रायपुर: रायपुर रेलवे मंडल ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में पहली बार लोको ट्रॉल नामक नई तकनीक की शुरुआत की है. इस तकनीक के माध्यम से मालगाड़ी के आगे और पीछे का इंजन रेमलॉट नामक वायरलेस सिस्टम से जुड़ गया है. इससे मालगाड़ी के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट पीछे के इंजन का भी संचालन करेंगे.
रेलवे मंडल ने पहली बार रायपुर से कोरबा जाने वाली मालगाड़ी में इसका प्रयोग किया है. मालगाड़ी कोयला लेकर कोरबा गई है, वहां से वह सीधे नागपुर के लिए रवाना की जाएगी. रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि लोको ट्रॉल का प्रयोग सफल हुआ है. वर्तमान में जोन की 10 गाड़ियों में इसे लगाया जाएगा.
मालगाड़ी में नहीं होगी चालक की जरूरत
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अंतर्गत कुल 350 माल गाड़ियां हैं, जो देशभर में आवागमन कर रही हैं. इसमें से करीब 40 ऐसी माल गाड़ियां हैं, जिनमें दो या 3 इंजन लगते हैं. इसमें चालक और सहायक चालक की जरूरत पड़ती है. मालगाड़ी में एक इंजन आगे और एक इंजन पीछे रहता है अब लोको ट्रॉल की मदद से एक ही इंजन से दूसरे सभी इंजनों को कंट्रोल किया जा सकेगा.
सही समय पर चलेगी मालगाड़ी
पीछे के इंजन में अब लोको पायलट और सहायक लोको पायलट की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे मालगाड़ी की गति बढ़ेगी, जिससे मालगाड़ी समय पर चलेगी. मालगाड़ी के विलंब न होने से यात्री गाड़ियों में भी समय पर गंतव्य तक पहुंच सकेगी. सभी इंजन बिना तार के आपस में जुड़े रहेंगे. लोको ट्रॉल के माध्यम से मालगाड़ी में लगे दोनों इंजन आपस में बिना किसी तार के जुड़ जाएंगे.
इंजन में लगा रहेगा रेमलाट सिस्टम
सबसे आगे के इंजन में चालक और सहायक चालक रहेंगे. यही दूसरे इंजन को कंट्रोल करेंगे. दोनों इंजन में रेमलॉट नामक सिस्टम लगा रहेगा. इससे मालगाड़ी के डिब्बों के अलग होने की आशंका भी नहीं रहेगी. अन्य इंजनों में चालक और सहायक चालक नहीं रखने पड़ेंगे और रेलवे के खर्च में कमी आएगी.
बता दें कि लोको ट्रॉल का अर्थ है दो इंजन के आपस में जुड़े बिना तकनीकी माध्यम से एक इंजन से दूसरे इंजन का संचालन करना.