'खून की कमी से जूझ रहा छत्तीसगढ़, जिला अस्पताल में एक बूंद भी नहीं है खून' - जिला चिकित्सा अधिकारी मीरा बघेल
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जिला अस्पताल में एक भी यूनिट ब्लड नहीं बचा ( not even a drop of blood in the district hospital) है. ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग ब्लड बैंक कैंप लगाकर खून इकट्ठा करने की तैयारी कर रहा है.
खून की कमी से जूझ रहा छत्तीसगढ़
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Published : May 26, 2022, 7:57 PM IST
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Updated : May 27, 2022, 1:04 AM IST
रायपुर : छत्तीसगढ़ इन दिनों खून की कमी से जूझ रहा है यह खून मरीजों को चढ़ाने वाला है. जिसके अभाव में उपचार में दिक्कतें हो रही हैं. आलम यह है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में तो एक बूंद भी खून नहीं (Chhattisgarh is suffering from lack of blood) है. यदि ऐसी स्थिति में किसी मरीज को उपचार के लिए खून की आवश्यकता है तो उसे या तो निजी ब्लड बैंक जाना पड़ेगा या फिर किसी तरह से व्यवस्था करनी पड़ेगी, तभी उसकी जान बच सकती है. यही आलम छत्तीसगढ़ के अन्य ब्लड बैंकों का है. जहां पर शासकीय अस्पतालों में बनाए गए ब्लड बैंकों में मांग की अपेक्षा रक्तदान कम हो रहा है.
कितनी लाख यूनिट की है जरुरत : छत्तीसगढ़ में इलाज के दौरान मरीजों को हर साल करीब तीन लाख यूनिट खून की आवश्यकता (How many lakh units are needed) होती है. सरकारी और प्राइवेट ब्लड बैंक मिलाकर कुल 95 ब्लड बैंकों में वर्ष 2020-21 में 93,013 यूनिट रक्तदान हुए. यानी जरूरत का सिर्फ 31 फीसदी. वहीं मरीजों की जरूरत पर खून रिप्लेसमेंट को मिलाकर कल 2.02 लाख यूनिट रक्तदान हुए हैं. लोगों में रक्तदान को लेकर जागरूकता की कमी की वजह से यह रक्तदान का सालाना औसत है. वहीं ग्रामीण स्तर क्षेत्रों में ब्लड बैंक ना होना भी बड़ी समस्या थी.
खून की कमी से जूझ रहा छत्तीसगढ़
जिला अस्पताल का क्या है हाल : रायपुर में ब्लड की कमी को लेकर जब जिला चिकित्सा अधिकारी मीरा बघेल (District Medical Officer Meera Baghel) से बात की गई तो उन्होने कहा कि ''जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में एक यूनिट भी ब्लड नहीं है. ब्लड की कमी की एक प्रमुख वजह यह है कि यहां कॉलेज खुल नहीं रहे हैं और ब्लड बैंक में ज्यादातर युवा ही ब्लड देते हैं. कोरोना के बाद बहुत सारे काम रुक गए थे. जिस वजह से रक्तदान को लेकर ज्यादा काम नहीं किया गया है. लेकिन अब हमारे द्वारा रक्तदान शिविर लगाने को लेकर योजना बनाई जा रही है जिससे ब्लड बैंकों में हो रही खून की कमी को दूर किया जा सके.''
''खून की है काफी जरुरत'' : खून की आवश्यकता और उसकी आपूर्ति को लेकर मीरा बघेल ने कहा कि ''कोरोना के समय एक्सीडेंटल या फिर महिलाओं की सर्जरी में ही ब्लड की आवश्यकता होती थी. लेकिन अब जनजीवन सामान्य हो रहा है. ऐसे में एक बार फिर खून की मांग बढ़ गई है . इस मांग के अनुसार ब्लड बैंक में खून काफी कम है. इस दौरान मीरा बघेल ने ईटीवी भारत के माध्यम से लोगों से अपील की है कि वे ज्यादा से ज्यादा रक्तदान करें ताकि रक्त से किसी की जान भी बचाई जा सके .
