रायपुर: साल 2006 में केंद्र की कांग्रेस पार्टी की सरकार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर मनरेगा योजना MNREGA YOJANA की शुरुआत की थी. छत्तीसगढ़ राज्य में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee योजना के तहत अधिकारी और कर्मचारी 16 वर्षों से लगातार कार्य कर रहे हैं.
सरकार की बड़ी योजनाओं में से एक है मनरेगा: शासन की महत्वपूर्ण योजना ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा, गरवा, घुरवा, बारी और गोधन न्याय योजना जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर सफलतापूर्वक से किया जा रहा है. इसमें मनरेगा कर्मियों की अहम भूमिका है. पूरी लगन और ईमानदारी से मनरेगा कर्मचारी काम को पूरा कर रहे हैं. बावजूद इसके सरकार इनकी मांगों पर अमल नहीं कर रही है. ऐसे में मनरेगा कर्मचारियों में आक्रोश और नाराजगी भी देखने को मिल रही है. Demonstration of MNREGA workers in Chhattisgarh
तीन सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन : छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार कुर्रे (Ashok Kumar Kurre) ने बताया कि "छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ की 3 सूत्रीय मांगें हैं. इसके पहले छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने गर्मी के सीजन में अप्रैल और मई के महीने में 72 दिनों की हड़ताल की थी और पदयात्रा निकाली थी, जो दंतेवाड़ा से शुरू होकर रायपुर में समाप्त हुई थी." उन्होंने कहा कि "मंत्री कवासी लखमा Minister Kawasi Lakhma के आश्वासन के बाद अपना प्रदर्शन मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने वापस ले लिया था. लेकिन इतने महीने बीत जाने के बाद भी इनकी मांगे आज तक पूरी नहीं हो पाई है. ऐसे में सरकार इनकी मांगों को 26 जनवरी तक पूरा नहीं करती है, तो मजबूर होकर मनरेगा कर्मचारी महासंघ अनिश्चितकालीन हड़ताल करने के लिए बाध्य होगा."
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ की 3 सूत्रीय मांगें
- सभी मनरेगा कर्मचारियों को नियमित किया जाए
- नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतन मान निर्धारण करते हुए समस्त मनरेगाकर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू की जाए.
- अनिश्चितकालीन हड़ताल अवधि 72 दिनों का लंबित वेतनमान मानदेय का भुगतान किया जाए.