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SPECIAL: छत्तीसगढ़ में हर महीने 350 करोड़ के चाइनीज सामानों का व्यापार, रोकने की उठी मांग

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Published : Jun 26, 2020, 7:52 PM IST

देश में हर साल चाइना से अरबों रुपए का सामान आयात होता है. बात छत्तीसगढ़ की करें तो यहां हर महीने 350 करोड़ के चाइनीज सामान का व्यापार होता है. भारत में बिकने वाले चीन के सामान की लंबी फेहरिस्त है. कैट ने 3 हजार सामान की लिस्ट बनाई है और 500 की जारी की है. इन चीजों को भारत में ही बनाने पर जोर दिया जाएगा. व्यापारियों ने चीनी सामान के व्यापार को रोकोने की मांग की है.

china products will ban in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में भी चीनी सामानों को रोकने की उठी मांग

रायपुर: भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव को लेकर देशवासी चाइनीज सामान के बहिष्कार के लिए मुखर हो रहे हैं. लोग चीन के समान पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर चीन ने यहां जैसा साम्राज्य फैला रखा है, उसे देखते हुए पाबंदी लगाना इतना आसान नहीं है. बात छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम एसेसरीज, ऑटोमोबाइल, होम एप्लाइंसेस जैसे तमाम सेक्टर में चीनी बाजार का दखल हद से ज्यादा है. इसे लेकर ETV भारत की टीम ने बाजार के विशेषज्ञों से पड़ताल की है. वह भी मानते हैं कि चाइना के वर्चस्व को खत्म करना इतना आसान नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है.

छत्तीसगढ़ में चीन का बाजार

भारत-चीन फैक्ट फाइल

  • भारत में हर साल चीन से सवा पांच लाख करोड़ के सामान का आयात होता है.
  • छत्तीसगढ़ में चीन के सामानों का व्यापार हर महीने करीब 350 करोड़ का है.
  • हर सेक्टर में चीन के रॉ मटेरियल का स्थापत्य है, यही वजह है कि चीन के उत्पादों पर बैन लगाना संभव नहीं है.
  • छत्तीसगढ़ में ही इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम, एसेसरीज, आटोमोबाइल, होम एम्प्लॉयसेन्स जैसे तमाम सेक्टर में चीन के रॉ मटेरियल का इस्तेमाल होता है.
  • राष्ट्रीय स्तर पर 'भारतीय सामान, हमारा अभियान' चलाकर देश भर में स्थानीय उत्पादों को प्रमोट करने का अभियान चलाया जा रहा है.
  • दिसंबर 2021 तक चीन से 13 बिलियन डालर यानी लगभग एक लाख करोड़ के आयात को कम करने का संकल्प लिया गया है.
  • पहले चरण में फिनिश आइटम को बंद करने का फैसला लिया गया है.

'चीन से आए FINISHED GOODS को बंद करने का फैसला'

देश में हर साल चाइना से सवा पांच लाख करोड़ का सामान आता है. बिजनेस एक्सपर्ट्स से चर्चा करने पर ये बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ में ही चीन के आइटम का व्यापार हर महीने करीब 350 करोड़ का है. हर क्षेत्र में चीन के सामानों की फेहरिस्त है. देश के राष्ट्रीय व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवनी कहते हैं कि कैट की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर चीनी समान के बहिष्कार के लिए लगातार कैंपेन चलाया जा रहा है. जिसे देश के तमाम बड़े लोग सपोर्ट कर रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर इस आंदोलन को 'भारतीय सामान हमारा अभियान' चलाकर देश भर में स्थानीय उत्पादों को प्रमोट करने का अभियान चलाया जा रहा है. वे कहते हैं कि कैट ने दिसंबर 2021 तक चीन से आयात को 13 बिलियन डालर यानी लगभग एक लाख करोड़ के आयात को कम करने का संकल्प लिया है. इसमें पहले चरण में फिनिश आइटम को पहले बन्द करने का फैसला किया गया है.

