई पूजा का उल्टा असर

ETV भारत ने इस तरह के अनुष्ठान और उसकी विधि को लेकर श्री सुरेश्वर महादेव पीठ के संस्थापक स्वामी राजेश्वरानंद से बातचीत की. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक अनुष्ठान किए. जो सरासर गलत है. महामृत्युंजय यज्ञ की बात की जाए तो उसकी एक तिथि, समय होता है, एक विधि होती है. उसके हिसाब से जप किया जाता है. यदि इसके अनुसार अनुष्ठान ना किया जाए तो निश्चित तौर पर इसका विपरीत फल मिलता है. यानी कि उसका दुष्परिणाम अनुष्ठान करने वाले को भुगतना पड़ सकता है.

सीएम बघेल ने कहा- ये भाजपा के षडयंत्र का हिस्सा

इस विषय में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केवल राजनीतिक लाभ लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस तरह का बयान दिया.भाजपा के लोग महामृत्युंजय यज्ञ कर रहे हैं, पुतला जला रहे हैं, यह सिर्फ ढकोसला है. बघेल ने कहा कि इससे पहले मनमोहन सिंह और राजीव गांधी के समय भी ऐसे अवसर आए थे. मनमोहन सिंह को काले झंडे दिखाए गए थे. राजीव गांधी के कार्यक्रम के दौरान फायरिंग हुई थी. उस समय इन लोगों के द्वारा इसे राजनीतिक लाभ लेने के लिए तूल नहीं दिया गया था. RSS और बीजेपी जिस तरह के षड्यंत्र करती रहती है, यह भी उसी का एक हिस्सा है.

अनुष्ठान नहीं नौटंकी हैः कांग्रेस

इस विषय में कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जो महामृत्युंजय यज्ञ करवाया गया है, वह सरासर गलत है. हिंदू और एक ब्राह्मण होने के नाते इस पर मेरी आपत्ति है. महामृत्युंजय यज्ञ कराने का अपना एक विधान है. ऐसी भी मान्यता है कि विधान के विपरीत कराने पर उसका उल्टा प्रभाव भी आयोजन करने वाले पर पड़ता है. इस तरह के अनुष्ठानों के लिए एक अलग ही विधान बनाया गया है. लेकिन भाजपा ने इस अनुष्ठान को कर नौटंकी की गई है.

मंदिरों से था कांग्रेस को परहेज

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि 'कांग्रेस महामृत्युंजय जाप बोलना तो अभी 2 साल से सीखी हैं. उनको लगा कि बगैर मंदिर के, बगैर हिंदू धर्म के इनकी चाल आगे बढ़ेगी. यह वह लोग हैं जो बोलते थे कि मंदिर में जाकर लड़कियों के साथ छेड़खानी की जाती है. उनके नेताओं इस तरह के बयान देते रहे हैं. ये वो लोग हैं, जो राम मंदिर पर सवाल खड़ा किया करते थे. रामसेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाते थे. जो कोर्ट में जाकर राम मंदिर निर्माण पर बाधा बनने की कोशिश करते थे. ये हमको क्या सिखाएंगे'.

बहरहाल इस तरह से राजनीतिक दलों के द्वारा विरोध प्रदर्शन या अन्य किसी कारण किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों का क्या असर जनता पर पड़ता है और जनता इसे किस रूप में लेती है? इसका किस तरह से राजनीतिक दलों को खामियाजा उठाना पड़ सकता है? ये तो आने वाल वक्त ही बताएगा.

रायपुर: देश सहित प्रदेश में राजनीतिक प्रदर्शन के लिए अब धार्मिक अनुष्ठानों का भी उपयोग किया जाने लगा है. पहले प्रदर्शन के दौरान सद्बुद्धि यज्ञ, महाआरती सहित अन्य अनुष्ठान किए जाते रहे हैं. लेकिन अब महामृत्युंजय जैसा महत्वपूर्ण अनुष्ठान भी राजनीतिक अनुष्ठान बनते जा रहा है. इस अनुष्ठान का भी राजनीतिक दलों के द्वारा राजनीतिकरण किया जा रहा है.

