रायपुर: आदिम जाति एवं अनसूचित जाति विकास मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जंगल को बचाने का काम वनवासियों ने ही किया है. वनों का संरक्षण और वनवासियों को उनका अधिकार मिले, जिससे उनकी जीविका उपार्जन सुनिश्चित हो सके. वनवासियों को उनकी जमीन का वाजिब हक मिलना चाहिए.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर वनाधिकार मान्यता पत्र के क्रियान्वयन के लिए मंत्री टेकाम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला पंचायतों के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान विभाग के सचिव डी.डी. सिंह भी उपस्थित थे. प्रशिक्षण के दौरान पंचायत प्रतिनिधियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए.
पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण
मंत्री टेकाम ने कहा कि संचार क्रांति के माध्यम से जिला पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण हो रहा है. उन्होंने आगे कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों पर विकास के साथ ही वनाधिकार अधिनियम के पालन की जिम्मेदारी भी है. पंचायत प्रतिनिधि को कहा गया है कि जिले में 13 दिसंबर 2005 से पहले परम्परागत रूप से वनों में निवास कर लोगों को वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदान किए जाए.
वनाधिकार कानून का क्रियान्वयन
मंत्री टेकाम ने बताया कि प्रदेश में मार्च 2020 तक 8 लाख 11 हजार 200 प्राप्त आवेदनों में से 4 लाख 19 हजार 825 प्रकरणों पर वनाधिकार पत्र दिए गए हैं. इसी प्रकार सामुदायिक वनाधिकार के लिए प्राप्त 35 हजार 588 आवेदनों में से 28 हजार वनाधिकार पत्र वितरित किए जा चुके है. पंचायत प्रतिनिधियों को अपने जिले के वनवासियों को पात्रता अनुसार वनाधिकार मान्यता पत्र दिलाने में सक्रिय भूमिका निभाने को कहा गया है. ताकि वनाधिकार कानून का क्रियान्वयन संवैधानिक रूप से हो.
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मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बताया कि नियम क्रियान्वयन के लिए सदस्यों को विभाग की ओर से मार्गदर्शिका भेजी गई है, जिसमें दावा-आपत्ति संबंधी आवेदन का प्रारूप भी है. प्रारूप के मुताबिक जानकारी देकर संबंधित पात्र हितग्राही को मदद दी जा सकती है.