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Monsoon Reaches Kerala: एक हफ्ते देर से छत्तीसगढ़ पहुंचेगा मानसून, जानिए क्या है वजह - Monsoon in Chhattisgarh

Monsoon in Chhattisgarh मानसून केरल के समुद्री तटों पर पहुंच चुका है. मानसून इस साल एक हफ्ते देर से आया है. छत्तीसगढ़ में मानसून 17 जून के आसपास पहुंचने की संभावना है. हालांकि मौसम विभाग ने इस बार मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद जताई है. मानसून के आने में देरी की वजह जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है. तो आइये एक नजर छत्तीसगढ़ के जलवायु पर डालते हैं.

Monsoon Reaches Kerala
छत्तीसगढ़ में मानसून
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Published : Jun 8, 2023, 8:30 PM IST

Updated : Jun 9, 2023, 7:20 AM IST

रायपुर: मौसम विभाग ने छत्तीसगढ़ में मानसून 17 जून के आसपास पहुंचने की संभावना जताई है. छत्तीसगढ़ की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है. कर्क रेखा राज्य के उत्तरी हिस्से के जिलों कोरिया, सूरजपुर, अंबिकापुर और बलरामपुर से होकर गुजरती है. इसका असर यहां की जलवायु पर पड़ता है. इसके अलावा समुद्र से दूरी का भी असर जलवायु पर पड़ता है. इसी कारण यहां की जलवायु को महाद्वीपीय जलवायु भी कहा जा सकता है. पूरे प्रदेश की जलवायु में काफी हद तक असमानता है, जो समय-समय पर बारिश और तापमान में अंतर के रूप में दिखाई देता है.

कर्क रेखा का प्रदेश के मौसम पर प्रभाव: छत्तीसगढ़ की जलवायु में सभी प्रकार की मानसूनी विशेषताएं हैं. छत्तीसगढ़ आर्द्र शुष्क जलवायु वाला प्रदेश है. कर्क रेखा छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग से गुजरने के कारण यहां की जलवायु को ज्यादा प्रभावित करती है.

तीन तरह की है छत्तीसगढ़ की जलवायु: छत्तीसगढ़ की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है. लेकिन भौगोलिक विस्तार और विविधता के कारण उत्तर से दक्षिण तक जलवायु में थोड़ा बहुत अंतर भी दिखाई देता है. इस असमानता के आधार पर प्रदेश की जलवायु को तीन भागों में बांटा गया है.

1-उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र: कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, जशपुर, अम्बिकापुर और उत्तरी कोरबा के इस क्षेत्र से कर्क रेखा गुजरती है. इसीलिए इस क्षेत्र में गर्मी भी तेज होती है. जबकि ठंडी में यहां का तापमान प्रदेश में सबसे कम होता है.

2-छत्तीसगढ़ का मैदानः यह महानदी और उसकी सहायक नदियों से निर्मित मैदानी क्षेत्र है. प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्मी इसी एरिया में पड़ती है. यहां जांजगीर-चांपा सबसे अधिक गर्म रहता है. सर्दियों में सामान्य ठंड पड़ती है.

3- बस्तर क्षेत्र: यह पहाड़ी क्षेत्र है, जहां सर्दी और गर्मी दोनों अधिक होती है. घने जंगल और पहाड़ियों से घिरे रहने की वजह से यहां की जलवायु ठंडी और अधिक वर्षा के कारण नम है.

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छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी है अबूझमाड़: प्रदेश का मौसम की तीन ऋतुओं के आधार पर अपनी अलग विशेषताएं हैं. यहां वर्षा ऋतु का सामान्य काल जून से सितंबर होता है. प्रदेश में दिसंबर-जनवरी माह में चक्रवाती वर्षा भी होती है. प्रदेश में हर साल बारिश 120 सेमी से 187.5 सेमी तक होती है. पश्चिमी क्षेत्र के तहत दुर्ग, राजनांदगांव आदि में बारिश कम होती है. औसत वार्षिक वर्षा 130 सेमी और सबसे ज्यादा वर्षा अबूझमाड़ क्षेत्र में 187.5 सेमी तक होती है. इसे छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी भी कहते हैं. बस्तर के बाद सरगुजा-जशपुर सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है.

मार्च से जून तक प्रदेश में गर्मी पड़ती है. छत्तीसगढ़ जांजगीर-चांपा हमेशा से सबसे गर्म क्षेत्र रहा है. इसकी वजह इस क्षेत्र का पठारीय और मौदानी होना है. राजनांदगांव के पश्चिम में मैकल पर्वत श्रेणी का पूर्वी भाग का वृष्टि छाया प्रदेश है. इसमें लोरमी पठार का कुछ क्षेत्र भी शामिल है. शीत ऋतु नवंबर से फरवरी है. इस दौरान सबसे ज्यादा ठंड पाट प्रदेश में होती है. मैनपाट का तापमान शुन्य डिग्री तक पहुंच जाता है. इस ऋतु में भी यहां थोड़ी बहुत बारिश हो जाती है.

