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SPECIAL: खरीफ सीजन के लिए खाद-बीज का संकट, किसानों की बढ़ी टेंशन

छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी का सीजन शुरू होने को है. इससे पहले ही ETV भारत ने खाद-बीज जैसी जरूरी चीजों में भी लॉकडाउन का असर पड़ने को लेकर पड़ताल की है. फसल के बीज ज्यादातर दूसरे राज्यों से पैकेजिंग होकर आते हैं, जो अबतक नहीं आए हैं. ऐसे में किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. लॉकडाउन की वजह से मजदूर ना मिलने और काम बंद होने से बीजों का प्रोडक्शन बड़े लेवल पर प्रभावित हुआ है.

chhattisgarh seeds problem during lockdown
लॉकडाउन की वजह से प्रभावित हुआ बीजों का प्रोडक्शन
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Published : Jun 10, 2020, 8:06 PM IST

रायपुर: कोरोना संकट ने पूरी दुनिया की तस्वीर बदल डाली. कई क्षेत्र इससे प्रभावित रहे. छत्तीसगढ़ में भी व्यापार, कारोबार, उद्योग सब ठप रहा. मजदूर अपने घरों को लौट गए. करीब 80 दिनों के लॉकडाउन ने लोगों के जीवन को बदल कर रख दिया. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से मजदूर वर्ग तो परेशान था ही, लेकिन किसानों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. अब जब मजदूर अपने घर लौटे तो वे खेती-किसानी का रूख करने लगे. खेती किसानी का सीजन शुरू होने को है. इससे पहले ही ETV भारत ने खाद-बीज जैसी जरूरी चीजों में भी लॉकडाउन का असर पड़ने को लेकर पड़ताल की है.

खरीफ सीजन के लिए खाद-बीज का संकट

कोरोना वायरस के संक्रमण ने न केवल लोगों के जीवन को बदल कर रख दिया है, बल्कि तमाम तरह की जरूरी सेवाओं में भी दखल डालना शुरू कर दिया. ऐसे में अब खेती-किसानी के लिए भी मजदूर मिलना मुश्किल हो रहा है. अब आने वाले खरीफ सीजन के लिए खाद बीज की एक बड़ी समस्या आ रही है. खरीफ सीजन के लिए जून का महीना लगते ही तैयारियां शुरू हो जाती है. बड़े पैमाने पर अब खेती-किसानी के लिए मजदूरों के साथ ही खाद-बीज की जरूरत होती है.

chhattisgarh seeds problem during lockdown
बीज भवन छत्तीसगढ़

कृषि प्रधान है छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर लोग खेती-किसानी पर ही निर्भर हैं. ऐसे में बीज और खाद की कमी होने का असर सीधे तौर पर लोगों के जीवन पर पड़ सकता है. इसे लेकर ETV भारत ने सहकारी समितियों में पड़ताल की. सहकारी समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आने वाले समय में खाद-बीज की बड़ी समस्या आ सकती है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में ज्यादातर खाद और बीज गुजरात और महाराष्ट्र से सप्लाई होते हैं. दोनों राज्यों में कोरोना के चलते बेहद बुरे हालात हैं. मजदूर नहीं होने की वजह से प्लांट बंद पड़े हैं. ऐसे में सप्लाई भी बाधित हो रही है. छत्तीसगढ़ में पूरी अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती किसानी ही है. यहां कृषि में भी खरीफ की फसल मुख्य फसल मानी जाती है.

chhattisgarh seeds problem during lockdown
धान के बीज

मैन्युफैक्चरिंग कंपनी से नहीं आ रहे बीज

प्रदेश भर में लाखों किसान खरीफ फसल के भरोसे ही जीवनयापन करते हैं. ऐसे में खाद-बीज का संकट आना किसानों के लिए भी बड़ी मुसीबत ला सकता है. इसे लेकर जब हमने कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर संकेत ठाकुर से चर्चा की तो उनका कहना है कि बीज प्रोडक्शन के लिए उपयुक्त समय के दौरान लॉकडाउन ने काफी प्रभावित किया है. खरीफ के फसल के लिए बीज प्रोडक्शन का समय अप्रैल और मई होता है. छत्तीसगढ़ में सब्जी उगाने वाले किसानों को काफी नुकसान हआ है. प्रदेश में सब्जियों की खेती करीब 4 लाख हेक्टेयर में होती है. दिक्कत ये है कि अब बीजों को लेकर किसानों को परेशानी होगी. क्योंकि फसलों के बीज पैकेजिंग होने के बाद दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं, जो अभी बंद है. इन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में काम करने वाले मजदूर भी घरों को लौट गए हैं, जिसकी वजह से फैक्ट्री में काम करने वालों की कमी हो गई है.

