रायपुर: नक्सल प्रभावित बस्तर में युवाओं को रोजगार देने के लिए छतीसगढ़ सरकार नीति बनाने का दावा कर रही है. इसके लिए छोटे स्टील प्लांट लगाने की बात हो रही है, साथ ही केंद्र सरकार से इस संबंध में बात की गई है. ETV भारत की टीम ने नक्सल मामलों के एक्सपर्ट्स से बात की और समझने की कोशिश की कैसे रोजगार के जरिए लाल आतंक का खात्मा किया जा सकता है.
नक्सल इलाके में रोजगार की भूमिका पर नक्सल मामलों की जानकार वर्णिका शर्मा की राय
- नक्सलियों के लिए 15 से 35 साल के लोग सबसे ज्यादा काम के होते हैं. अगर इस आयु वर्ग के पास रोजगार नहीं होगा. ये लोग खाली होंगे तो इन्हें माओवादी आसानी से बरगला सकते हैं. अब तक ये बड़े पैमाने में ये देखने को भी मिला है.
- अक्सर नक्सल समस्या के हल के लिए शांति और विकास की बात की जाती है. लेकिन इन दोनों को जोड़ने वाला पुल जिसे हम प्रबंधन कह सकते हैं, वो नहीं होता. जबकि बेहतर प्रबंधन से ही बेहतर शिक्षा और रोजगार मुहैया कराई जा सकती है.
- 'जियो स्ट्रेटजिक सॉल्यूशन ऑफ मैनेजमेंट' की रणनीति बनाई जानी चाहिए. नक्सल समस्या को बेहद करीब से देखने वाली वर्णिका शर्मा कहती हैं कि अभिरूचि के हिसाब से योजना बनाए जाने से ज्यादा लाभ मिल सकता है. मसलन हर क्षेत्र और समाज की एक खास अभिरूचि होती है. हमें इसी के अनुरूप रोजगार की योजना बनानी चाहिए. इससे जल्द बेहतर नतीजे मिल सकते हैं.
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नक्सल एक्सपर्ट शुभ्रांशु चौधरी की राय
- बस्तर में रोटी और मकान तो उपलब्ध है लेकिन कपड़ा नहीं है, सरकार ग्राम उद्योग को बढ़ावा देकर कपड़ा बनाने का काम ग्रामीणों के माध्यम से शुरू कर सकती है. चौधरी का कहना है कि बस्तर शब्द वस्त्र से जुड़ा हुआ है. यहां बांस बड़े पैमाने में उपलब्ध है, बांस से कपड़ा बनाने का काम हो सकता है. सरकार इन संभावनाओं की ओर देखे और इन उद्योगों से लोगों को जोड़े. बड़े उद्योग स्टील आदि के कारखाने लगाकर नक्सल समस्या का हल नहीं हो सकता.
- शुभ्रांशु चौधरी का कहना है कि बड़े कारखाने लगाने से जंगलों में रहने वाले आम आदिवासियों का भला नहीं होगा, क्योंकि बड़े उद्योगों में ये लोग नौकरी नहीं कर सकते. सरकार अगर नई बोतल में पुरानी शराब बेचने की कोशिश करेगी तो इससे किसी का भला नहीं होगा.
- सरकार को बस्तर में बदलाव लाने के लिए थोड़ा क्रिएटिव बनना पड़ेगा. बड़े उद्योग के बजाए हैंडलूम को बढ़ावा देना चाहिए. जिन हाथों में एके-47 है उन हाथों में चरखा दीजिए.
इस तरह बस्तर और नक्सल समस्या को करीब से देखने वाले दोनों एक्सपर्ट मानते हैं कि रोजगार बस्तर की तस्वीर बदलने में कारगर हो सकता है. लेकिन इसके लिए सरकार को परिस्थिति के मुताबिक रणनीति बनाने की जरूरत है.