रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना के कहर के बीच अब ब्लैक फंगस का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में 17 मई तक ब्लैक फंगस के 76 केस मिल चुके हैं. एम्स रायपुर के डायरेक्टर नितिन नागरकर ने बताया कि प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से ब्लैक फंगस के लगातार मामले सामने आ रहे हैं. किसी दिन 5 मरीज तो किसी दिन 10 केस मिले हैं. दवाइयों की कमी की वजह अलग-अलग जिलों से मरीजों को रायपुर रेफर किया जा रहा है.
रायपुर एम्स में कितने मरीज ?
एम्स रायपुर के डायरेक्टर नितिन नागरकर ने बताया कि रायपुर एम्स में ब्लैक फंगस के 50 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. जो मरीज कोविड पॉजिटिव हैं, उनको कोविड एरिया में रखा गया है. जो कोविड निगेटिव हैं, उनको ईएनटी वार्ड में रखा गया है. दो कोविड सस्पेक्ट हैं. उनकी पहले कोरोना जांच की जाएगी. रायपुर एम्स के डायरेक्टर ने बताया कि ज्यादातर पेशेंट भिलाई-दुर्ग के हैं. इन सभी पेशेंट्स को कोरोना से स्वस्थ हुए एक महीना हो चुका है. इन मरीजों को डायबिटीज भी है और इलाज के दौरान एस्टेरॉयड भी उनको दी गई है.
सरगुजा में सामने आया ब्लैक फंगस का पहला केस
अब तक कितने मरीजों का हुआ ऑपरेशन ?
17 मई तक कुल 12 मरीजों का ऑपरेशन हो चुका है. बाकी मरीज भी लाइन में हैं. उनकी किडनी का फंक्शन, कोविड रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. इसके बाद ही सर्जरी की जाती है. मरीजों को एंटीफंगल दवाई जैसे एंफोटरइसिन बी दी जा रही है. जो मरीज कोरोना पॉजिटिव हैं, उन्हें दवाइयां जल्द से जल्द दी जाती हैं. एंफोटरइसिन बी दवाई ब्लैक फंगस के इलाज के लिए महत्वपूर्ण है.
छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मरीज, बाजारों में दवाइयों की किल्लत
दवाई उपलब्ध है या नहीं, कौन कर रहा इलाज ?
एंफोटरइसिन बी दवाई बेहद कारगर दवाई है. इसका कोर्स चार-पांच हफ्ते तक चलता है. इसमें किडनी के फंक्शन को देखा जाता है और यह ड्रग एम्स हॉस्पिटल में उपलब्ध है. ब्लैक फंगस के इलाज के लिए पूरी एक टीम है. जो मरीजों के इलाज में लगी हुई है. ईएनटी वार्ड में पेशेंट ज्यादा हो गए थे, जिसे देखते हुए एक वार्ड तैयार किया गया है. जो मरीज शुरुआती लक्षण के साथ आते हैं. वे जल्दी ठीक हो जाते हैं. लेकिन मरीजों में जब फंगस आंख और ब्रेन तक चला जाता है तो दिक्कतें होती हैं. कई मरीजों की आंख भी निकालने की जरूरत पड़ी है. एक मरीज के ब्रेन की भी सर्जरी की गई है.