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Non Motorable Polling Station: छत्तीसगढ़ के दुर्गम पोलिंग स्टेशन, न मोटर न गाड़ी, यहां पहुंचने में जोखिम भारी !

Non Motorable Polling Station मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियों की रूपरेखा मीडिया से साझा की. अब तक की तैयारियों की जानकारी देते हुए वोटर्स, पोलिंग स्टेशन और चुनाव कराने की चुनौतियों की जानकारी भी दी. इन सबके बीच हम आपके छत्तीसगढ़ के ऐसे पोलिंग बूथ के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पहुंचना मुश्किल ही नहीं जोखिमों से भरा भी है. Chhattisgarh Assembly Elections 2023

Non Motorable Polling Station
छत्तीसगढ़ के डेंजरस पोलिंग स्टेशन
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 26, 2023, 5:23 PM IST

Updated : Aug 26, 2023, 6:28 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल 1.35 लाख वर्ग किलोमीटर है. इसमें से तकरीबन 44 परसेंट हिस्सा जंगल है. पहाड़ और घने जंगलों के बीच आदिवासियों की एक बड़ी आबादी अभी भी रहती हैं. सेना की दखल के बाद सड़कें बनी. स्कूल, बाजार, अस्पताल भी बने तो लोग विकास से जुड़े. संचार साधनों ने समाज की मुख्य धारा से जोड़ा. लेकिन अभी भी कुछ ऐसे इलाके बचे हैं, जहां तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं हैं. हम आपको ऐसे ही तीन जगहों को बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मोटर गाड़ियां तो नहीं पहुंच पातीं लेकिन पोलिंग पार्टियां पहुंचती हैं और वोटिंग भी कराती हैं.

112 पोलिंग बूथ पर वोटिंग कराना है कड़ी चुनौती: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में वोटिंग कराना जोखिम भरा तो है, लेकिन सेना और अर्द्ध सैनिक बलों की मौजूदगी इसे आसना बना देते है. लेकिन प्रदेश के 112 पोलिंग बूथ डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर से इतनी दूर और दुर्गम जगहों पर हैं कि वहां पहुंचना ही सबसे मुश्किल काम होता है, क्योंकि यहां गाड़ियां नहीं जा सकतीं. पोलिंग पार्टिंया दुर्गम पहाड़ी चढ़ते, नदी नले पार करते और घने जंगलों के बीच से मीलों पैदल चलकर यहां पहुंचते हैं. इन्हीं में तीन पोलिंग बूथ हैं, पीएस-139 कंटो, पीएस-143 शेरादंड और पीएस-162 रेवाला. तीनों ही कोरिया जिले के भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र में आते हैं.

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पीएस 139 कंटो (12 वोटर): पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच पोलिंग स्टेशन कंटों कोरिया जिला मुख्यालय के डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर से 80 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां कुल 12 वोटर हैं. इन मतदाताओं के लिए बाकायदा पोलिंग पार्टियां पहुंचती हैं. वोटिंग का समय खत्म होने तक टीम यहां मौजूद रहती है.

Non Motorable Polling Station
पोलिंग स्टेशन कंटों

पीएस 143 शेरादंड (5 वोटर): पोलिंग स्टेशन शेरदंड पर महज 5 वोटर हैं. यह जगह भी घने जंगलों के बीच है. जिला मुख्यालय के डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर से 120 किलोमीटर दूर इस पोलिंग स्टेशन तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को 15 किलोमीटर ट्रैक्टर से सफर करना पड़ता है. इसके बाद 3 किलोमीटर पैदल चलकर टीम यहां पहुंचती है.

Non Motorable Polling Station
पोलिंग स्टेशन शेरदंड

पीएस 162 रेवाला (23 वोटर): पोलिंग स्टेशन रेवाला गुरु घासीदास नेशनल रिजर्व फारेस्ट एरिया के भीतर है. यहां कुल 23 वोटर हैं. घने जंगलों के बीच यहां पहुंचना भी जोखिमभरा है. पोलिंग पार्टियां हर बार यहां पहुंचकर कामयाबी के साथ वोटिंग कराती है.

