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अब इंसानी मूत्र से चलेंगे वाहन ! - American company Amogi

हमारी दुनिया में ऊर्जा के कई स्त्रोत मौजूद हैं. लेकिन वक्त के साथ-साथ इनमें बदलाव की जरूरत है.ताकि भविष्य मे इनका इस्तेमाल सही तरीके से किया जा (Now vehicles will run on human urine) सके.

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अब इंसानी मूत्र से चलेंगे वाहन !
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Published : Jul 29, 2022, 6:26 PM IST

पूरी दुनिया में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं. ऐसे में ईंधन को लेकर वैज्ञानिक नए शोध कर रहे हैं.ताकि पेट्रोल डीजल का विकल्प निकाला जा सके.इसी कड़ी में बायोडीजल और हाईड्रोजन से गाड़ियां चलाने का प्रयोग हो रहा (plan to drive vehicle with urine) है. वहीं बैटरी के माध्यम से भी अब गाड़ियां चलाई जा रही हैं. लेकिन इन सब में अभी भी पूरी तरह से निर्भरता नहीं हो पाई है. वहीं अब यूएस के वैज्ञानिकों ने इंसानी यूरिन से एनर्जी पैदा करने में सफलता हासिल की (Now vehicles will run on human urine) है. इसकी मदद से वैज्ञानिकों ने गाड़ी चलाने का सफल प्रयोग किया है. शुरुआती कड़ी में वैज्ञानिकों ने इससे ट्रैक्टर चलाया है. जिसका परीक्षण काफी सफल रहा है.

कहां हुआ सफल प्रयोग : यूरिन की कमी तो कभी होने नहीं वाली. ऐसे में आनेवाले दिनों में ईंधन के तौर पर इसका प्रयोग होने पर जिंदगी काफी आसान हो जाएगी. दरअसल, अमेरिकी कंपनी अमोगी (American company Amogi) ने अमोनिया से चलने वाला ट्रैक्टर तैयार किया है और हमारे यूरिन में अमोनिया भरपूर मात्रा में मिलता है. यानी यूरिन से भी ट्रैक्‍टर चलना संभव है. यह होगा कैसे ये जान लेते हैं.

कैसे होता है पूरा प्रोसेस : दरअसल, कंपनी ने एक ऐसा रिएक्‍टर बनाया है, जो अमोनिया को तोड़ता है और हाइड्रोजन का इस्‍तेमाल कर उससे ऊर्जा पैदा करता है. यानी यह तो स्‍पष्‍ट है कि ऐसा नहीं है कि ट्रैक्‍टर या किसी अन्‍य वाहन की टंकी में आपने यूरिन डाला और वो चल पड़े, बल्कि ईंधन की तरह इस्‍तेमाल होने से पहले यूरिन को एक रिएक्‍शन यानी ट्रीटमेंट प्रॉसेस से गुजरना (Vehicles will run on urine not petrol) होगा.

कैसे चलेंगे वाहन : यूरिन को आमोनिया में बदला जा सकता है उससे ऊर्जा पैदा की जा सकती है. कंपनी ने फिलहाल ऐसा प्रयोग ट्रैक्‍टर के साथ किया है, लेकिन भविष्‍य में इसी से समुद्री मालवाहक जहाजों को चलाना चाहती है.

क्यों है भविष्य के लिए फायदेमंद : इंडस्‍ट्री में अमोनिया का इस्‍तेमाल दशकों से होता आ रहा है, इसलिए इसके स्‍टोरेज की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था पहले से ही है. इसकी हैंडलिंग और डिलीवरी के लिए भी साधन पहले से मौजूद हैं. चूंकि अमोनिया से कार्बन डाई ऑक्साइड नहीं निकलता और उसमें ऊर्जा भी खूब होती है तो ऐसे में यह कार्बन मुक्त ट्रांसपोर्ट के लिए एक बेहतर विकल्‍प हो सकता है.

पूरी दुनिया में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं. ऐसे में ईंधन को लेकर वैज्ञानिक नए शोध कर रहे हैं.ताकि पेट्रोल डीजल का विकल्प निकाला जा सके.इसी कड़ी में बायोडीजल और हाईड्रोजन से गाड़ियां चलाने का प्रयोग हो रहा (plan to drive vehicle with urine) है. वहीं बैटरी के माध्यम से भी अब गाड़ियां चलाई जा रही हैं. लेकिन इन सब में अभी भी पूरी तरह से निर्भरता नहीं हो पाई है. वहीं अब यूएस के वैज्ञानिकों ने इंसानी यूरिन से एनर्जी पैदा करने में सफलता हासिल की (Now vehicles will run on human urine) है. इसकी मदद से वैज्ञानिकों ने गाड़ी चलाने का सफल प्रयोग किया है. शुरुआती कड़ी में वैज्ञानिकों ने इससे ट्रैक्टर चलाया है. जिसका परीक्षण काफी सफल रहा है.

कहां हुआ सफल प्रयोग : यूरिन की कमी तो कभी होने नहीं वाली. ऐसे में आनेवाले दिनों में ईंधन के तौर पर इसका प्रयोग होने पर जिंदगी काफी आसान हो जाएगी. दरअसल, अमेरिकी कंपनी अमोगी (American company Amogi) ने अमोनिया से चलने वाला ट्रैक्टर तैयार किया है और हमारे यूरिन में अमोनिया भरपूर मात्रा में मिलता है. यानी यूरिन से भी ट्रैक्‍टर चलना संभव है. यह होगा कैसे ये जान लेते हैं.

कैसे होता है पूरा प्रोसेस : दरअसल, कंपनी ने एक ऐसा रिएक्‍टर बनाया है, जो अमोनिया को तोड़ता है और हाइड्रोजन का इस्‍तेमाल कर उससे ऊर्जा पैदा करता है. यानी यह तो स्‍पष्‍ट है कि ऐसा नहीं है कि ट्रैक्‍टर या किसी अन्‍य वाहन की टंकी में आपने यूरिन डाला और वो चल पड़े, बल्कि ईंधन की तरह इस्‍तेमाल होने से पहले यूरिन को एक रिएक्‍शन यानी ट्रीटमेंट प्रॉसेस से गुजरना (Vehicles will run on urine not petrol) होगा.

कैसे चलेंगे वाहन : यूरिन को आमोनिया में बदला जा सकता है उससे ऊर्जा पैदा की जा सकती है. कंपनी ने फिलहाल ऐसा प्रयोग ट्रैक्‍टर के साथ किया है, लेकिन भविष्‍य में इसी से समुद्री मालवाहक जहाजों को चलाना चाहती है.

क्यों है भविष्य के लिए फायदेमंद : इंडस्‍ट्री में अमोनिया का इस्‍तेमाल दशकों से होता आ रहा है, इसलिए इसके स्‍टोरेज की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था पहले से ही है. इसकी हैंडलिंग और डिलीवरी के लिए भी साधन पहले से मौजूद हैं. चूंकि अमोनिया से कार्बन डाई ऑक्साइड नहीं निकलता और उसमें ऊर्जा भी खूब होती है तो ऐसे में यह कार्बन मुक्त ट्रांसपोर्ट के लिए एक बेहतर विकल्‍प हो सकता है.

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