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national pollution control day: विश्व के लिए प्रदूषण बड़ा मुद्दा

National Pollution Control Day राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस को पहली बार 2 दिसंबर 1984 को मनाया गया था. आज विश्व के कई देशों के लिए प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है. इसलिए सरकारों के लिए प्रदूषण को सीमित करना या रोकना जरूरी हो गया है. bhopal gas tragedy

national pollution control day
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस
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Published : Dec 1, 2022, 6:26 PM IST

रायपुर: हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य बढ़ते प्रदूषण के प्रति लोगों की जागरूकता को बढ़ाना है. हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि पर्यावरण प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए बेहद खतरनाक है. इसलिए इस लगातार बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारे लिए और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. National Pollution Control Day

पहली बार 2 दिसंबर 1984 को मनाया गया: राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस को पहली बार 2 दिसंबर 1984 को मनाया गया था. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य 2 और 3 दिसंबर 1984 को भोपाल गैस त्रासदी में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देना था. आज विश्व के कई देशों के लिए प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है. इसलिए सरकारों के लिए प्रदूषण को सीमित करना या रोकना जरूरी हो गया है. bhopal gas tragedy

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया उद्देश्य: भोपाल गैस त्रासदी जो 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात को भोपाल, मध्य प्रदेश में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) कीटनाशक संयंत्र में एक रासायनिक दुर्घटना थी. जिसमें 500,000 से अधिक लोग मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस के संपर्क में आए थे. जिसमें अत्यधिक जहरीले पदार्थ ने संयंत्र के पास स्थित छोटे शहरों में और उसके आसपास इसका प्रभाव पड़ा था. इस आपदा में 2259 लोगों की तत्काल मृत्यु हो गई थी. जबकि मध्य प्रदेश सरकार ने अंततः घोषणा किया था कि त्रासदी में 25,000 लोग मारे गए हैं. वैश्विक स्तर पर दर्ज इतिहास में इसे सबसे खराब औद्योगिक आपदा का नाम दिया गया था.

हम पर्यावरण को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से करते हैं प्रदूषित: हमारे दैनिक दिनचर्या में हम पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रदूषित करते हैं. जिसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है. वातावरण को बेहतर और स्वच्छ बनाने के लिए जनता को प्रदूषण के बारे में शिक्षित करना जरूरी है. प्रदूषण को कम करने के लिए भारत सरकार ने कई अधिनियम पारित भी किए हैं. जैसे दिल्ली में सड़क पर कारों की संख्या को सीमित करना, विषम और सम संख्याओं को लागू करना. इसके अलावा प्राथमिक नियामक एजेंसी जो कंपनियों का निरीक्षण करती है कि वे राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एनपीसीबी) के अनुसार पर्यावरण मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं.

रायपुर: हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है. इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य बढ़ते प्रदूषण के प्रति लोगों की जागरूकता को बढ़ाना है. हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि पर्यावरण प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए बेहद खतरनाक है. इसलिए इस लगातार बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारे लिए और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. National Pollution Control Day

पहली बार 2 दिसंबर 1984 को मनाया गया: राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस को पहली बार 2 दिसंबर 1984 को मनाया गया था. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य 2 और 3 दिसंबर 1984 को भोपाल गैस त्रासदी में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देना था. आज विश्व के कई देशों के लिए प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है. इसलिए सरकारों के लिए प्रदूषण को सीमित करना या रोकना जरूरी हो गया है. bhopal gas tragedy

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया उद्देश्य: भोपाल गैस त्रासदी जो 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात को भोपाल, मध्य प्रदेश में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) कीटनाशक संयंत्र में एक रासायनिक दुर्घटना थी. जिसमें 500,000 से अधिक लोग मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस के संपर्क में आए थे. जिसमें अत्यधिक जहरीले पदार्थ ने संयंत्र के पास स्थित छोटे शहरों में और उसके आसपास इसका प्रभाव पड़ा था. इस आपदा में 2259 लोगों की तत्काल मृत्यु हो गई थी. जबकि मध्य प्रदेश सरकार ने अंततः घोषणा किया था कि त्रासदी में 25,000 लोग मारे गए हैं. वैश्विक स्तर पर दर्ज इतिहास में इसे सबसे खराब औद्योगिक आपदा का नाम दिया गया था.

हम पर्यावरण को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से करते हैं प्रदूषित: हमारे दैनिक दिनचर्या में हम पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रदूषित करते हैं. जिसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है. वातावरण को बेहतर और स्वच्छ बनाने के लिए जनता को प्रदूषण के बारे में शिक्षित करना जरूरी है. प्रदूषण को कम करने के लिए भारत सरकार ने कई अधिनियम पारित भी किए हैं. जैसे दिल्ली में सड़क पर कारों की संख्या को सीमित करना, विषम और सम संख्याओं को लागू करना. इसके अलावा प्राथमिक नियामक एजेंसी जो कंपनियों का निरीक्षण करती है कि वे राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एनपीसीबी) के अनुसार पर्यावरण मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं.

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