'ज्यादातर कारोबार सेक्टर चीन पर निर्भर'

छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो ज्यादातर कारोबार सेक्टर में किसी न किसी तरह से चीन का दखल है. चीन से कई तरह के कच्चे और पक्के माल आते हैं. जिसे लाकर यहां असेंबल किया जाता है. प्रदेश में मोबाइल, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर पूरी तरह चीन के बाजार पर निर्भर हैं. हालांकि मोबाइल और टेलीकॉम से जुड़े हुए कारोबारी दिनेश सुंदरानी बताते हैं कि ज्यादातर मोबाइल कंपनियां मेक इन इंडिया यानी हमारे देश में ही पैकेजिंग के साथ काम कर रही हैं. भले ही इन सारी कंपनियों का थिंकटैंक चीन और उसके आसपास का हो.

दिनेश सुंदरानी कहते हैं कि व्यापारिक लिहाज से एक दिन में चीन मार्केट की निर्भरता को खत्म नहीं किया जा सकता है. इसके लिए स्थानीय बाजार को मजबूत बनाना बेहद जरुरी है. व्यापार के लिए हमें अपनी लाइन बड़ी करने की जरूरत है ना कि दूसरे की लाइन छोटी करने की.

'WORLD TRADE ORGANISATION के नियमों से बंधे हुए हैं कई देश'

इस मसले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा कहते हैं कि चाइना बाजार आज हमारे जीवन का अहम हिस्सा हो चुका है. जिसे एकाएक बंद नहीं किया जा सकता है. तमाम तरह के देश WTO यानी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के तहत कई तरह के एग्रीमेंट से बंधे हुए होते हैं. इसके तहत जब देशभर के लोग खुद ही चीन की वस्तु का उपयोग कम कर देंगे तो वहां की डिपेंडेंसी धीरे-धीरे खुद ही कम हो जाएगी.

पढ़ें- SPECIAL: छत्तीसगढ़ में भी उठी चाइनीज प्रोडक्ट के बहिष्कार की मांग, जानिए ग्राहकों और दुकानदारों की राय

रॉ मटेरियल को लेकर देश चाइना पर निर्भर

कैट ने तीन हजार से ज्यादा चाइनीज आइटमों की लिस्टिंग की है. बाजार की पड़ताल से एक बात साफ है कि तमाम सेक्टर में चीन का दखल बहुत ज्यादा है. जब तक कंपनी की मैनुफैक्चरिंग भले ही इंडिया में हो रही हो, लेकिन रॉ मटेरियल के लिए अभी भी हम चाइना पर निर्भर हैं. मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, एसेसरीज़, घरेलू उपकरण, निर्माण सामग्री जैसे तमाम सेक्टर पर चीन ने अपना दबदबा बना कर रखा है. ऐसा नहीं है कि इन तमाम सेक्टर का उत्पादन इंडिया में नहीं होता है, लेकिन लागत कम होने के चलते चाइना के ऊपर निर्भरता ज्यादा बढ़ गई है.

पढ़ें- ABVP ने चीन के विरोध में किया प्रदर्शन, कहा- 'ये 1962 वाला नहीं नरेंद्र मोदी का भारत है'

चीन को लेकर केंद्र सरकार का सख्त रुख

गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए टकराव के बाद व्यापारिक संगठन चीन के प्रति सख्त रुख अपना रहे हैं. वहीं सरकार ने भी 'वोकल के लिए लोकल' होने का नारा दिया है. केंद्र सरकार विचार कर रही है कि आयत किए जाने वाले कई प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी जाए. इनमें खास तौर पर वे प्रोडक्ट शामिल हैं, जिन्हें चीन से आयात किया जाता है. बता दें कि केंद्र ने बुधवार 17 जून को भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) से भी कहा था कि 4जी संसाधनों को अपग्रेड करने के लिए चीन के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया जाए. जिसके बाद 18 जून को रेलवे ने चीनी कंपनी के साथ 471 करोड़ रुपये के सौदे को रद्द कर दिया. अब टेलीकॉम डिपार्टमेंट 4G सर्विस के अपडेशन के लिए नए सिरे से टेंडर जारी कर सकता है. इसके अलावा केंद्र सरकार इस पर भी विचार कर रही है कि प्राइवेट ऑपरेटरों से भी कहा जाए कि वे भी चीनी कंपनियों के प्रोडक्ट्स पर अपनी निर्भरता कम करें.

