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रायपुर: पर्युषण पर्व के आखिरी दिन जैन समाज के लोगों ने मनाया क्षमा पर्व

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Published : Aug 23, 2020, 11:39 AM IST

Updated : Aug 23, 2020, 12:07 PM IST

रायपुर में शनिवार को क्षमा पर्व मनाया गया. जैन समाज का सबसे बड़ा पर्व पर्युषण के आखिरी दिन क्षमा याचिका की जाती है. इस दौरान समाज के लोगों ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पर्व को मनाया.

paryushan festival
क्षमा पर्व

रायपुर: शनिवार को पर्युषण पर्व के आखिरी दिन जैन समाज के लोगों ने क्षमा पर्व मनाया. इस दौरान जैन समाज के लोगों ने एक दूसरे के अलावा सभी जीव जंतुओं से अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना की. इसी के साथ रविवार से दिगंबर जैन समाज के लोग दशलक्षण महापर्व पर्युषण मनाएंगे जो अगले 8 दिन तक जारी रहेगा.

जैन समाज के लोगों ने मनाया क्षमा पर्व
पर्युषण पर्व के मौके पर एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में समाज के लोगों ने इकट्ठा होकर प्रवचन सुना. कोरोना संक्रमण के चलते जैन दादाबाड़ी में बहुत ही कम संख्या में भक्त पहुंचे. इस दौरान सभी भक्तों ने मास्क पहनकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर क्षमा पर्व मनाया. इस दौरान जैन धर्म के लोगों ने कल्पसूत्र के 12 सूत्र का वाचन किया.साध्वी सम्यक दर्शना और साध्वी समत्वधिश्रीजी ने सूत्रों के महत्व पर प्रवचन दिया.


विश्वभर के जीव-जंतू से की जाती है क्षमा याचना

जैन समाज के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली ने बताया कि समाज के लोगों का यह महापर्व होता है. जैसे हिंदू धर्म के लोग दीपावली का इंतजार करते हैं, वैसे ही जैन धर्म के लोग इस दिन का साल भर इंतजार करते हैं. धर्म के 10 लक्षणों का पालन करने की शिक्षा देने वाले इस पर्व को दशलक्षण महापर्व भी कहा जाता है. इस पर्व के दौरान पूरे ब्रह्मांड में जितने भी सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव हैं सभी से क्षमा याचना की जाती है.

पढ़ें-मुंबई : पर्यूषण पर्व पर तीन जैन मंदिरों में पूजा करने की अनुमति

इस पर्व को कहा जाता है पर्वाधिराज

जैन धर्म के लोगों में इस पर्व को लेकर गहरी आस्था जुड़ी हुई है. जैसे हिन्दू धर्म में नवरात्रि, दिवाली, मुस्लिम धर्म में ईद मनाई जाती है, ठीक उसी प्रकार जैन धर्म में पर्युषण पर्व को मुख्य रूप से मनाया जाता है. पर्युषण पर्व का जैन समाज में सबसे अधिक महत्‍व है. इस पर्व को पर्वाधिराज (पर्वों का राजा) कहा जाता है. पर्युषण पर्व आध्‍यात्मिक अनुष्‍ठानों के माध्‍यम से आत्‍मा की शुद्धि का पर्व माना जाता है. इसका मुख्‍य उद्देश्‍य आत्‍मा के विकारों को दूर करने का होता है जिसका साधारण शब्दों में मतलब होता है किसी भी प्रकार के किए गए पापों का प्रायश्चित करना.

रायपुर: शनिवार को पर्युषण पर्व के आखिरी दिन जैन समाज के लोगों ने क्षमा पर्व मनाया. इस दौरान जैन समाज के लोगों ने एक दूसरे के अलावा सभी जीव जंतुओं से अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना की. इसी के साथ रविवार से दिगंबर जैन समाज के लोग दशलक्षण महापर्व पर्युषण मनाएंगे जो अगले 8 दिन तक जारी रहेगा.

जैन समाज के लोगों ने मनाया क्षमा पर्व
पर्युषण पर्व के मौके पर एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में समाज के लोगों ने इकट्ठा होकर प्रवचन सुना. कोरोना संक्रमण के चलते जैन दादाबाड़ी में बहुत ही कम संख्या में भक्त पहुंचे. इस दौरान सभी भक्तों ने मास्क पहनकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर क्षमा पर्व मनाया. इस दौरान जैन धर्म के लोगों ने कल्पसूत्र के 12 सूत्र का वाचन किया.साध्वी सम्यक दर्शना और साध्वी समत्वधिश्रीजी ने सूत्रों के महत्व पर प्रवचन दिया.


विश्वभर के जीव-जंतू से की जाती है क्षमा याचना

जैन समाज के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली ने बताया कि समाज के लोगों का यह महापर्व होता है. जैसे हिंदू धर्म के लोग दीपावली का इंतजार करते हैं, वैसे ही जैन धर्म के लोग इस दिन का साल भर इंतजार करते हैं. धर्म के 10 लक्षणों का पालन करने की शिक्षा देने वाले इस पर्व को दशलक्षण महापर्व भी कहा जाता है. इस पर्व के दौरान पूरे ब्रह्मांड में जितने भी सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव हैं सभी से क्षमा याचना की जाती है.

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इस पर्व को कहा जाता है पर्वाधिराज

जैन धर्म के लोगों में इस पर्व को लेकर गहरी आस्था जुड़ी हुई है. जैसे हिन्दू धर्म में नवरात्रि, दिवाली, मुस्लिम धर्म में ईद मनाई जाती है, ठीक उसी प्रकार जैन धर्म में पर्युषण पर्व को मुख्य रूप से मनाया जाता है. पर्युषण पर्व का जैन समाज में सबसे अधिक महत्‍व है. इस पर्व को पर्वाधिराज (पर्वों का राजा) कहा जाता है. पर्युषण पर्व आध्‍यात्मिक अनुष्‍ठानों के माध्‍यम से आत्‍मा की शुद्धि का पर्व माना जाता है. इसका मुख्‍य उद्देश्‍य आत्‍मा के विकारों को दूर करने का होता है जिसका साधारण शब्दों में मतलब होता है किसी भी प्रकार के किए गए पापों का प्रायश्चित करना.

Last Updated : Aug 23, 2020, 12:07 PM IST
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