Non Motorable Polling Station
पोलिंग स्टेशन रेवाला

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने चुनौतियों से निबटने से साथ ही निष्पक्ष चुनाव कराने की बात दोहराई. कम वोटिंग परसेंटेज वाले जिलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने की बात कही. वहीं हर छत्तीसगढ़वासियों से आगे बढ़कर वोट डालने की भी अपील की है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल 1.35 लाख वर्ग किलोमीटर है. इसमें से तकरीबन 44 परसेंट हिस्सा जंगल है. पहाड़ और घने जंगलों के बीच आदिवासियों की एक बड़ी आबादी अभी भी रहती हैं. सेना की दखल के बाद सड़कें बनी. स्कूल, बाजार, अस्पताल भी बने तो लोग विकास से जुड़े. संचार साधनों ने समाज की मुख्य धारा से जोड़ा. लेकिन अभी भी कुछ ऐसे इलाके बचे हैं, जहां तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं हैं. हम आपको ऐसे ही तीन जगहों को बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मोटर गाड़ियां तो नहीं पहुंच पातीं लेकिन पोलिंग पार्टियां पहुंचती हैं और वोटिंग भी कराती हैं.

112 पोलिंग बूथ पर वोटिंग कराना है कड़ी चुनौती: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में वोटिंग कराना जोखिम भरा तो है, लेकिन सेना और अर्द्ध सैनिक बलों की मौजूदगी इसे आसना बना देते है. लेकिन प्रदेश के 112 पोलिंग बूथ डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर से इतनी दूर और दुर्गम जगहों पर हैं कि वहां पहुंचना ही सबसे मुश्किल काम होता है, क्योंकि यहां गाड़ियां नहीं जा सकतीं. पोलिंग पार्टिंया दुर्गम पहाड़ी चढ़ते, नदी नले पार करते और घने जंगलों के बीच से मीलों पैदल चलकर यहां पहुंचते हैं. इन्हीं में तीन पोलिंग बूथ हैं, पीएस-139 कंटो, पीएस-143 शेरादंड और पीएस-162 रेवाला. तीनों ही कोरिया जिले के भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र में आते हैं.

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Non Motorable Polling Station
पोलिंग स्टेशन कंटों

पीएस 143 शेरादंड (5 वोटर): पोलिंग स्टेशन शेरदंड पर महज 5 वोटर हैं. यह जगह भी घने जंगलों के बीच है. जिला मुख्यालय के डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर से 120 किलोमीटर दूर इस पोलिंग स्टेशन तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को 15 किलोमीटर ट्रैक्टर से सफर करना पड़ता है. इसके बाद 3 किलोमीटर पैदल चलकर टीम यहां पहुंचती है.

Non Motorable Polling Station
पोलिंग स्टेशन शेरदंड

पीएस 162 रेवाला (23 वोटर): पोलिंग स्टेशन रेवाला गुरु घासीदास नेशनल रिजर्व फारेस्ट एरिया के भीतर है. यहां कुल 23 वोटर हैं. घने जंगलों के बीच यहां पहुंचना भी जोखिमभरा है. पोलिंग पार्टियां हर बार यहां पहुंचकर कामयाबी के साथ वोटिंग कराती है.

Non Motorable Polling Station
पोलिंग स्टेशन रेवाला

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने चुनौतियों से निबटने से साथ ही निष्पक्ष चुनाव कराने की बात दोहराई. कम वोटिंग परसेंटेज वाले जिलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने की बात कही. वहीं हर छत्तीसगढ़वासियों से आगे बढ़कर वोट डालने की भी अपील की है.

Last Updated : Aug 26, 2023, 6:28 PM IST
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