रायपुर: भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव को लेकर देशवासी चाइनीज सामान के बहिष्कार के लिए मुखर हो रहे हैं. लोग चीन के समान पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर चीन ने यहां जैसा साम्राज्य फैला रखा है, उसे देखते हुए पाबंदी लगाना इतना आसान नहीं है. बात छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम एसेसरीज, ऑटोमोबाइल, होम एप्लाइंसेस जैसे तमाम सेक्टर में चीनी बाजार का दखल हद से ज्यादा है. इसे लेकर ETV भारत की टीम ने बाजार के विशेषज्ञों से पड़ताल की है. वह भी मानते हैं कि चाइना के वर्चस्व को खत्म करना इतना आसान नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है.

छत्तीसगढ़ में चीन का बाजार

भारत-चीन फैक्ट फाइल

  • भारत में हर साल चीन से सवा पांच लाख करोड़ के सामान का आयात होता है.
  • छत्तीसगढ़ में चीन के सामानों का व्यापार हर महीने करीब 350 करोड़ का है.
  • हर सेक्टर में चीन के रॉ मटेरियल का स्थापत्य है, यही वजह है कि चीन के उत्पादों पर बैन लगाना संभव नहीं है.
  • छत्तीसगढ़ में ही इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम, एसेसरीज, आटोमोबाइल, होम एम्प्लॉयसेन्स जैसे तमाम सेक्टर में चीन के रॉ मटेरियल का इस्तेमाल होता है.
  • राष्ट्रीय स्तर पर 'भारतीय सामान, हमारा अभियान' चलाकर देश भर में स्थानीय उत्पादों को प्रमोट करने का अभियान चलाया जा रहा है.
  • दिसंबर 2021 तक चीन से 13 बिलियन डालर यानी लगभग एक लाख करोड़ के आयात को कम करने का संकल्प लिया गया है.
  • पहले चरण में फिनिश आइटम को बंद करने का फैसला लिया गया है.

'चीन से आए FINISHED GOODS को बंद करने का फैसला'

देश में हर साल चाइना से सवा पांच लाख करोड़ का सामान आता है. बिजनेस एक्सपर्ट्स से चर्चा करने पर ये बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ में ही चीन के आइटम का व्यापार हर महीने करीब 350 करोड़ का है. हर क्षेत्र में चीन के सामानों की फेहरिस्त है. देश के राष्ट्रीय व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवनी कहते हैं कि कैट की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर चीनी समान के बहिष्कार के लिए लगातार कैंपेन चलाया जा रहा है. जिसे देश के तमाम बड़े लोग सपोर्ट कर रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर इस आंदोलन को 'भारतीय सामान हमारा अभियान' चलाकर देश भर में स्थानीय उत्पादों को प्रमोट करने का अभियान चलाया जा रहा है. वे कहते हैं कि कैट ने दिसंबर 2021 तक चीन से आयात को 13 बिलियन डालर यानी लगभग एक लाख करोड़ के आयात को कम करने का संकल्प लिया है. इसमें पहले चरण में फिनिश आइटम को पहले बन्द करने का फैसला किया गया है.

'ज्यादातर कारोबार सेक्टर चीन पर निर्भर'

छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो ज्यादातर कारोबार सेक्टर में किसी न किसी तरह से चीन का दखल है. चीन से कई तरह के कच्चे और पक्के माल आते हैं. जिसे लाकर यहां असेंबल किया जाता है. प्रदेश में मोबाइल, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर पूरी तरह चीन के बाजार पर निर्भर हैं. हालांकि मोबाइल और टेलीकॉम से जुड़े हुए कारोबारी दिनेश सुंदरानी बताते हैं कि ज्यादातर मोबाइल कंपनियां मेक इन इंडिया यानी हमारे देश में ही पैकेजिंग के साथ काम कर रही हैं. भले ही इन सारी कंपनियों का थिंकटैंक चीन और उसके आसपास का हो.

