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जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को लगाएं उनका पसंदीदा भोग - भगवान कृष्ण को पसंदीदा भोग

जन्माष्टमी के मौके पर भगवान कृष्ण को पसंदीदा भोग लगाने से काफी लाभ मिलता है. कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान रात 12 बजे पूजा अर्चना के साथ उनके पसंद का भोग लगाना चाहिए.

Lord Krishna
भगवान कृष्ण
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Published : Aug 16, 2022, 1:02 PM IST

रायपुर: श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रमास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. हर साल इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है. इस दिन व्रत भी रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

पूजा की विधि: जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल्य रूप की पूजा की जाती है. सबसे पहले भगवान को दूध, दही, शहद और जल से स्नान कराया जाता है. भगवान को पीतांबर रंग पसंद है, इसलिए उन्हें पीतांबर वस्त्र धारण कराया जाता है. इसके बाद भगवान का श्रृंगार कर उन्हें झूले में बैठाया जाता है. जिसके बाद गोपाल पर चंदन-फूल चढ़ाकर पूजा की जाती है.

जन्माष्टमी व्रत का महत्व: शास्त्रों में जन्माष्टमी को व्रतराज कहा गया है. इसे सभी व्रत से सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस दिन व्रत कर नियम से पूजा-पाठ करने पर संतान, मोक्ष और भगवान की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत करने से सुख-समृद्धि और दीर्घायु का वरदान मिलता है. इस व्रत को करने से अनेकों व्रत के फल मिलते हैं.

इस बात का रखें ध्यान: भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं. लड्डू गोपाल की सेवा अपने बालक की तरह करें. उन्हें झूले में झुलाएं. इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात में हुआ था. रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करें.इन नियमों का करें पालनइस पावन दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के साथ ही गाय की भी पूजा करें. पूजा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखें. पूजा सुंदर और साफ आसन में बैठकर की जानी चाहिए. भगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करें.

यह भी पढ़ें: जन्माष्टमी पर माखन का भोग लगाना ना भूलें

पंचामृत का भोग: कृष्ण भगवान को पंजीरी के साथ पंचामृत का भोग बहत प्रिय है. कहते हैं कि बिना पंचामृत के श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी रह जाती है. इस लिए इन्हें पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए. पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, चीनी से बनकर तैयार होता है. श्री कृष्ण पूजा में पंचामृत का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है. इसलिए कृष्ण जन्मोत्सव पर श्रीकृष्ण को पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए. इससे भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं. भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. जिन पर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद होता है. उन्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होती. घर-परिवार में शांति बनी रहती है. नौकरी और व्यापार में तरक्की होती है. भगवान कृष्ण की कृपा से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है.

रायपुर: श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रमास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. हर साल इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है. इस दिन व्रत भी रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

पूजा की विधि: जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल्य रूप की पूजा की जाती है. सबसे पहले भगवान को दूध, दही, शहद और जल से स्नान कराया जाता है. भगवान को पीतांबर रंग पसंद है, इसलिए उन्हें पीतांबर वस्त्र धारण कराया जाता है. इसके बाद भगवान का श्रृंगार कर उन्हें झूले में बैठाया जाता है. जिसके बाद गोपाल पर चंदन-फूल चढ़ाकर पूजा की जाती है.

जन्माष्टमी व्रत का महत्व: शास्त्रों में जन्माष्टमी को व्रतराज कहा गया है. इसे सभी व्रत से सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस दिन व्रत कर नियम से पूजा-पाठ करने पर संतान, मोक्ष और भगवान की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत करने से सुख-समृद्धि और दीर्घायु का वरदान मिलता है. इस व्रत को करने से अनेकों व्रत के फल मिलते हैं.

इस बात का रखें ध्यान: भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं. लड्डू गोपाल की सेवा अपने बालक की तरह करें. उन्हें झूले में झुलाएं. इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात में हुआ था. रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करें.इन नियमों का करें पालनइस पावन दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के साथ ही गाय की भी पूजा करें. पूजा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखें. पूजा सुंदर और साफ आसन में बैठकर की जानी चाहिए. भगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करें.

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पंचामृत का भोग: कृष्ण भगवान को पंजीरी के साथ पंचामृत का भोग बहत प्रिय है. कहते हैं कि बिना पंचामृत के श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी रह जाती है. इस लिए इन्हें पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए. पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, चीनी से बनकर तैयार होता है. श्री कृष्ण पूजा में पंचामृत का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है. इसलिए कृष्ण जन्मोत्सव पर श्रीकृष्ण को पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए. इससे भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं. भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. जिन पर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद होता है. उन्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होती. घर-परिवार में शांति बनी रहती है. नौकरी और व्यापार में तरक्की होती है. भगवान कृष्ण की कृपा से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है.

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