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छत्तीसगढ़ में पहली बार मक्के की नई किस्म ईजाद, अब किसानों को सस्ते दामों में मिलेगा बीज - छत्तीसगढ़ अगेती शंकर मक्का 1

छत्तीसगढ़ में पहली बार मक्का की नई किस्म तैयार की गई है. वैज्ञानिकों का दावा है कि नई किस्म से किसानों को फायदा होगा. इससे पहले किसान प्राइवेट कंपनी से महंगे दाम में मक्का बीज खरीदते रहे हैं. नई किस्म के आ जाने से अब किसानों को सरकारी दाम में बीज मिल पाएंगे.

new variety of maize in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में पहली बार मक्के की नई किस्म ईजाद
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Published : Feb 7, 2022, 4:39 PM IST

Updated : Feb 7, 2022, 7:24 PM IST

रायपुर: मक्का की नई किस्म का नाम छत्तीसगढ़ अगेती शंकर मक्का-1 रखा गया है. इसे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इजाद किया है. नई किस्म के मक्का को किसान खरीफ फसल में इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे पहले छत्तीसगढ़ में मक्का की कोई भी नई किस्म की फसल तैयार नहीं हुई थी.

छत्तीसगढ़ में पहली बार मक्के की नई किस्म ईजाद

84 दिनों में फसल हो जाएगी तैयार

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा ने बताया ''मक्के की नई किस्म 84 दिन में तैयार हो जाएगी. बाकी किस्म को 90 से 100 दिन लगते हैं. जल्द तैयार होने से फसल चक्र में क्रम सही बैठता है. नई किस्म का अम्बिकापुर, दंतेवाड़ा और रायपुर में प्रयोग किया गया. सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं.

डॉ. दीपक शर्मा के मुताबिक प्रति हेक्टेयर 58 क्विंटल उत्पादन है. यह बाकी किस्म से 20 क्विंटल ज्यादा उत्पादन है. किसान इसे खरीफ फसल के समय उपयोग कर सकते हैं. इसे अंबिकापुर के रिसर्च सेंटर में ब्रीडरों द्वारा इजाद किया गया है. अंबिकापुर में ही हमारी ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटर प्रोजेक्ट की स्कीम है. वहीं मक्के की परियोजनाएं चल रही है. उसी के तहत लगातार हमारा काम चल रहा है.

Purchase of Maize In chhattisgarh: रायगढ़ में मक्का खरीदी शुरू, बिचौलिए बने 'खलनायक'

यह है इसकी खासियत

वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा का कहना है कि यह एक अर्ली क्रॉप है. यह क्रॉप रोटेशन में मदद करती है. छत्तीसगढ़ का बस्तर का हिस्सा या उत्तर का हिस्सा जैसे अंबिकापुर, सरगुजा वाले क्षेत्र के लिए यह किस्म उपयुक्त है. क्रॉप रोटेशन हम ले सकते हैं. इस किस्म का दाना नारंगी पीला रंग लिए हुए है. दाने का प्रकार सेमी फ्रेम टाइप का है. इसकी उपज क्षमता करीब 58 क्विंटल है, लेकिन पोटेंशियल उपज क्षमता ज्यादा है. बेहतर मैनेजमेंट के जरिए ज्यादा उपज ले सकते हैं.

बस्तर के किसान समर्थन मूल्य बढ़ने के बाद भी सरकारी खरीदी केंद्रों में क्यों नहीं बेच रहे हैं मक्का ?

नई किस्म का मक्का खरीफ सीजन के लिए उपयुक्त है. ये सिंगल क्रॉस हाइब्रिड है. इसका मतलब दो-तीन ब्रीड लाइन को क्रॉस करके बनाया गया है. लेकिन इन ब्रीड लाइन को बनाने में, उनका परीक्षण करने में 4-5 साल का समय लग जाता है. यह काफी मेहनत का काम है. चूंकि मक्के की एक अच्छी न्यूट्रिशन वैल्यु रहती है. ट्राइबल क्षेत्रों में इसके विभिन्न प्रोडक्ट लिए जाएं तो उन क्षेत्रों के कमजोर बच्चों या लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

भारत सरकार को भेजा प्रपोजल, हरी झंडी का इंतजार

डॉ. शर्मा कहते हैं कि विश्वविद्यालय के द्वारा साल 2021 में इसे छत्तीसगढ़ स्टेट वैरायटी रिलीज कमेटी के द्वारा जारी किया गया था. इसके नोटिफिकेशन के लिए भारत सरकार को प्रपोजल भेजा गया है. जल्द ही इसका नोटिफिकेशन हम लोगों को मिल जाएगा. अभी हम लोग टीएलसी किसानों को बीज देने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जैसे ही नोटिफिकेशन होगा तो वह प्रोसेस में आ जाएगा. चूंकि बाकी मक्का के बीज का प्राइवेट कंपनी से आरएमडी है. ट्रांसपोर्टेशन चार्ज लगता है तो उनकी कीमत ज्यादा होती है, लेकिन नए किस्म का मक्का विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया है. छत्तीसगढ़ में ही यह बना है. ऐसे में हम लोग यहां के किसानों को कम से कम रेट में बीज उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे.

