रायपुर: प्रदेश में जोगी परिवार की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. एक तरफ जहां अंतागढ़ टेपकांड के मामले में JCCJ सुप्रीमो अजीत जोगी का नाम शामिल है, तो वहीं दूसरी तरफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में उनके बेटे अमित जोगी की न्यायिक हिरासत में अस्पताल में इलाज जारी है. इसी बीच रविवार को जोगी परिवार की सदस्य विधायक रेणु जोगी ने सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात की.
रेणु जोगी से ETV भारत ने मुख्यमंत्री से हुई चर्चा पर बात की , तो उन्होंने बताया कि, 'दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री से मिलने के लिए उन्होंने मुख्य सचिव से समय मांगा था, तो रविवार 12 बजे का समय मिला.'
'अमित की मां के रूप में की मुलाकात'
रेणु ने बेटे अमित से हुई मुलाकात के बारे में भी बात करते हुए कहा कि, 'मेरी मुलाकात का उद्देश्य एक मां के रूप में था. दो-तीन दिन पहले ही मैं दिल्ली से लौटी हूं. अमित की जो स्थिति मैंने देखी थी, वह दो दिन पहले बिस्तर से नहीं उठ पा रहा था.'
रेणु ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि, 'अमित का डायग्नोसिस हुआ है. 20 माह पहले उसको मिर्गी होने की शिकायत मिली है. इसके लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि उसाक इलाज सही तरह से हो.'
रेणु ने कहा कि, 'मृत्यु और जीवन के बीच एक रेखा है और हमने देखा है कि पेसेंट के अच्छा होते-होते अचानक उसका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है और वह प्राण त्याग देता है. स्वयं मैंने अपने पारिवारिक जीवन में अपनी बेटी को खोया है.'
'सीएम ने सहानुभूतिपूर्वक मेरी बातों को सुना'
रेणु ने पुरानी यादों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि, 'मुख्यमंत्री ने उनके साथ बहुत से कार्य किए हैं और उनके साथ किसी प्रकार की संवादहीनता की बात कभी नहीं रही. वैचारिक मतभेद होते रहे, लेकिन मैंने खुलकर अपनी बात रखी. वे मुझे भाभी बोलते हैं और मैं भी उनको उतना ही सम्मान देते हुए देवर का रिश्ता मानती हूं और इसी नाते मैंने खुलकर उनसे बातें की.'
रणु ने कहा कि, 'इन बातों के बीच में खुशी की बात ये है कि सीएम भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के रूप में नहीं बल्कि पारिवारिक सदस्य के रूप में मेरी बात सुनी और समझी. मैं आशा करती हूं कि वे उस पर आवश्यक कार्रवाई करेंगे.
मेदांता और धर्मशाला के अस्पताल ने नहीं बताया मिर्गी का प्रकार
वहीं रेणु जोगी ने बताया कि, 'उनके बेटे अमित जोगी की जांच मेदांता और धर्मशाला के मेडिकल कॉलेज में हो चुकी है, लेकिन अमित को कौन से प्रकार की मिर्गी है. इसका खुलासा न मेदांता ने किया है और न ही मेडिकल कॉलेज ने किया है.'
उन्होंने कहा कि, 'मैं एक मां और डॉक्टर होने के नाते चाहती हूं कि, 'उसका इलाज बेहतर तरीके से हो. मैं किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई पर कभी दखलअंदाजी नहीं चाहती. बस अमित के स्वास्थ्य का निराकरण सही हो.'
'कानून सबके लिए बराबर है'
उन्होंने कहा कि, 'मैं न्याय प्रक्रिया में कभी रोक नहीं लगाना चाहूंगी. देश का कानून सर्वोपरि है और कानून सबके लिए बराबर है अगर कहीं गलती हुई है, तो उसका जो भी परिणाम आना है वह आएगा, लेकिन इस दौरान जीवन-मृत्यु की लड़ाई कहीं वो (अमित) हार ना जाए.'