वर्ष-2021 में रक्तदान
शासकीय ब्लड बैंक
48 हजार यूनिट रक्तदान
42 यूनिट रिप्लेसमेंट से
90 हजार से अधिक यूनिट ब्लड मिले
प्राइवेट ब्लड बैंक
44 हजार यूनिट रक्तदान
67 हजार यूनिट रिप्लेसमेंट से
1.11 लाख यूनिट कुल ब्लड प्राप्त
छत्तीसगढ़ में रक्तदान के आंकड़े
वर्ष
रक्तदान (यूनिट)
2018-19
2.22 लाख
2019-20
2.30 लाख
2020-21
2.02 लाख
2021-22
94,272
छत्तीसगढ़ में ब्लड बैंक पर एक नजर
वर्ष
सरकारी
प्राइवेट
कुल
2019
25
56
81
2020
31
60
91
2021
31
63
94
2022
31
64
95
पांच जिले जहां हुए सर्वाधिक रक्तदान (यूनिट में)
जिला
रक्तदान
रायपुर
60,973
बिलासपुर
29,503
सरगुजा
17,314
दुर्ग
14,084
बस्तर
9796
नोट: अप्रैल 2020 से 2021 तक के आंकड़े
रायपुर : छत्तीसगढ़ इन दिनों खून की कमी से जूझ रहा है यह खून मरीजों को चढ़ाने वाला है. जिसके अभाव में उपचार में दिक्कतें हो रही हैं. आलम यह है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में तो एक बूंद भी खून नहीं (Chhattisgarh is suffering from lack of blood) है. यदि ऐसी स्थिति में किसी मरीज को उपचार के लिए खून की आवश्यकता है तो उसे या तो निजी ब्लड बैंक जाना पड़ेगा या फिर किसी तरह से व्यवस्था करनी पड़ेगी, तभी उसकी जान बच सकती है. यही आलम छत्तीसगढ़ के अन्य ब्लड बैंकों का है. जहां पर शासकीय अस्पतालों में बनाए गए ब्लड बैंकों में मांग की अपेक्षा रक्तदान कम हो रहा है.
कितनी लाख यूनिट की है जरुरत : छत्तीसगढ़ में इलाज के दौरान मरीजों को हर साल करीब तीन लाख यूनिट खून की आवश्यकता (How many lakh units are needed) होती है. सरकारी और प्राइवेट ब्लड बैंक मिलाकर कुल 95 ब्लड बैंकों में वर्ष 2020-21 में 93,013 यूनिट रक्तदान हुए. यानी जरूरत का सिर्फ 31 फीसदी. वहीं मरीजों की जरूरत पर खून रिप्लेसमेंट को मिलाकर कल 2.02 लाख यूनिट रक्तदान हुए हैं. लोगों में रक्तदान को लेकर जागरूकता की कमी की वजह से यह रक्तदान का सालाना औसत है. वहीं ग्रामीण स्तर क्षेत्रों में ब्लड बैंक ना होना भी बड़ी समस्या थी.
खून की कमी से जूझ रहा छत्तीसगढ़
जिला अस्पताल का क्या है हाल : रायपुर में ब्लड की कमी को लेकर जब जिला चिकित्सा अधिकारी मीरा बघेल (District Medical Officer Meera Baghel) से बात की गई तो उन्होने कहा कि ''जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में एक यूनिट भी ब्लड नहीं है. ब्लड की कमी की एक प्रमुख वजह यह है कि यहां कॉलेज खुल नहीं रहे हैं और ब्लड बैंक में ज्यादातर युवा ही ब्लड देते हैं. कोरोना के बाद बहुत सारे काम रुक गए थे. जिस वजह से रक्तदान को लेकर ज्यादा काम नहीं किया गया है. लेकिन अब हमारे द्वारा रक्तदान शिविर लगाने को लेकर योजना बनाई जा रही है जिससे ब्लड बैंकों में हो रही खून की कमी को दूर किया जा सके.''
''खून की है काफी जरुरत'' : खून की आवश्यकता और उसकी आपूर्ति को लेकर मीरा बघेल ने कहा कि ''कोरोना के समय एक्सीडेंटल या फिर महिलाओं की सर्जरी में ही ब्लड की आवश्यकता होती थी. लेकिन अब जनजीवन सामान्य हो रहा है. ऐसे में एक बार फिर खून की मांग बढ़ गई है . इस मांग के अनुसार ब्लड बैंक में खून काफी कम है. इस दौरान मीरा बघेल ने ईटीवी भारत के माध्यम से लोगों से अपील की है कि वे ज्यादा से ज्यादा रक्तदान करें ताकि रक्त से किसी की जान भी बचाई जा सके .