रायपुर:Darkness of education department in Chhattisgarh बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी था यहां हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा. ये मशहूर शेर छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग पर आज के दौर में सटीक बैठती है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शिक्षा विभाग की अंधेरगर्दी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग में कार्य करने के बाद करीब 19 रिटायर प्रधान पाठकों को आज भी ग्रेड पे का भुगतान नहीं हो पाया है. इनमें से 17 प्रधान पाठकों की मौत हो गई. जबकि दो प्रधान पाठक आज जिंदा हैं और उन्हें ग्रेड पे के भुगतान का इंतजार है. करीब 36 साल से प्रधानपाठक ग्रेड पे के भुगतान का इंतजार कर रहे हैं. यह शिक्षक आज ईटीवी भारत के माध्यम से अपने ग्रेड पे के भुगतान के लिए गुहार लगा रहे हैं. Grade pay not paid to headmaster
ये है पूरा मामला: Negligence of Chhattisgarh Education Department 1 जनवरी 1986 से चतुर्थ केंद्रीय वेतनमान लागू किया गया था. केंद्रीय वेतनमान लागू होने के बाद मध्यप्रदेश (एमपी और छत्तीसगढ़ तब एक था) में भी राज्य के कर्मचारियों को चतुर्थ केंद्रीय वेतनमान के हिसाब से 1640 से 2900 के भुगतान करने का आदेश जारी किया गया. राज्य में सभी कर्मचारियों को वेतनमान के अनुसार तो भुगतान किया लेकिन शिक्षा विभाग के प्रधान पाठकों को चतुर्थ केंद्रीय वेतनमान का भुगतान ही नहीं किया गया. ग्रेड पे वेतनमान नहीं मिलने के बाद अपने हक की लड़ाई के लिए 19 प्रधान पाठकों ने 1995 में जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. यह केस लंबे समय तक चला और मध्य प्रदेश से अलग होकर जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तब वह केस बिलासपुर हाईकोर्ट में ट्रांसफर हुआ और लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 15 साल के बाद 15 फरवरी 2010 में हाई कोर्ट ने प्रधान पाठकों के पक्ष में फैसला सुनाया गया.हाईकोर्ट के आदेश के बाद मार्च 2012 में लोक शिक्षण संचनालय ने जिला शिक्षा अधिकारी को 1 महीने के भीतर ग्रेड पे का भुगतान करने का आदेश जारी किया था लेकिन आज 10 साल बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग रिटायर्ड प्रधान पाठकों को उनके हक की राशि नहीं दे रहा है.raipur latest news
"हमारा भुगतान अब भी है लंबित": याचिकाकर्ता रिटायर प्रधान पाठक अभय राम यदु ने बताया कि " हाई कोर्ट से आदेश आने के बाद भी शासन की ओर से आदेश आया. लेकिन विभाग के लोग ही हाईकोर्ट की अवहेलना करते हैं. हमने अपने जीवनभर कई बच्चों का भविष्य बनाया लेकिन आज हम परेशान हैं. हमारा जीवन आज अन्धकार में है. हमने 3 बार हाई कोर्ट में कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट लगाया है लेकिन अब तक हमारा हक नहीं मिला.Grade pay not paid to headmaster after High Court order. अभय राम यदु 31 जनवरी 2001 को रिटायर हुए. उन्होंने कहा कि अब रिटायर हुए 21 साल हो गए. लेकिन राशि नहीं मिली.
कई हेडमास्टर की हुई मौत, लेकिन नहीं मिला ग्रेड पे: मृत हेड मास्टर रामगुलाम पांडे के पुत्र रामअवतार पांडेय ने बताया कि " मेरे पिता 1 मई 1960 से 31 मार्च 1990 तक हेडमास्टर थे. वे बीटीआई ट्रेन्ड होकर हेड मास्टर की पोस्ट में पहुंचे थे. 31 मार्च 1990 के बाद वह रिटायर हो गए. उस समय जिला शिक्षा विभाग अधिकारी ने हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना की. हाईकोर्ट के आदेश में सुप्रीम कोर्ट कोई बदलाव कर सकता है ,तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने हाई कोर्ट की अवहेलना करते हुए पात्र और अपात्र प्रधान पाठकों की सूची तैयार कर दी. जिन प्रधान पाठकों को पात्र माना गया था उन्हें भी आज तक पे स्केल का भुगतान नहीं किया गया. वित्त विभाग से आदेश हुआ है. लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी और ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों ने राशि को गबन कर लिया है"
"6 करोड़ से ज्यादा के गबन का आरोप": दिवंगत हेड मास्टर के पुत्र राम अवतार पांडेय ने बताया कि " तीन बार हमने कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट लगाया लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई. एक शिक्षक को लगभग 30 लाख की राशि प्राप्त होती. लगभग 6 करोड़ रुपये, 19 प्रधान पाठकों को ही मिलना बनता है. आज फैमिली पेंशनर के लिए मेरी मां है मेरी माता भी 88 साल की हो गई है वो भी बीमार रहती है. वह भी अपने पति के ग्रेड पे के भुगतान की आस लगाए हुए है"
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"अब हम प्रधानमंत्री से करेंगे शिकायत": रिटायर्ड हेड मास्टर अभय राम दुबे और दिवंगत हेड मास्टर के पुत्र राम अवतार ने बताया कि "10 साल से हाईकोर्ट का आदेश जारी हो गया है लेकिन अभी तक हमें राशि नहीं मिल पाई है. इस संबंध में हम प्रधानमंत्री से शिकायत करने वाले हैं. हम अपने हक की लड़ाई अंतिम समय तक लड़ेंगे"
19 हेड मास्टर में 2 रिटायर्ड हेड मास्टर ही जीवित: अपने पे स्केल को लेकर हेड मास्टर ने याचिका दायर की थी लेकिन आज उनमें से दो हेड मास्टर अभयराम यदु और बहुरन लाल साहू जीवित हैं. बाकी 17 रिटायर्ड प्रधान पाठकों की मौत हो गई है. इनमें सरहा राम देवांगन, पुरुषोत्तम लाल वर्मा, खिन्नू प्रसाद शर्मा, छन्नू लाल साहू, लखन लाल वर्मा, पूनाराम साहू, दुखवा राम महेश्वर, लखन लाल साहू, रामगुलाम पांडे, अलख राम कटारिया, सुनीता नावलेकर, पूनाराम वर्मा, राजनारायण ओझा, आनंद सिंह ठाकुर, नटवरलाल व्यास, दाऊ राम ठाकुर , योगेश्वर प्रसाद तिवारी की मौत हो गई है. सभी का परिवार अपने हक के लिए आज भी उम्मीद लगाए बैठा है.