पढ़ें- 'किसानों को नहीं कॉरपोरेट कंपनियों को मिलेगा कृषि सुधार अधिनियम का फायदा'

इस दौरान लॉकडाउन की वजह से मजदूर ना मिलने और काम बंद होने से बीजों का प्रोडक्शन बड़े लेवल पर प्रभावित हुआ है. कोरोना वायरस का संक्रमण देश के बड़े शहरों से निकलकर अब गांव-गांव तक पहुंच गया है. छत्तीसगढ़ में शहरों से ज्यादा अब गांवों में कोरोना संक्रमित मिलने लगे हैं. इस वजह से किसान चिंतित हैं. ऐसे में पहले से ही परेशान चल रहे किसानों के सामने अब खाद-बीज की किल्लत उनके लिए बड़ी दिक्कत बन सकती है.

रायपुर: कोरोना संकट ने पूरी दुनिया की तस्वीर बदल डाली. कई क्षेत्र इससे प्रभावित रहे. छत्तीसगढ़ में भी व्यापार, कारोबार, उद्योग सब ठप रहा. मजदूर अपने घरों को लौट गए. करीब 80 दिनों के लॉकडाउन ने लोगों के जीवन को बदल कर रख दिया. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से मजदूर वर्ग तो परेशान था ही, लेकिन किसानों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. अब जब मजदूर अपने घर लौटे तो वे खेती-किसानी का रूख करने लगे. खेती किसानी का सीजन शुरू होने को है. इससे पहले ही ETV भारत ने खाद-बीज जैसी जरूरी चीजों में भी लॉकडाउन का असर पड़ने को लेकर पड़ताल की है.

खरीफ सीजन के लिए खाद-बीज का संकट

कोरोना वायरस के संक्रमण ने न केवल लोगों के जीवन को बदल कर रख दिया है, बल्कि तमाम तरह की जरूरी सेवाओं में भी दखल डालना शुरू कर दिया. ऐसे में अब खेती-किसानी के लिए भी मजदूर मिलना मुश्किल हो रहा है. अब आने वाले खरीफ सीजन के लिए खाद बीज की एक बड़ी समस्या आ रही है. खरीफ सीजन के लिए जून का महीना लगते ही तैयारियां शुरू हो जाती है. बड़े पैमाने पर अब खेती-किसानी के लिए मजदूरों के साथ ही खाद-बीज की जरूरत होती है.

chhattisgarh seeds problem during lockdown
बीज भवन छत्तीसगढ़

कृषि प्रधान है छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर लोग खेती-किसानी पर ही निर्भर हैं. ऐसे में बीज और खाद की कमी होने का असर सीधे तौर पर लोगों के जीवन पर पड़ सकता है. इसे लेकर ETV भारत ने सहकारी समितियों में पड़ताल की. सहकारी समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आने वाले समय में खाद-बीज की बड़ी समस्या आ सकती है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में ज्यादातर खाद और बीज गुजरात और महाराष्ट्र से सप्लाई होते हैं. दोनों राज्यों में कोरोना के चलते बेहद बुरे हालात हैं. मजदूर नहीं होने की वजह से प्लांट बंद पड़े हैं. ऐसे में सप्लाई भी बाधित हो रही है. छत्तीसगढ़ में पूरी अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती किसानी ही है. यहां कृषि में भी खरीफ की फसल मुख्य फसल मानी जाती है.

chhattisgarh seeds problem during lockdown
धान के बीज

मैन्युफैक्चरिंग कंपनी से नहीं आ रहे बीज

प्रदेश भर में लाखों किसान खरीफ फसल के भरोसे ही जीवनयापन करते हैं. ऐसे में खाद-बीज का संकट आना किसानों के लिए भी बड़ी मुसीबत ला सकता है. इसे लेकर जब हमने कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर संकेत ठाकुर से चर्चा की तो उनका कहना है कि बीज प्रोडक्शन के लिए उपयुक्त समय के दौरान लॉकडाउन ने काफी प्रभावित किया है. खरीफ के फसल के लिए बीज प्रोडक्शन का समय अप्रैल और मई होता है. छत्तीसगढ़ में सब्जी उगाने वाले किसानों को काफी नुकसान हआ है. प्रदेश में सब्जियों की खेती करीब 4 लाख हेक्टेयर में होती है. दिक्कत ये है कि अब बीजों को लेकर किसानों को परेशानी होगी. क्योंकि फसलों के बीज पैकेजिंग होने के बाद दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं, जो अभी बंद है. इन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में काम करने वाले मजदूर भी घरों को लौट गए हैं, जिसकी वजह से फैक्ट्री में काम करने वालों की कमी हो गई है.

पढ़ें- 'किसानों को नहीं कॉरपोरेट कंपनियों को मिलेगा कृषि सुधार अधिनियम का फायदा'

इस दौरान लॉकडाउन की वजह से मजदूर ना मिलने और काम बंद होने से बीजों का प्रोडक्शन बड़े लेवल पर प्रभावित हुआ है. कोरोना वायरस का संक्रमण देश के बड़े शहरों से निकलकर अब गांव-गांव तक पहुंच गया है. छत्तीसगढ़ में शहरों से ज्यादा अब गांवों में कोरोना संक्रमित मिलने लगे हैं. इस वजह से किसान चिंतित हैं. ऐसे में पहले से ही परेशान चल रहे किसानों के सामने अब खाद-बीज की किल्लत उनके लिए बड़ी दिक्कत बन सकती है.

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