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रायपुर: कोरोना काल में OPD के मरीजों में 30 से 40 प्रतिशत की कमी

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Published : Oct 6, 2020, 10:43 PM IST

Updated : Oct 6, 2020, 11:35 PM IST

कोरोना काल में लोग दूसरी बीमारियों का इलाज कराने के लिए अस्पताल जाने से बच रहे हैं. ऐसे में कोरोना काल के दौरान ओपीडी में आने वाले मरीजों में कमी आई है.

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मेकाहारा हॉस्पिटल रायपुर

रायपुर: कोरोना संकट काल में अन्य बीमारियों का इलाज करवाने के लिए लोग अस्पताल जाने से बच रहे हैं. यही कारण है कि इसकी वजह से ओपीडी (OPD) के मरीजों में 30 से 40 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में प्रदेश और अन्य राज्यों के मरीज भी इलाज करवाने पहुंचते हैं. यहां ओपीडी में इलाज कराने वाले मरीजों में कमी देखने को मिल रही है. लोग कोरोना संक्रमण के डर से अस्पताल जाने से बच रहे हैं. लोगों के मन में डर है कि कहीं अस्पताल से ही उन्हें कोरोना न हो जाए.

कोरोना काल में अस्पताल जाने से बच रहे लोग

मेकाहारा की पीआरओ शुभ्रा सिंह ठाकुर ने बताया कि कोरोना संक्रमण में ओपीडी के मरीजों में कमी देखने को मिली है. साल 2019 में नवंबर और दिसंबर महीने में जहां ओपीडी 44 हजार से लेकर 48 हजार तक होती थी, वही अभी सितंबर महीने में ये आंकड़ा 23 हजार तक आ गया है. अगस्त महीने में यह आंकड़ा और भी कम रहा. इस दौरान 17 हजार मरीज इलाज करवाने के लिए ओपीडी पहुंचे थे.

अस्पताल आने से बच रहे लोग: शुभ्रा ठाकुर

शुभ्रा ठाकुर ने बताया कि कोरोना की वजह से लोग वैसे भी अस्पताल आने से बच रहे हैं. इसके अलावा बीच-बीच में लग रहे लॉकडाउन के कारण भी लोग जो अन्य जिलों से या अन्य राज्यों से आते थे, वह अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यह सबसे बड़ी वजह है कि ओपीडी कम रही. इसके अलावा जो मरीज आ रहे हैं, तुरंत उनका टेस्ट किया जा रहा है.

कोरोना सघन सामुदायिक सर्वे अभियान: पहले दिन छत्तीसगढ़ में 6 लाख घरों में हुआ सर्वे

लॉकडाउन में हुई परेशानी: साधुराम

पत्नी का इलाज कराने आए साधुराम ने बताया कि उन्हें अस्पताल में तो दिक्कतें कम हुईं, लेकिन जब भी लॉकडाउन के दौरान अपनी पत्नी को अस्पताल लाने के लिए वाहन की व्यवस्था कर रहे थे, उसमें काफी दिक्कत हुई. हालांकि वे अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल आए तो उसके बाद पहले उनका टेस्ट करवाया गया. रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया.

बिना टेस्ट के एंट्री नहीं

कोरोना संकट काल में लोग जहां एक ओर अस्पताल जाने से बच रहे हैं, तो वहीं कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जहां अस्पताल में इलाज करवाने के लिए लोग पहुंच रहे हैं. लोगों को बिना टेस्ट के भर्ती नहीं किया जा रहा है. टेस्ट में देरी होने की वजह से सीरियस मरीज की जान तक चली जा रही है. अस्पतालों को यह गाइडलाइन दी गई है कि बिना टेस्ट के मरीजों को भर्ती न किया जाए. इसके नाम पर कई अस्पताल ऐसे हैं जो मरीजों को यहां से वहां दौड़ा रहे हैं. जिससे उनका इलाज सही टाइम पर नहीं हो पा रहा है.

रायपुर: कोरोना संकट काल में अन्य बीमारियों का इलाज करवाने के लिए लोग अस्पताल जाने से बच रहे हैं. यही कारण है कि इसकी वजह से ओपीडी (OPD) के मरीजों में 30 से 40 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में प्रदेश और अन्य राज्यों के मरीज भी इलाज करवाने पहुंचते हैं. यहां ओपीडी में इलाज कराने वाले मरीजों में कमी देखने को मिल रही है. लोग कोरोना संक्रमण के डर से अस्पताल जाने से बच रहे हैं. लोगों के मन में डर है कि कहीं अस्पताल से ही उन्हें कोरोना न हो जाए.

कोरोना काल में अस्पताल जाने से बच रहे लोग

मेकाहारा की पीआरओ शुभ्रा सिंह ठाकुर ने बताया कि कोरोना संक्रमण में ओपीडी के मरीजों में कमी देखने को मिली है. साल 2019 में नवंबर और दिसंबर महीने में जहां ओपीडी 44 हजार से लेकर 48 हजार तक होती थी, वही अभी सितंबर महीने में ये आंकड़ा 23 हजार तक आ गया है. अगस्त महीने में यह आंकड़ा और भी कम रहा. इस दौरान 17 हजार मरीज इलाज करवाने के लिए ओपीडी पहुंचे थे.

अस्पताल आने से बच रहे लोग: शुभ्रा ठाकुर

शुभ्रा ठाकुर ने बताया कि कोरोना की वजह से लोग वैसे भी अस्पताल आने से बच रहे हैं. इसके अलावा बीच-बीच में लग रहे लॉकडाउन के कारण भी लोग जो अन्य जिलों से या अन्य राज्यों से आते थे, वह अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यह सबसे बड़ी वजह है कि ओपीडी कम रही. इसके अलावा जो मरीज आ रहे हैं, तुरंत उनका टेस्ट किया जा रहा है.

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लॉकडाउन में हुई परेशानी: साधुराम

पत्नी का इलाज कराने आए साधुराम ने बताया कि उन्हें अस्पताल में तो दिक्कतें कम हुईं, लेकिन जब भी लॉकडाउन के दौरान अपनी पत्नी को अस्पताल लाने के लिए वाहन की व्यवस्था कर रहे थे, उसमें काफी दिक्कत हुई. हालांकि वे अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल आए तो उसके बाद पहले उनका टेस्ट करवाया गया. रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया.

बिना टेस्ट के एंट्री नहीं

कोरोना संकट काल में लोग जहां एक ओर अस्पताल जाने से बच रहे हैं, तो वहीं कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जहां अस्पताल में इलाज करवाने के लिए लोग पहुंच रहे हैं. लोगों को बिना टेस्ट के भर्ती नहीं किया जा रहा है. टेस्ट में देरी होने की वजह से सीरियस मरीज की जान तक चली जा रही है. अस्पतालों को यह गाइडलाइन दी गई है कि बिना टेस्ट के मरीजों को भर्ती न किया जाए. इसके नाम पर कई अस्पताल ऐसे हैं जो मरीजों को यहां से वहां दौड़ा रहे हैं. जिससे उनका इलाज सही टाइम पर नहीं हो पा रहा है.

Last Updated : Oct 6, 2020, 11:35 PM IST
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