रायपुर: मक्का की नई किस्म का नाम छत्तीसगढ़ अगेती शंकर मक्का-1 रखा गया है. इसे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इजाद किया है. नई किस्म के मक्का को किसान खरीफ फसल में इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे पहले छत्तीसगढ़ में मक्का की कोई भी नई किस्म की फसल तैयार नहीं हुई थी.

छत्तीसगढ़ में पहली बार मक्के की नई किस्म ईजाद

84 दिनों में फसल हो जाएगी तैयार

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा ने बताया ''मक्के की नई किस्म 84 दिन में तैयार हो जाएगी. बाकी किस्म को 90 से 100 दिन लगते हैं. जल्द तैयार होने से फसल चक्र में क्रम सही बैठता है. नई किस्म का अम्बिकापुर, दंतेवाड़ा और रायपुर में प्रयोग किया गया. सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं.

डॉ. दीपक शर्मा के मुताबिक प्रति हेक्टेयर 58 क्विंटल उत्पादन है. यह बाकी किस्म से 20 क्विंटल ज्यादा उत्पादन है. किसान इसे खरीफ फसल के समय उपयोग कर सकते हैं. इसे अंबिकापुर के रिसर्च सेंटर में ब्रीडरों द्वारा इजाद किया गया है. अंबिकापुर में ही हमारी ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटर प्रोजेक्ट की स्कीम है. वहीं मक्के की परियोजनाएं चल रही है. उसी के तहत लगातार हमारा काम चल रहा है.

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यह है इसकी खासियत

वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा का कहना है कि यह एक अर्ली क्रॉप है. यह क्रॉप रोटेशन में मदद करती है. छत्तीसगढ़ का बस्तर का हिस्सा या उत्तर का हिस्सा जैसे अंबिकापुर, सरगुजा वाले क्षेत्र के लिए यह किस्म उपयुक्त है. क्रॉप रोटेशन हम ले सकते हैं. इस किस्म का दाना नारंगी पीला रंग लिए हुए है. दाने का प्रकार सेमी फ्रेम टाइप का है. इसकी उपज क्षमता करीब 58 क्विंटल है, लेकिन पोटेंशियल उपज क्षमता ज्यादा है. बेहतर मैनेजमेंट के जरिए ज्यादा उपज ले सकते हैं.

बस्तर के किसान समर्थन मूल्य बढ़ने के बाद भी सरकारी खरीदी केंद्रों में क्यों नहीं बेच रहे हैं मक्का ?

नई किस्म का मक्का खरीफ सीजन के लिए उपयुक्त है. ये सिंगल क्रॉस हाइब्रिड है. इसका मतलब दो-तीन ब्रीड लाइन को क्रॉस करके बनाया गया है. लेकिन इन ब्रीड लाइन को बनाने में, उनका परीक्षण करने में 4-5 साल का समय लग जाता है. यह काफी मेहनत का काम है. चूंकि मक्के की एक अच्छी न्यूट्रिशन वैल्यु रहती है. ट्राइबल क्षेत्रों में इसके विभिन्न प्रोडक्ट लिए जाएं तो उन क्षेत्रों के कमजोर बच्चों या लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

भारत सरकार को भेजा प्रपोजल, हरी झंडी का इंतजार

डॉ. शर्मा कहते हैं कि विश्वविद्यालय के द्वारा साल 2021 में इसे छत्तीसगढ़ स्टेट वैरायटी रिलीज कमेटी के द्वारा जारी किया गया था. इसके नोटिफिकेशन के लिए भारत सरकार को प्रपोजल भेजा गया है. जल्द ही इसका नोटिफिकेशन हम लोगों को मिल जाएगा. अभी हम लोग टीएलसी किसानों को बीज देने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जैसे ही नोटिफिकेशन होगा तो वह प्रोसेस में आ जाएगा. चूंकि बाकी मक्का के बीज का प्राइवेट कंपनी से आरएमडी है. ट्रांसपोर्टेशन चार्ज लगता है तो उनकी कीमत ज्यादा होती है, लेकिन नए किस्म का मक्का विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया है. छत्तीसगढ़ में ही यह बना है. ऐसे में हम लोग यहां के किसानों को कम से कम रेट में बीज उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे.

Last Updated : Feb 7, 2022, 7:24 PM IST
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