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Makar Sankranti 2023: 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना रहेगा शुभ, जानिए क्या करें दान

सूर्य ग्रह धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, उसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. Makar Sankranti 2023 इस साल मकर संक्रांति को लेकर भी लोगों में अलग-अलग मत हैं. कोई 14 जनवरी मानकर चल रहा है, तो कोई 15 जनवरी. ऐसे में 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाना शुभ रहेगा. ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि कुछ वर्षों में मकर संक्रांति 1 दिन आगे बढ़ जाती है. इस लिहाज से इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को पड़ रहा है.

Makar Sankranti 2023
मकर संक्रांति 2023
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Published : Jan 6, 2023, 6:44 PM IST

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त जानिए

रायपुर: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "साल 2023 में Makar Sankranti 2023 मकर संक्रांति 14 जनवरी की रात 8:45 से अगले दिन दोपहर 15 जनवरी दोपहर 2:21 बजे तक है. इस तरह से देखा जाए तो मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी की सूर्योदय से लेकर दोपहर 2:21 तक रहेगा. मकर संक्रांति के दिन से देवदिन की शुरुआत होती है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य उत्तर दिशा की ओर चलने लगता है."

मकर संक्राति की पूजा विधि: पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए. मकर संक्रांति के दिन पानी में काला तिल और गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए. इससे सूर्य की कृपा होती है और कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं. ऐसा करने से सूर्य और शनि दोनों की कृपा मिलती है, क्योंकि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर मकर में प्रवेश करते हैं."

यह भी पढ़ें: Makar sankranti 2023 : जानिए क्या है मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व


उन्होंने बताया कि "मकर संक्रांति के दिन पूजा करने की विधि का भली भांति पालन करना चाहिए. जिसमें मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर ले, उसमें काला तिल गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्य देव के मंत्रों का जाप करते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें. इसके बाद गरीबों को दान में तिल और खिचड़ी का दान करना चाहिए."


ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद शुभ होता है. इस दिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काला तिल गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प और अक्षत आदि डालें. इसके बाद ओम सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. महाभारत में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था. इसका कारण यह था कि उत्तरायण में देह छोड़ने वाली आत्माएं या तो कुछ समय के लिए देवलोक में चली जाती है या पुनर्जन्म के चक्र से उन आत्माओं को छुटकारा मिल जाता है. जबकि दक्षिणायन में देह छोड़ने पर आत्मा को बहुत समय तक काल के अंधकार का सामना करना पड़ सकता है.

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त जानिए

रायपुर: ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "साल 2023 में Makar Sankranti 2023 मकर संक्रांति 14 जनवरी की रात 8:45 से अगले दिन दोपहर 15 जनवरी दोपहर 2:21 बजे तक है. इस तरह से देखा जाए तो मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी की सूर्योदय से लेकर दोपहर 2:21 तक रहेगा. मकर संक्रांति के दिन से देवदिन की शुरुआत होती है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य उत्तर दिशा की ओर चलने लगता है."

मकर संक्राति की पूजा विधि: पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए. मकर संक्रांति के दिन पानी में काला तिल और गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए. इससे सूर्य की कृपा होती है और कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं. ऐसा करने से सूर्य और शनि दोनों की कृपा मिलती है, क्योंकि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर मकर में प्रवेश करते हैं."

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उन्होंने बताया कि "मकर संक्रांति के दिन पूजा करने की विधि का भली भांति पालन करना चाहिए. जिसमें मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर ले, उसमें काला तिल गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्य देव के मंत्रों का जाप करते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें. इसके बाद गरीबों को दान में तिल और खिचड़ी का दान करना चाहिए."


ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद शुभ होता है. इस दिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काला तिल गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प और अक्षत आदि डालें. इसके बाद ओम सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. महाभारत में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था. इसका कारण यह था कि उत्तरायण में देह छोड़ने वाली आत्माएं या तो कुछ समय के लिए देवलोक में चली जाती है या पुनर्जन्म के चक्र से उन आत्माओं को छुटकारा मिल जाता है. जबकि दक्षिणायन में देह छोड़ने पर आत्मा को बहुत समय तक काल के अंधकार का सामना करना पड़ सकता है.

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