पीएम के लिए धार्मिक अनुष्ठान

पीएम के लिए धार्मिक अनुष्ठान

हाल ही में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक और उसके बाद भाजपा द्वारा देश सहित प्रदेश में महामृत्युंजय यज्ञ कराया गया. मोदी की दीर्घायु की कामना की गई, लेकिन यह पूरा आयोजन राजनीतिक था. यही कारण है कि अब इस तरह के अनुष्ठानों के राजनीतिकरण को लेकर सवाल उठने लगे हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इस तरह के राजनीतिक अनुष्ठानों का क्या औचित्य है? इनका कितना महत्व है? इसका कितना प्रभाव पड़ता है? इसे लेकर पुरोहित और राजनीतिक दल के नेता क्या कहते हैं.

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गलत समय में की गई पूजा का उल्टा असर

ETV भारत ने इस तरह के अनुष्ठान और उसकी विधि को लेकर श्री सुरेश्वर महादेव पीठ के संस्थापक स्वामी राजेश्वरानंद से बातचीत की. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक अनुष्ठान किए. जो सरासर गलत है. महामृत्युंजय यज्ञ की बात की जाए तो उसकी एक तिथि, समय होता है, एक विधि होती है. उसके हिसाब से जप किया जाता है. यदि इसके अनुसार अनुष्ठान ना किया जाए तो निश्चित तौर पर इसका विपरीत फल मिलता है. यानी कि उसका दुष्परिणाम अनुष्ठान करने वाले को भुगतना पड़ सकता है.

सीएम बघेल ने कहा- ये भाजपा के षडयंत्र का हिस्सा

इस विषय में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केवल राजनीतिक लाभ लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस तरह का बयान दिया.भाजपा के लोग महामृत्युंजय यज्ञ कर रहे हैं, पुतला जला रहे हैं, यह सिर्फ ढकोसला है. बघेल ने कहा कि इससे पहले मनमोहन सिंह और राजीव गांधी के समय भी ऐसे अवसर आए थे. मनमोहन सिंह को काले झंडे दिखाए गए थे. राजीव गांधी के कार्यक्रम के दौरान फायरिंग हुई थी. उस समय इन लोगों के द्वारा इसे राजनीतिक लाभ लेने के लिए तूल नहीं दिया गया था. RSS और बीजेपी जिस तरह के षड्यंत्र करती रहती है, यह भी उसी का एक हिस्सा है.

अनुष्ठान नहीं नौटंकी हैः कांग्रेस

इस विषय में कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जो महामृत्युंजय यज्ञ करवाया गया है, वह सरासर गलत है. हिंदू और एक ब्राह्मण होने के नाते इस पर मेरी आपत्ति है. महामृत्युंजय यज्ञ कराने का अपना एक विधान है. ऐसी भी मान्यता है कि विधान के विपरीत कराने पर उसका उल्टा प्रभाव भी आयोजन करने वाले पर पड़ता है. इस तरह के अनुष्ठानों के लिए एक अलग ही विधान बनाया गया है. लेकिन भाजपा ने इस अनुष्ठान को कर नौटंकी की गई है.

मंदिरों से था कांग्रेस को परहेज

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि 'कांग्रेस महामृत्युंजय जाप बोलना तो अभी 2 साल से सीखी हैं. उनको लगा कि बगैर मंदिर के, बगैर हिंदू धर्म के इनकी चाल आगे बढ़ेगी. यह वह लोग हैं जो बोलते थे कि मंदिर में जाकर लड़कियों के साथ छेड़खानी की जाती है. उनके नेताओं इस तरह के बयान देते रहे हैं. ये वो लोग हैं, जो राम मंदिर पर सवाल खड़ा किया करते थे. रामसेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाते थे. जो कोर्ट में जाकर राम मंदिर निर्माण पर बाधा बनने की कोशिश करते थे. ये हमको क्या सिखाएंगे'.

बहरहाल इस तरह से राजनीतिक दलों के द्वारा विरोध प्रदर्शन या अन्य किसी कारण किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों का क्या असर जनता पर पड़ता है और जनता इसे किस रूप में लेती है? इसका किस तरह से राजनीतिक दलों को खामियाजा उठाना पड़ सकता है? ये तो आने वाल वक्त ही बताएगा.

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