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महेश नवमी 2022: महेश नवमी पर ऐसे करें भगवान भोलेनाथ की पूजा, आएगी समृद्धि ! - महेश नवमी 2022

महेश नवमी (Mahesh navami 9 June 2022) के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने एवं डमरू बजाने की परंपरा है. माहेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य समाज को अपना लिया इसलिये इस दिन को माहेश्वरी समाज (Mahesh Navami 2022) की उत्पत्ति का दिन भी मानते हैं. Mahesh navami vrat puja vidhi

Mahesh Navami 2022
महेश नवमी 2022
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Published : Jun 9, 2022, 12:56 AM IST

रायपुर/हैदराबाद : भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए सनातन धर्मावलंबी महेश नवमी (Mahesh Navami 2022) की पूजा बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं. विशेषकर माहेश्वरी समाज के लोग महेश नवमी का पर्व बड़ी धूमधाम से धूमधाम से मनाते हैं. हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को 'महेश नवमी' का पर्व मनाया जाता है. इस दिन माहेश्वरी समाज के लोग भगवान शिव एवं पार्वती जी की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि महेश नवमी (Mahesh navami 9 june 2022) को ही भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. ज्योतिषाचार्य डॉ. अमिताभ गौड़ ने बताया कि इस दिन भगवान शिव का अभिषेक (Lord shiva jalabhishek) किया जाता है तथा उन्हें गंगा जल, पुष्प तथा बेलपत्र आदि अर्पित किए जाते हैं. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने एवं डमरू बजाने की भी परंपरा है.

महेश नवमी के दिन विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना (Lord Shiva Parvati worship) की जाती है. इसके लिए सुबह स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. रिद्धि-सिद्धी के दाता प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश का आह्वान करें. साथ ही भगवान शिव पार्वती का गंगा जल से अभिषेक करें. वहीं उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प अर्पित कर सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं. फिर आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण करें, इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है, भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनोवांछित फल मिलता है.

ये भी पढ़ें: महादेव का अनोखा धाम, यहां लंकापति रावण ने भोलेनाथ को चढ़ाए थे अपने 9 सिर

ये कथा है प्रचलित : महेश नवमी (Mahesh navami 9 june 2022) के पर्व से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. एक प्रचलित मान्यता के अनुसार माहेश्वरी समाज के पूर्वेज क्षत्रिय वंश के थे. एक दिन शिकार करने के दौरान वह ऋषियों के श्राप से ग्रसित हो गए थे, तब इसी दिन भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कराया था और उनके पूर्वजों की रक्षा की थी एवं उनको अहिंसा के मार्ग पर अग्रसर होने को प्रेरित किया था. फलस्वरूप माहेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य समाज को अपना लिया और तभी से माहेश्वरी समाज व्यापारिक समुदाय के रूप में पहचाना जाता है. इसलिये इस दिन को माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति का दिन भी मानते हैं.

ये भी पढ़ें: महाबली भीम ने भी किया इस व्रत को ऐसी है महिमा निर्जला एकादशी की, जानिये शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और पारण नियम

महेश नवमी का शुभ मुहूर्त : हिन्दू पंचांग के अनुसार 08 जून बुधवार को ज्येष्ठ शुक्ल नवमी तिथि (Mahesh navami 9 june 2022) रात 08:30 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि अगले दिन 09 जून गुरुवार को सुबह 08:17 मिनट पर समाप्त होगी. हिन्दू पंचांग के अनुसार महेश नवमी के दिन रवि योग (पूरे दिन) का निर्माण हो रहा है. शास्त्रों में इस योग को बेहद शुभ माना जाता है. Mahesh navami vrat puja vidhi .

स्नान पर्व : जानें क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा, कथा और क्या है महत्व

रायपुर/हैदराबाद : भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए सनातन धर्मावलंबी महेश नवमी (Mahesh Navami 2022) की पूजा बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं. विशेषकर माहेश्वरी समाज के लोग महेश नवमी का पर्व बड़ी धूमधाम से धूमधाम से मनाते हैं. हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को 'महेश नवमी' का पर्व मनाया जाता है. इस दिन माहेश्वरी समाज के लोग भगवान शिव एवं पार्वती जी की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि महेश नवमी (Mahesh navami 9 june 2022) को ही भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. ज्योतिषाचार्य डॉ. अमिताभ गौड़ ने बताया कि इस दिन भगवान शिव का अभिषेक (Lord shiva jalabhishek) किया जाता है तथा उन्हें गंगा जल, पुष्प तथा बेलपत्र आदि अर्पित किए जाते हैं. इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने एवं डमरू बजाने की भी परंपरा है.

महेश नवमी के दिन विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना (Lord Shiva Parvati worship) की जाती है. इसके लिए सुबह स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. रिद्धि-सिद्धी के दाता प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश का आह्वान करें. साथ ही भगवान शिव पार्वती का गंगा जल से अभिषेक करें. वहीं उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प अर्पित कर सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं. फिर आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण करें, इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है, भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनोवांछित फल मिलता है.

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ये कथा है प्रचलित : महेश नवमी (Mahesh navami 9 june 2022) के पर्व से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. एक प्रचलित मान्यता के अनुसार माहेश्वरी समाज के पूर्वेज क्षत्रिय वंश के थे. एक दिन शिकार करने के दौरान वह ऋषियों के श्राप से ग्रसित हो गए थे, तब इसी दिन भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कराया था और उनके पूर्वजों की रक्षा की थी एवं उनको अहिंसा के मार्ग पर अग्रसर होने को प्रेरित किया था. फलस्वरूप माहेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य समाज को अपना लिया और तभी से माहेश्वरी समाज व्यापारिक समुदाय के रूप में पहचाना जाता है. इसलिये इस दिन को माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति का दिन भी मानते हैं.

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महेश नवमी का शुभ मुहूर्त : हिन्दू पंचांग के अनुसार 08 जून बुधवार को ज्येष्ठ शुक्ल नवमी तिथि (Mahesh navami 9 june 2022) रात 08:30 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि अगले दिन 09 जून गुरुवार को सुबह 08:17 मिनट पर समाप्त होगी. हिन्दू पंचांग के अनुसार महेश नवमी के दिन रवि योग (पूरे दिन) का निर्माण हो रहा है. शास्त्रों में इस योग को बेहद शुभ माना जाता है. Mahesh navami vrat puja vidhi .

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