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नवरात्र 2020: महासप्तमी के दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानिए कैसे करें माता को प्रसन्न

आज शारदीय नवरात्र की महासप्तमी है. आज के दिन देवी कालरात्रि की पूजा-आराधना की जाती है.

maa kalratri worshipped in navrarti
महासप्तमी के दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा
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Published : Oct 23, 2020, 7:59 AM IST

रायपुर: आज शारदीय नवरात्र का सातवां दिन है. सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. आज की रात को महानिशा पूजन के लिए भी जाना जाता है. महानिशा पूजा यानी रात्रि में सिद्धियां प्राप्ति करने के लिए किया जाने वाला पूजन. देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी-भद्रकाली, काली, महाकाली, भैरवी, मृत्यु, रुद्राणी, चामुंडा, दुर्गा और चंडी कई नामों से जाना जाता है.

माता कालरात्रि के सातवें दिन दर्शन-पूजन करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है. सातवें दिन महासप्तमी की पूजा होती है. मार्कंडेय पुराण के मुताबिक माता के स्वरूप को चंड-मुंड और रक्तबीज सहित अनेक राक्षसों का वध करने के लिए उत्पन्न किया गया था. देवी को कालरात्रि और काली के साथ चामुंडा के नाम से भी जाना जाता है. चंड-मुंड के संहार की वजह से मां के इस रूप को चामुंडा कहा जाता है.

माता का रूप

माता कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही विकराल और रौद्र रूप से भरा हुआ है. मां कालरात्रि का वर्णन काला है और काले बालों वाली ये माता गदर्भ पर बैठी हुई हैं. इनके श्वास से भयंकर आग निकलती है. इतना भयंकर रूप होने के बाद भी माता अपने एक हाथ से अपने भक्तों को वरदान दे रही होती हैं. अपने भक्तों के लिए मां अत्यंत ही शुभ फलदायी हैं. कई जगह इन्हें शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है.

पूजा करने की विधि

पूजा के जरूरी सामान एकत्रित करके सुवासित जल, तीर्थ जल, गंगाजल सहित पंचमेवा और पंचामृत पुष्प, गंध सहित अक्षत के साथ माता कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए.

मां कालरात्रि की पूजा में सबसे पहले कलश और आह्वान किए गए देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए. पूजा विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करना चाहिए.

पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • इसके अलावा अर्गला स्तोत्रम, सिद्धकुंजिका स्तोत्र, काली चालीसा और काली पुराण का पाठ करना चाहिए.
  • सप्तमी की पूरी रात दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
  • जिस स्थान पर मां कालरात्रि की मूर्ति है, उसके नीचे काले रंग का साफ कपड़ा बिछा दें.
  • देवी की पूजा करते समय चुनरी ओढ़ाकर सुहाग का सामान चढ़ाएं.
  • इसके बाद मां कालरात्रि की मूर्ति के आगे दीप जलाएं.

पढ़ें- कोरिया: नवरात्र में चांग देवी माता के दरबार में भक्तों का लगा तांता, मंदिर में लौटी रौनक

मान्यता है कि मां कालरात्रि का दर्शन करने मात्र से समस्त भय, डर और बाधाओं का नाश होता है. माता काली को लाल रंग बेहद पसंद है. उन्हें पान का भोग लगाना चाहिए. क्योंकि माता काली को पान खाना बेहद पसंद है. पान चढ़ाने मात्र से जीवन की सारी कठिनाइयां दूर होती हैं और मुरादें भी पूरी होती हैं. माता की पूजा से व्यक्ति के जीवन से प्रतिक भय, दुख, रोग, शोक दूर रहते हैं. संसार में उसके लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता. प्रत्यक्ष और परोक्ष शत्रुओं का नाश होता है.