दिनेश सुंदरानी कहते हैं कि व्यापारिक लिहाज से एक दिन में चीन मार्केट की निर्भरता को खत्म नहीं किया जा सकता है. इसके लिए स्थानीय बाजार को मजबूत बनाना बेहद जरुरी है. व्यापार के लिए हमें अपनी लाइन बड़ी करने की जरूरत है ना कि दूसरे की लाइन छोटी करने की.

'WORLD TRADE ORGANISATION के नियमों से बंधे हुए हैं कई देश'

इस मसले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा कहते हैं कि चाइना बाजार आज हमारे जीवन का अहम हिस्सा हो चुका है. जिसे एकाएक बंद नहीं किया जा सकता है. तमाम तरह के देश WTO यानी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के तहत कई तरह के एग्रीमेंट से बंधे हुए होते हैं. इसके तहत जब देशभर के लोग खुद ही चीन की वस्तु का उपयोग कम कर देंगे तो वहां की डिपेंडेंसी धीरे-धीरे खुद ही कम हो जाएगी.

पढ़ें- SPECIAL: छत्तीसगढ़ में भी उठी चाइनीज प्रोडक्ट के बहिष्कार की मांग, जानिए ग्राहकों और दुकानदारों की राय

रॉ मटेरियल को लेकर देश चाइना पर निर्भर

कैट ने तीन हजार से ज्यादा चाइनीज आइटमों की लिस्टिंग की है. बाजार की पड़ताल से एक बात साफ है कि तमाम सेक्टर में चीन का दखल बहुत ज्यादा है. जब तक कंपनी की मैनुफैक्चरिंग भले ही इंडिया में हो रही हो, लेकिन रॉ मटेरियल के लिए अभी भी हम चाइना पर निर्भर हैं. मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, एसेसरीज़, घरेलू उपकरण, निर्माण सामग्री जैसे तमाम सेक्टर पर चीन ने अपना दबदबा बना कर रखा है. ऐसा नहीं है कि इन तमाम सेक्टर का उत्पादन इंडिया में नहीं होता है, लेकिन लागत कम होने के चलते चाइना के ऊपर निर्भरता ज्यादा बढ़ गई है.

पढ़ें- ABVP ने चीन के विरोध में किया प्रदर्शन, कहा- 'ये 1962 वाला नहीं नरेंद्र मोदी का भारत है'

चीन को लेकर केंद्र सरकार का सख्त रुख

गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए टकराव के बाद व्यापारिक संगठन चीन के प्रति सख्त रुख अपना रहे हैं. वहीं सरकार ने भी 'वोकल के लिए लोकल' होने का नारा दिया है. केंद्र सरकार विचार कर रही है कि आयत किए जाने वाले कई प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी जाए. इनमें खास तौर पर वे प्रोडक्ट शामिल हैं, जिन्हें चीन से आयात किया जाता है. बता दें कि केंद्र ने बुधवार 17 जून को भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) से भी कहा था कि 4जी संसाधनों को अपग्रेड करने के लिए चीन के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया जाए. जिसके बाद 18 जून को रेलवे ने चीनी कंपनी के साथ 471 करोड़ रुपये के सौदे को रद्द कर दिया. अब टेलीकॉम डिपार्टमेंट 4G सर्विस के अपडेशन के लिए नए सिरे से टेंडर जारी कर सकता है. इसके अलावा केंद्र सरकार इस पर भी विचार कर रही है कि प्राइवेट ऑपरेटरों से भी कहा जाए कि वे भी चीनी कंपनियों के प्रोडक्ट्स पर अपनी निर्भरता कम करें.

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