रायपुर: मौसम विभाग ने छत्तीसगढ़ में मानसून 17 जून के आसपास पहुंचने की संभावना जताई है. छत्तीसगढ़ की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है. कर्क रेखा राज्य के उत्तरी हिस्से के जिलों कोरिया, सूरजपुर, अंबिकापुर और बलरामपुर से होकर गुजरती है. इसका असर यहां की जलवायु पर पड़ता है. इसके अलावा समुद्र से दूरी का भी असर जलवायु पर पड़ता है. इसी कारण यहां की जलवायु को महाद्वीपीय जलवायु भी कहा जा सकता है. पूरे प्रदेश की जलवायु में काफी हद तक असमानता है, जो समय-समय पर बारिश और तापमान में अंतर के रूप में दिखाई देता है.

कर्क रेखा का प्रदेश के मौसम पर प्रभाव: छत्तीसगढ़ की जलवायु में सभी प्रकार की मानसूनी विशेषताएं हैं. छत्तीसगढ़ आर्द्र शुष्क जलवायु वाला प्रदेश है. कर्क रेखा छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग से गुजरने के कारण यहां की जलवायु को ज्यादा प्रभावित करती है.

तीन तरह की है छत्तीसगढ़ की जलवायु: छत्तीसगढ़ की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है. लेकिन भौगोलिक विस्तार और विविधता के कारण उत्तर से दक्षिण तक जलवायु में थोड़ा बहुत अंतर भी दिखाई देता है. इस असमानता के आधार पर प्रदेश की जलवायु को तीन भागों में बांटा गया है.

1-उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र: कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, जशपुर, अम्बिकापुर और उत्तरी कोरबा के इस क्षेत्र से कर्क रेखा गुजरती है. इसीलिए इस क्षेत्र में गर्मी भी तेज होती है. जबकि ठंडी में यहां का तापमान प्रदेश में सबसे कम होता है.

2-छत्तीसगढ़ का मैदानः यह महानदी और उसकी सहायक नदियों से निर्मित मैदानी क्षेत्र है. प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्मी इसी एरिया में पड़ती है. यहां जांजगीर-चांपा सबसे अधिक गर्म रहता है. सर्दियों में सामान्य ठंड पड़ती है.

3- बस्तर क्षेत्र: यह पहाड़ी क्षेत्र है, जहां सर्दी और गर्मी दोनों अधिक होती है. घने जंगल और पहाड़ियों से घिरे रहने की वजह से यहां की जलवायु ठंडी और अधिक वर्षा के कारण नम है.

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छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी है अबूझमाड़: प्रदेश का मौसम की तीन ऋतुओं के आधार पर अपनी अलग विशेषताएं हैं. यहां वर्षा ऋतु का सामान्य काल जून से सितंबर होता है. प्रदेश में दिसंबर-जनवरी माह में चक्रवाती वर्षा भी होती है. प्रदेश में हर साल बारिश 120 सेमी से 187.5 सेमी तक होती है. पश्चिमी क्षेत्र के तहत दुर्ग, राजनांदगांव आदि में बारिश कम होती है. औसत वार्षिक वर्षा 130 सेमी और सबसे ज्यादा वर्षा अबूझमाड़ क्षेत्र में 187.5 सेमी तक होती है. इसे छत्तीसगढ़ का चेरापूंजी भी कहते हैं. बस्तर के बाद सरगुजा-जशपुर सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है.

मार्च से जून तक प्रदेश में गर्मी पड़ती है. छत्तीसगढ़ जांजगीर-चांपा हमेशा से सबसे गर्म क्षेत्र रहा है. इसकी वजह इस क्षेत्र का पठारीय और मौदानी होना है. राजनांदगांव के पश्चिम में मैकल पर्वत श्रेणी का पूर्वी भाग का वृष्टि छाया प्रदेश है. इसमें लोरमी पठार का कुछ क्षेत्र भी शामिल है. शीत ऋतु नवंबर से फरवरी है. इस दौरान सबसे ज्यादा ठंड पाट प्रदेश में होती है. मैनपाट का तापमान शुन्य डिग्री तक पहुंच जाता है. इस ऋतु में भी यहां थोड़ी बहुत बारिश हो जाती है.

Last Updated : Jun 9, 2023, 7:20 AM IST
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