रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) ने मंगलवार को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग (Food and Civil Supplies Department) की समीक्षा बैठक ली. इसमें उन्होंने मक्का किसानों (maize farmer) के लिए बड़ा निर्णय लिया है. सीएम भूपेश ने कहा कि अब सभी समितियों में खरीफ और रबी सीजन (Kharif and Rabi season) के मक्का की समर्थन मूल्य (support price of maize) पर खरीदी की जाएगी.
मक्का किसानों के हित में बड़ा फैसला
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) ने कहा कि प्रदेश के ज्यादा मक्का उत्पादन वाले क्षेत्रों में मक्के से एथेनॉल उत्पादन (ethanol production from maize) के संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाए, इससे मक्का किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलेगा, साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. वर्तमान में चिन्हित समितियों में मक्के की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है. मक्के का उपयोग कुक्कुट आहार बनाने और अवशेष का पशु चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है. उन्होंने गन्ने से एथेनॉल उत्पादन के संयंत्रों की स्थापना की पहल करने के निर्देश भी दिए.
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मीटिंग में रहे अधिकारी मौजूद
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत (Food Minister Amarjit Bhagat), सहकारिता मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, खाद्य विभाग के सचिव टोपेश्वर वर्मा, विशेष सचिव सहकारिता हिमशिखर गुप्ता, राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी निरंजन दास, संचालक खाद्य किरण कौशल भी बैठक में उपस्थित थीं.
बारदानों का इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि बीते धान खरीदी सीजन में कोविड-19 (covid 19) और केन्द्र से पर्याप्त संख्या में बारदानों की आपूर्ति नहीं होने के कारण धान उपार्जन में दिक्कतें आई थीं. उन्होंने अधिकारियों को इसे ध्यान में रखते हुए स्थानीय स्तर पर धान उपार्जन के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं और बारदानों का इंतजाम सुनिश्चित करें. उन्होंने रायगढ़ की बंद जूट मिल को फिर से शुरू कराने के लिए अधिकारियों को प्रयास करने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस साल राजीव गांधी किसान न्याय योजना में नए प्रावधान किए गए हैं. इस योजना का लाभ अधिक से अधिक किसान उठा सकें, इसके लिए धान खरीदी केन्द्रों में इसके बैनर लगाए जाएं.
सीएम ने दिए निर्देश
राजीव गांधी किसान न्याय योजना में धान के साथ मक्का, गन्ना, कोदो, कुटकी, सोयाबीन, दलहन, तिलहन की फसलों को शामिल किया गया है. धान के स्थान पर अन्य चिन्हित फसल लेने वाले किसानों को 10 हजार रुपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है. धान की जगह वृक्षारोपण करने वाले किसानों को 3 वर्ष तक प्रति वर्ष 10 हजार रुपए प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी देने का प्रावधान है.
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सीएम ने की समीक्षा
मुख्यमंत्री ने बैठक में खरीफ सीजन के लिए खाद भण्डारण और विक्रय की स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि केन्द्र से मांग की तुलना में रासायनिक उर्वरकों की काफी कम आपूर्ति की गई है. किसानों को खाद के लिए समस्या का सामना न करना पड़े, इसलिए गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए. बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ 2021 के लिए राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार से मांग के विरुद्ध अब तक कुल 4.49 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति ही की गई है, जो कुल मांग का 43.87 प्रतिशत है.
मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं करने की बात
बैठक में बताया गया कि यूरिया के लिए 5.50 लाख मीट्रिक टन की मांग की गई थी, जिसके विरुद्ध मात्र 2.33 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति की गई, जो कुल मांग का 42.38 प्रतिशत है. इसी तरह डीएपी की 3.20 लाख मीट्रिक टन मांग के विरुद्ध 1.22 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति की गई, जो कुल मांग का 38.40 प्रतिशत है. बैठक में बताया गया कि इसी तरह एनपीके के लिए कुल 80 हजार मीट्रिक टन की मांग केन्द्र सरकार को दी गई थी, लेकिन 49 हजार मीट्रिक टन की आपूर्ति ही की गई, जो कुल मांग का 61.57 प्रतिशत है.
बैठक में दी गई जानकारी
एमओपी के लिए 75 हजार मीट्रिक टन के विरुद्ध 44 हजार मीट्रिक टन की आपूर्ति की गई, जो कुल मांग पर 59.24 प्रतिशत है. बैठक में बताया गया कि छत्तीसगढ़ को मांग अनुरूप उर्वरकों की आपूर्ति करने का आग्रह किया गया, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया. अन्य प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ को कुल आवंटन की तुलना में कम उर्वरकों की आपूर्ति की गई है.
छत्तीसगढ़ का स्थान यूरिया के आवंटन में देश में 19वां
छत्तीसगढ़ का स्थान यूरिया के आवंटन में देश में 19वां, डीएपी में 15वां है. मुख्यमंत्री ने समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों के पंजीयन के दौरान पंजीकृत किसानों की संख्या, पंजीकृत रकबा, धान बेचने वाले किसानों की संख्या, बेचे गए धान के रकबे, धान की जगह चिन्हित फसल लेने के लिए किसान द्वारा तय किए गए रकबा और वृक्षारोपण करने के लिए तय रकबे की जानकारी एक ही पोर्टल पर पंजीकृत करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि इससे धान के स्थान पर किसान द्वारा चिन्हित फसल लेने के लिए रकबे और वृक्षारोपण के लिए तय किए गए रकबे की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकेगी. इससे योजना की मॉनिटरिंग के साथ किसानों को तय प्रावधानों के तहत इनपुट सब्सिडी की राशि के भुगतान में आसानी होगी.
समितियों में बाकी रखे धान का उठाव जल्द करने के निर्देश
समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने समितियों में अतिशेष धान का उठाव जल्द करने के निर्देश दिए. बैठक में बताया गया कि वर्ष 2020-21 में समितियों में 10.72 लाख मीट्रिक टन धान शेष था, जिसमें से 9.61 लाख मीट्रिक टन की नीलामी की गई, जिसमें से 8.73 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव किया जा चुका है. बैठक में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, वन नेशन वन राशन कार्ड सहित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई. बैठक में यह जानकारी दी गई कि वर्षा से धान को बचाने के लिए उपार्जन केन्द्रों में 8,424 चबूतरों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 7,667 चबूतरों का निर्माण पूरा हो चुका है. 1,298 उपार्जन केन्द्रों में 2,260 शेड और शेड सह गोदाम का निर्माण किया जा रहा है, 109 उपार्जन केन्द्रों में 13 करोड़ 60 लाख रुपए की लागत से 109 गोदाम बनाए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने बैठक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य संचालकों को कमीशन का भुगतान हर तिमाही में करने के निर्देश दिए.