रायपुर :नागपंचमी का त्योहार पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. नागपंचमी (Naga Panchami) का त्योहार हर साल सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. नागपंचमी के त्यौहार के दिन कुश्ती की परंपरा भी सैकड़ों सालों से चली आ रही है. नागपंचमी के दिन गांव से लेकर शहर तक हर अखाड़ों में कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. इस कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रदेश भर से पहलवान पहुंचते हैं. नागपंचमी के दिन जिन पहलवानों ने कुश्ती छोड़ दी वह भी अपने अखाड़े माटी का तिलक लगाने पहुंचते हैं. रायपुर के दंतेश्वरी अखाड़े में पिछले 80 साल से नागपंचमी के दिन कुश्ती का आयोजन किया जाता (Old wrestling of Raipur on the occasion of Nagpanchami) है.
कब होती है कुश्ती की शुरुआत : मां दंतेश्वरी रामसाला समिति (Maa Danteshwari Ramsala Committee Raipur) के सचिव दिलीप यदु ने बताया " नागपंचमी के दिन कुश्ती प्रतियोगिता की परंपरा काफी प्राचीन है. पिछले 80 सालों से रायपुर के दंतेश्वरी अखाड़े में कुश्ती प्रतियोगिता होती है. इस प्रतियोगिता में प्रदेश भर से पहलवान रायपुर में जुटते हैं और अपने दमखम का प्रदर्शन करते हैं. पहलवानी देखने के लिए नागपंचमी के दिन रायपुर शहर के साथ-साथ आसपास के जिलों के दर्शक भी अखाड़े पहुंचते हैं."
कैसे लड़ते हैं कुश्ती : मां दंतेश्वरी रामसाला समिति के सचिव दिलीप यदु ने बताया " नागपंचमी के दिन प्रत्येक पहलवान जो कुश्ती छोड़ भी चुके रहते हैं , वह भी अपने अखाड़े की मिट्टी का चंदन करने अखाड़ा आते हैं. ऐसी परंपरा है कि हमारे चार पद्धति में कुश्ती लड़ी जाती है. भीमसेनी , हनुमंती , जांबवंती , जरासंधी. आजकल हनुमंती में कुश्ती लड़ी जाती है, जिसको फ्री स्टाइल कहा जाता है."
• भीमसेनी कुश्ती: इस कुश्ती का नाम महाभारत के पांडव भीम के नाम पर पड़ा है. इसमें एक दूसरे में शरीर की शक्ति का विशेष महत्व होता है.
• हनुमंती कुश्ती: एक रणनीति के आधार पर दुश्मन से उबरने के लिए यह कुश्ती बनाई गई है. हनुमंती कुश्ती में दांव पेच और कला की प्रधानता होती है.
• जांबवंती कुश्ती: जामवंती कुश्ती में हाथ पैर से इस प्रकार प्रयास किया जाता है कि प्रतिस्पर्धी चित ना कर पाए. इसमें शरीर शक्ति और दांव पेच की अपेक्षा शरीर साधने का महत्व है.
• जरासंधी कुश्ती: इस कुश्ती का नाम राक्षस जरासंध के नाम पर है. इसमें हाथ पांव मोड़ने का प्रयास किया जाता है.
मिट्टी में लड़ते हैं कुश्ती : दिलीप यदु ने बताया " बरसों से नागपंचमी के दिन कुश्ती का आयोजन किया जाता (Nag panchami 2022 Date) है. यह बहुत पुरानी परंपरा है. हम बचपन से देखते आ रहे हैं. इस दिन को गांव से लेकर शहर तक हर अखाड़े में कुश्ती का आयोजन किया जाता है. यह कुश्ती प्रोफेशनल कुश्ती की तरह मेट पर नहीं खेली जाती बल्कि कुश्ती के लिए मिट्टी का अखाड़ा तैयार किया जाता है."
कब होगा आयोजन : दिलीप यदु ने बताया " कुश्ती में क्योंकि पहलवानों को एक दूसरे का हाथ पैर पकड़कर उसे चित कर लड़ना पड़ता(Nagpanchami 2022 Date ) है. इस वजह से कोरोना में यह बिल्कुल बंद था. लेकिन पहलवान अपने आप को मेंटेन रखने के लिए और दांव पेच को सीखते रहने के लिए दंड बैठक करते रहते थे. वे अपने डाइट को मेंटेन रखते थे. नागपंचमी के दिन पहलवानी को लेकर हमारी पूरी तैयारी है. हम कोशिश कर रहे हैं कि इसको भव्य रूप में मनाने के लिए सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिला पहलवान भी पूरे प्रदेश से जुटें.''