इन मंत्रों से करें आराधना

  1. जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी ।
    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ।।
  2. एकवेणीजपाकर्णपुरानना खरास्थिता ।
    लम्बोष्टिकर्णीका कर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ।।
    वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा ।
    वर्धमामूर्धजा कृष्णा कालरात्रिर्भयडकरी ।।

रायपुर: आज शारदीय नवरात्र का सातवां दिन है. सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. आज की रात को महानिशा पूजन के लिए भी जाना जाता है. महानिशा पूजा यानी रात्रि में सिद्धियां प्राप्ति करने के लिए किया जाने वाला पूजन. देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी-भद्रकाली, काली, महाकाली, भैरवी, मृत्यु, रुद्राणी, चामुंडा, दुर्गा और चंडी कई नामों से जाना जाता है.

माता कालरात्रि के सातवें दिन दर्शन-पूजन करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है. सातवें दिन महासप्तमी की पूजा होती है. मार्कंडेय पुराण के मुताबिक माता के स्वरूप को चंड-मुंड और रक्तबीज सहित अनेक राक्षसों का वध करने के लिए उत्पन्न किया गया था. देवी को कालरात्रि और काली के साथ चामुंडा के नाम से भी जाना जाता है. चंड-मुंड के संहार की वजह से मां के इस रूप को चामुंडा कहा जाता है.

माता का रूप

माता कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही विकराल और रौद्र रूप से भरा हुआ है. मां कालरात्रि का वर्णन काला है और काले बालों वाली ये माता गदर्भ पर बैठी हुई हैं. इनके श्वास से भयंकर आग निकलती है. इतना भयंकर रूप होने के बाद भी माता अपने एक हाथ से अपने भक्तों को वरदान दे रही होती हैं. अपने भक्तों के लिए मां अत्यंत ही शुभ फलदायी हैं. कई जगह इन्हें शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है.

पूजा करने की विधि

पूजा के जरूरी सामान एकत्रित करके सुवासित जल, तीर्थ जल, गंगाजल सहित पंचमेवा और पंचामृत पुष्प, गंध सहित अक्षत के साथ माता कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए.

मां कालरात्रि की पूजा में सबसे पहले कलश और आह्वान किए गए देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए. पूजा विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करना चाहिए.

पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • इसके अलावा अर्गला स्तोत्रम, सिद्धकुंजिका स्तोत्र, काली चालीसा और काली पुराण का पाठ करना चाहिए.
  • सप्तमी की पूरी रात दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
  • जिस स्थान पर मां कालरात्रि की मूर्ति है, उसके नीचे काले रंग का साफ कपड़ा बिछा दें.
  • देवी की पूजा करते समय चुनरी ओढ़ाकर सुहाग का सामान चढ़ाएं.
  • इसके बाद मां कालरात्रि की मूर्ति के आगे दीप जलाएं.

पढ़ें- कोरिया: नवरात्र में चांग देवी माता के दरबार में भक्तों का लगा तांता, मंदिर में लौटी रौनक

मान्यता है कि मां कालरात्रि का दर्शन करने मात्र से समस्त भय, डर और बाधाओं का नाश होता है. माता काली को लाल रंग बेहद पसंद है. उन्हें पान का भोग लगाना चाहिए. क्योंकि माता काली को पान खाना बेहद पसंद है. पान चढ़ाने मात्र से जीवन की सारी कठिनाइयां दूर होती हैं और मुरादें भी पूरी होती हैं. माता की पूजा से व्यक्ति के जीवन से प्रतिक भय, दुख, रोग, शोक दूर रहते हैं. संसार में उसके लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता. प्रत्यक्ष और परोक्ष शत्रुओं का नाश होता है.

इन मंत्रों से करें आराधना

  1. जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी ।
    दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ।।
  2. एकवेणीजपाकर्णपुरानना खरास्थिता ।
    लम्बोष्टिकर्णीका कर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ।।
    वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा ।
    वर्धमामूर्धजा कृष्णा कालरात्रिर्भयडकरी ।।
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